मलेशिया ने पाकिस्तान के 'इस्लामी कार्ड' को खारिज कर दिया झटका, भारतीय प्रतिनिधिमंडल के कार्यक्रमों को दी मंजूरी

मलेशिया जाने वाले भारतीय प्रतिनिधिमंडल में जदयू सांसद संजय झा के नेतृत्व में भाजपा सांसद अपराजिता सारंगी, बृज लाल, प्रधान बरुआ और हेमांग जोशी, टीएमसी के अभिषेक बनर्जी, सीपीएम के जॉन ब्रिटास, कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद और पूर्व भारतीय राजदूत मोहन कुमार शामिल थे

अपडेटेड Jun 04, 2025 पर 8:16 PM
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मलेशियाई सरकार ने इस्लामाबाद के दबाव में झुकने से इनकार कर दिया

India-Pakistan News: पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को तबाह करने के लिए भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया था। हालांकि पाकिस्तान ने फेक न्यूज फैला कर इसे झुठलाने का प्रयास किया। इसके जवाब में भारत सरकार ने विश्व के कई देशों में अपने प्रतिनिधि मंडल भेजकर पाकिस्तान के नापाक मंसूबों से सभी को अवगत कराने के लिए आउटरीच कार्यक्रम चलाए। पाकिस्तान, मलेशिया में भारत के कार्यक्रम को न होने देने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहा था।

हालांकि मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, मलेशिया ने पाकिस्तान के हताश प्रयासों को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है। मलेशिया से पाकिस्तान को मिला यह झटका कई मायनों में काफी महत्वपूर्ण है। पाकिस्तान जहां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को अलग-थलग करने के अपने व्यर्थ प्रयासों में तेजी से 'धार्मिक कार्ड' खेलने का सहारा ले रहा था उसमें उसे मलेशिया से मुंह की खानी पड़ी है।

फेल हुआ पाकिस्तान का इस्लामी कार्ड

पाकिस्तान की धार्मिक शब्दों में की गई अपील के बावजूद, मलेशियाई सरकार ने इस्लामाबाद के दबाव में झुकने से इनकार कर दिया और संजय झा के नेतृत्व में नौ सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल को अपने सभी दस निर्धारित कार्यक्रमों को जारी रखने की अनुमति दी। रिपोर्टों के अनुसार, कुआलालंपुर में इस्लामाबाद के दूतावास ने कथित तौर पर मलेशियाई अधिकारियों से भारतीय कार्यक्रमों को रद्द करने का आग्रह किया था, जिसमें साझा इस्लामी संबंधों का हवाला देते हुए पूछा गया था।

'हम एक इस्लामी देश हैं, आप एक इस्लामी देश हैं... भारतीय प्रतिनिधिमंडल की बात मत सुनो, मलेशिया में उनके सभी कार्यक्रमों को रद्द कर दो।' हालांकि, मलेशिया ने पाकिस्तान के इन विभाजनकारी रवैये को खारिज कर दिया। जानकारी एक मुताबिक, मलेशियाई सरकार ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल को सभी दस आउटरीच कार्यक्रमों को आयोजित करने की अनुमति दी।

'ऑपरेशन सिंदूर' और भारत की नीति


22 अप्रैल को जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 लोग मारे गए थे। उसके जवाब में भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' चलाया और पाकिस्तान में मौजूद सैकड़ों आतंकियों को मार गिराया। इस ऑपरेशन में भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकवादी ठिकानों और सैन्य प्रतिष्ठानों को टारगेट किया। 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद, भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपने कड़े रुख और 'शून्य-सहिष्णुता नीति' पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का समर्थन हासिल करने के लिए एक राजनयिक अभियान शुरू किया है, जिसके तहत बहु-दलीय प्रतिनिधिमंडल विभिन्न देशों का दौरा कर रहे हैं।

बहु-राष्ट्रीय दौरा और मलेशिया का रुख

मलेशिया इस प्रतिनिधिमंडल के बहुराष्ट्रीय दौरे का अंतिम पड़ाव था, जिसमें इससे पहले जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और इंडोनेशिया शामिल थे। टीम शनिवार को कुआलालंपुर पहुंची थी। पाकिस्तान का मलेशिया से यह अनुरोध कश्मीर मुद्दे पर बढ़ते अंतरराष्ट्रीय ध्यान के बीच आया था, जिसमें इस्लामाबाद संयुक्त राष्ट्र में 'कश्मीर मामले' का लाभ उठाने की कोशिश कर रहा था ताकि देशों को भारत के खिलाफ उसके पक्ष में आने के लिए दबाव डाला जा सके।

मलेशिया का इस तरह के दबाव के आगे न झुकना पाकिस्तान के अलगाव और उन देशों में उसके प्रभाव के घटते दायरे को उजागर करता है जो कभी उसकी बयानबाजी के प्रति अधिक सहानुभूति रख सकते थे।

भारतीय प्रतिनिधिमंडल में कौन-कौन हैं शामिल?

मलेशिया जाने वाले भारतीय प्रतिनिधिमंडल में जदयू सांसद संजय झा के नेतृत्व में भाजपा सांसद अपराजिता सारंगी, बृज लाल, प्रधान बरुआ और हेमांग जोशी, टीएमसी के अभिषेक बनर्जी, सीपीएम के जॉन ब्रिटास, कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद और पूर्व भारतीय राजदूत मोहन कुमार शामिल थे। अपनी यात्रा के दौरान, प्रतिनिधिमंडल ने मलेशिया की पीपुल्स जस्टिस पार्टी (PKR) के साथ बातचीत की, जिसका नेतृत्व वाईबी सिम त्जे त्जिन, पीएम महाथिर मोहम्मद के अधीन एक पूर्व मंत्री ने किया।

Abhishek Gupta

Abhishek Gupta

First Published: Jun 04, 2025 8:16 PM

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