नेपाल के Gen-Z की मांग, रैपर को बनाएं प्रधानमंत्री! कौन हैं काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह, जिनके नाम की हो रही हर तरफ चर्चा

अब सभी की निगाहें काठमांडू के मेयर बालेन्द्र शाह पर टिकी हैं, जिन्हें बालेन के नाम से भी जाना जाता है। इस उथल-पुथल के बीच मेयर बालेन्द्र शाह (बालेन) ने भी प्रदर्शनकारियों के साथ एकजुटता दिखाई। उन्होंने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि इस आंदोलन में भाग लेने की उम्र सीमा 28 साल तय की है, इसलिए वे शामिल नहीं हो सकते। लेकिन उनका मानना है कि इन युवाओं की आवाज सुनी जानी बेहद जरूरी है

अपडेटेड Sep 09, 2025 पर 7:54 PM
Story continues below Advertisement
Nepal Protest: नेपाल Gen-Z की मांग, रैपर को बनाएं प्रधानमंत्री! कौन हैं काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह

नेपाल में सोशल मीडिया बैन करने के एक फैसले ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार को ही Uninstall करा दिया। facebook, Insta, WhatsApp बैन करने के सरकार के इस फैसले से सबसे ज्यादा नाराज Gen-Z हुए, वो पीढ़ी है जिनका जन्म लगभग 1997 से 2012 के बीच हुआ है। सीधे शब्दों में कहें, तो करीब 13 से 28 साल की उम्र युवा। सोशल मीडिया बैन के खिलाफ सोमवार को शुरु हुए इस प्रदर्शन में करीब 20 लोगों की जान चली गई और सरकार ने अपना फैसला भी वापस ले लिया, मंत्री, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक ने अपनी कुर्सी छोड़ लेकिन ये Gen-Z प्रदर्शनकारी यहीं नहीं रुके, अब इनकी मांग है कि काठमांडू के मेयर को देश का नया प्रधानमंत्री बनाया जाए।

अब सभी की निगाहें काठमांडू के मेयर बालेन्द्र शाह पर टिकी हैं, जिन्हें बालेन के नाम से भी जाना जाता है। इस उथल-पुथल के बीच मेयर बालेन्द्र शाह (बालेन) ने भी प्रदर्शनकारियों के साथ एकजुटता दिखाई। उन्होंने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि इस आंदोलन में भाग लेने की उम्र सीमा 28 साल तय की है, इसलिए वे शामिल नहीं हो सकते। लेकिन उनका मानना है कि इन युवाओं की आवाज सुनी जानी बेहद जरूरी है।

मेयर शाह ने लिखा, "यह रैली साफ तौर पर Gen-Z की मुहिम है, जिनके लिए शायद मैं भी उम्रदराज लगूं। मैं उनकी आकांक्षाओं, उद्देश्यों और सोच को समझना चाहता हूं। राजनीतिक पार्टियों, नेता, एक्टिविस्ट, सांसद और कैंपेन चलाने वाले लोग इस रैली का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए न करें।"


सोमवार देर रात जैसे ही सरकार ने सोशल मीडिया बैन वापस लिया, लोगों का गुस्सा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर और तेजी से फैल गया। इसी दौरान काठमांडू के मेयर बालेन शाह अचानक सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगे और युवाओं के बीच चर्चा का बड़ा विषय बन गए।

आइए जानते हैं बालेन शाह उनकी इस पॉपुलेरिटी के पीछे की पूरी कहानी

काठमांडू के मेयर पद तक शाह का सफर आम राजनेता जैसा तो बिलकुल नहीं था। कभी वह शहर की छतों पर खड़े होकर रैप करते थे। उनके गानों में गरीबी, पिछड़ापन और नेपाल की राजनीति में भ्रष्टाचार की आवाज गूंजती थी। इन्हीं मुद्दों को आवाज देने वाले उनके गानों ने उन्हें लोगों से जोड़ दिया और धीरे-धीरे वे राजनीति में एक नया चेहरा बनकर उभरे।

उनके गाने, खासतौर से उनका पॉपुलर ट्रैक "बलिदान" ने युवाओं को काफी प्रभावित किया, जिसे यूट्यूब पर सात मिलियन से ज्यादा बार देखा गया है।

अपनी कलाकार पहचान से अलग शाह के पास स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की डिग्री भी है। 2022 के मेयर चुनाव के दौरान उन्होंने अपने प्रोफेशन को जरिए ही अपने अभियान को मजबूती दी थी। म्यूजिक और इंजीनियरिंग दोनों के मिक्सअप से उन्होंने खुद को एक सक्षम, व्यवहारिक और जमीनी नेता के रूप में पेश किया, एक ऐसा उम्मीदवार जो पारंपरिक राजनीति और पार्टी पॉलिटिक्स से बंधा हुआ नहीं है।

चुनावी अभियान के दौरान शाह की पहचान सिर्फ उनकी बातों से नहीं, बल्कि उनके अंदाज से भी बनी। उनका सिग्नेचर लुक था- ब्लैक ब्लेजर, जींस, चौकोर सनग्लासेज और कंधों पर लिपटा नेपाली झंडा। इस स्टाइल ने उन्हें युवाओं में अलग ही करिश्माई छवि दी और राजनीति में एक पॉप-कल्चर आइकन बना दिया।

उनके इस लुक की वजह से चुनाव आयोग में उनके खिलाफ झंडे के ‘अपमान’ की शिकायत तक दर्ज हुई, फिर भी उनकी लोकप्रियता और बढ़ गई। यह साफ दिखाता है कि नेपाल की युवा पीढ़ी ऐसे नेताओं को चाहती है, जो परंपराओं को चुनौती देने से पीछे न हटें और अपनी असलियत से भी समझौता न करें।

बालेन ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और नेपाल की बड़ी-बड़ी राजनीतिक पार्टियों से दूरी बनाए रखी। सिर्फ 33 साल की उम्र में, राजनीति में नए होने के बावजूद उन्होंने भारी वोटों से जीत हासिल की और जमे-जमाए राजनीतिक परिवारों के उम्मीदवारों को पछाड़ दिया। उनकी यह जीत नेपाल की राजनीति में एक पूरी पीढ़ी के बदलाव का संकेत मानी जा रही है।

2022 की जीत के बाद से ही बालेन नेपाल की राजनीति में आने वाले नए युवाओं का एक प्रतीक बन गए। उनका ‘बालेन इफेक्ट’ सिर्फ काठमांडू तक सीमित नहीं रहा, बल्कि देशभर में नई पीढ़ी के लिए उम्मीद और बदलाव की पहचान बन गया।

अब देखना होगा कि प्रदर्शनकारियों की इस मांग को कैसे माना जाएगा, क्योंकि सेना सभी से शांति बनाए रखने की अपील की है।

Nepal Protest: पीएम और राष्ट्रपति के इस्तीफे के बाद एक्शन में नेपाली सेना, प्रदर्शनकारियों को लेकर कही ये बात

 

Shubham Sharma

Shubham Sharma

First Published: Sep 09, 2025 7:29 PM

हिंदी में शेयर बाजार स्टॉक मार्केट न्यूज़,  बिजनेस न्यूज़,  पर्सनल फाइनेंस और अन्य देश से जुड़ी खबरें सबसे पहले मनीकंट्रोल हिंदी पर पढ़ें. डेली मार्केट अपडेट के लिए Moneycontrol App  डाउनलोड करें।