नेपाल से एक बहुत बड़ी खबर आ रही है। देश में चल रहे विरोध प्रदर्शनों और सोमवार को हुई हिंसक झड़प में 19 लोगों की मौत के बाद अब प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली इस्तीफा दे सकते हैं। सरकारी सूत्रों का कहना कि प्रधानमंत्री ओली जल्द ही इस्तीफा दे सकते हैं। ओली पर पद छोड़ने का लगातार दबाव बढ़ता जा रहा है। क्योंकि कल अब तक उनके कई मंत्री भी इस्तीफा दे चुके हैं। ओली मंत्रीमंडल के तीन मंत्रियों ने सरकार से इस्तीफा दे दिया है। इस घटना के बाद प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली पर इस्तीफे का दबाव और बढ़ गया है।
सोमवार शाम गृहमंत्री रमेश लेखक ने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद मंगलवार सुबह कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी और जल आपूर्ति मंत्री प्रदीप यादव ने भी पद छोड़ दिया। रमेश लेखक और रामनाथ अधिकारी नेपाली कांग्रेस (NC) से हैं, जबकि प्रदीप यादव जनता समाजवादी पार्टी से आते हैं।”
कान्तिपुर अखबार के मुताबिक, नेपाली कांग्रेस (NC) अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा पर पार्टी नेताओं का दबाव है कि वे ओली नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार से बाहर निकलें।" जबकि प्रदर्शनकारियों ने सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस पार्टी के कार्यालय में आग लगा दी।
जनता के गुस्से को शांत करने की कोशिश में प्रधानमंत्री ओली ने सोमवार शाम कैबिनेट बैठक बुलाई और काठमांडू समेत देश के बाकी हिस्सों में हुई घटनाओं की जांच के लिए एक समिति बनाने की घोषणा की।
काठमांडू पोस्ट के मुताबिक, ओली ने हिंसा को ‘बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना’ बताया और इसके लिए ‘घुसपैठ’ और कुछ संवैधानिक संस्थाओं को आगजनी और तोड़फोड़ से बचाने की कोशिशों को जिम्मेदार ठहराया।
सोमवार को नेपाल में क्या हुआ?
सोमवार को पूरे देश में हजारों नेपाली युवाओं के नेतृत्व में सरकार के भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर बैन के खिलाफ प्रदर्शन हुए। इन प्रदर्शनों पर पुलिस कार्रवाई में कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई, जिनमें 17 काठमांडू और 2 पूर्वी नेपाल के सुनसरी जिले में मारे गए। द काठमांडू पोस्ट के मुताबिक, 400 से ज्यादा लोग घायल हुए।
न्यूज एजेंसी Reuters के मुताबिक, हजारों प्रदर्शनकारी- जिनमें बड़ी संख्या में स्कूली और कॉलेज के छात्र शामिल थे, हाथों में तख्तियां लिए सड़कों पर उतरे। उन पर लिखे नारे थे-‘भ्रष्टाचार बंद करो, सोशल मीडिया नहीं’, ‘सोशल मीडिया पर से बैन हटाओ’, और ‘युवाओं की लड़ाई भ्रष्टाचार के खिलाफ’।
द काठमांडू पोस्ट के मुताबिक, काठमांडू में जब हजारों लोग संसद की ओर बढ़े तो पुलिस ने बैरिकेड लगाए। लेकिन जैसे ही प्रदर्शनकारी प्रतिबंधित क्षेत्र में घुसे, पुलिस ने उन पर पानी की बौछार, आंसू गैस और यहां तक कि गोलियां भी चलाईं।