नॉर्थ कोरिया में अब Ice Cream बोलने पर भी बैन! किम जोंग का नया फरमान
किम जोंग ने अपने लोगों के लिए एक और अजीब नियम लागू कर दिया है। इस बार निशाना साधा गया है रोजाना इस्तेमाल होने वाली भाषा पर। अब “आइसक्रीम”, “हैम्बर्गर” और “कराओके” जैसे साधारण शब्दों पर भी बैन लगा दिया गया है और उनकी जगह सरकार की तरफ से तय किए गए मुश्किल और अजीब से शब्द लाए गए हैं
नॉर्थ कोरिया में अब Ice Cream बोलना बैन! किम जोंग का नया फरमान
सोचिए आपका मन आइसक्रीम खाने का कर रहा है। आप एक दुकान पर गए और जैसे ही आपने अपने मुंह से 'आइसक्रीम' बोला, आपको पुलिस ने धर लिया। अब आप कहेंगे कि ऐसे कैसे? जी हां अगर आप नॉर्थ कारिया में हैं, तो आपके साथ जरूर ये हो सकता है। नॉर्थ कोरिया अपने तानाशाह किम जोंग उन और उनके बनाए सख्त नियम और कानूनों के लिए पहले से ही जाना जाता है। किम जोंग ने अपने लोगों के लिए एक और अजीब नियम लागू कर दिया है। इस बार निशाना साधा गया है रोजाना इस्तेमाल होने वाली भाषा पर। अब “आइसक्रीम”, “हैम्बर्गर” और “कराओके” जैसे साधारण शब्दों पर भी बैन लगा दिया गया है और उनकी जगह सरकार की तरफ से तय किए गए मुश्किल और अजीब से शब्द लाए गए हैं।
अब “आइसक्रीम” को “एसूकिमो” या “ओरमबोसुंगी” कहा जाएगा, “हैम्बर्गर” को “दाजिन-गोगी ग्योप्पांग”, जिसका सीधा मतलब है- “डबल ब्रेड विद ग्राउंड बीफ” और “कराओके” को “ऑन-स्क्रीन अकोम्पनिमेंट मशीन” कहा जाएगा। ऐसे शब्द कि पूरी जुबान ही उलट पुलट हो जाए।
पहली नजर में यह सब बड़ा अजीब और थोड़ा मजाकिया लगता है। लेकिन नॉर्थ कोरिया के लोगों के लिए यह गंभीर मामला है, खासकर उन टूर गाइड्स और कर्मचारियों के लिए जो देश के नए लग्जरी बीच रिसॉर्ट में काम कर रहे हैं। अगर उन्होंने कोई गलत शब्द इस्तेमाल किया, तो उन बेचारों को परेशानी हो सकती है।
नॉर्थ कोरिया ने क्यों हटाए ये शब्द?
नॉर्थ कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग-उन ने अंग्रेजी से आए और दक्षिण कोरियाई शब्दों पर रोक लगा दी है, क्योंकि उन्हें ये शब्द “बहुत पश्चिमी” (Too Western) और उनकी विचारधारा को नुकसान पहुंचाने वाले लगते हैं।
कांगवोन प्रांत के एक अधिकारी ने लोकल अखबार Daily NK को बताया, “मकसद यह है कि टूरिज्म से जुड़े लोग केवल नॉर्थ कोरियाई शब्दों का ही इस्तेमाल करें और दक्षिण कोरियाई या दूसरे विदेशी शब्दों से पूरी तरह बचें, चाहे वे अनजाने में ही क्यों न बोलते हों।”
यह कदम एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है। नॉर्थ कोरिया टूरिज्म को बढ़ाना चाहता है, लेकिन साथ ही बाहरी संस्कृति पर सख्त रोक भी चाहता है। लोगों के बोलने वाले शब्दों तक को कंट्रोल करके प्योंगयांग चाहता है कि देश के अंदर स्थानीय और विदेशी दोनों ही लोग वही सुनें या बोलें जो सरकार चाहती है।
गाइड्स की उलझन
यह नीति उन लोगों के लिए उलझन का कारण बन गई है, जो टूरिज्म सेक्टर में काम करने की तैयारी कर रहे हैं। एक ट्रेनी ने बताया, “हमें विदेशी टूरिस्ट से तो विदेशी शब्दों में ही बात करनी होगी ताकि वे हमें समझ सकें।”
लेकिन खुलकर विरोध करना असंभव है। एक और ट्रेनी ने कहा, “टूर गाइड की नौकरी अच्छी मानी जाती है, लेकिन अगर मुंह से एक गलत शब्द भी निकल गया तो आपको ट्रेनिंग प्रोग्राम से बाहर कर दिया जाएगा।”
यह ट्रेनिंग प्रोग्राम 21 अगस्त से शुरू हुआ है। यह सीधे तौर पर कोरिया वर्कर्स पार्टी के कैडर डिपार्टमेंट की देखरेख में है। वोनसान, जिसे इंटरनेशनल टूरिज्म का केंद्र बनाने की योजना है, वहां इस पर बड़े पैमाने पर रिसोर्स खर्च किए जा रहे हैं।
इसमें 20 से 30 लोग शामिल हैं। तीन महीने की इस ट्रेनिंग में उन्हें सिर्फ टूरिस्ट से बातचीत ही नहीं, बल्कि पहनावे के नियम, पेशेवर व्यवहार और सरकार की तरफ से तय नारे व वाक्य याद करना भी सिखाया जा रहा है।
नॉर्थ कोरिया के और भी अजीब नियम
यह पहली बार नहीं है जब नॉर्थ कोरिया के अजीब नियमों ने सुर्खियां बटोरी हों। वहां की सरकार लंबे समय से ऐसे व्यवहार पर सजा देती है, जिसे वह पश्चिमी संस्कृति से जुड़ा हुआ मानती है।
इस साल की शुरुआत में, नॉर्थ कोरिया ने हॉट डॉग पर बैन लगा दिया। इसे खाना, परोसना या बेचना “देशद्रोह” माना जाता है।
इतना ही नहीं, रेडियो फ्री एशिया (RFA) की रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण कोरिया का मशहूर स्ट्रीट फूड ट्टोकबोकी (चावल का केक) भी बैन कर दिया गया।
कपड़ों पर भी सख्ती है: छोटे स्कर्ट, लोगो वाले कपड़े, हाई हील्स, चमकदार कपड़े और जींस पहनने पर रोक है।
सिर्फ इतना ही नहीं एक रिपोर्ट में तो ये तक बताया गया कि नॉर्थ कोरिया में उन लोगों को मौत की सजा तक दी गई है, जिन्हें विदेशी फिल्में या टीवी शो देखते या शेयर करते हुए पकड़ा गया।
विदेशी मीडिया पर सख्त कार्रवाई
UN के एक नए रिव्यू, जिसमें 2014 से अब तक की स्थिति देखी गई, बताती है कि पिछले एक दशक में नॉर्थ कोरिया में दमन और भी बढ़ गया है, खासकर उन लोगों के खिलाफ जो विदेशी मीडिया तक पहुंच बनाते हैं।
रिपोर्ट में बताया गया कि घरों पर छापे मारे जाते हैं, कड़ी सजा दी जाती है और कभी-कभी खुलआम फांसी भी दी जाती है, खासकर उन लोगों को जो साउथ कोरियाई ड्रामे देखते, विदेशी म्यूजिक सुनते या बैन की गई फिल्में देखते और शेयर करते हैं।
इसमें यह भी कहा गया कि सार्वजनिक मुकदमे और फांसी केवल “डर पैदा करने” के लिए कराई जाती हैं।
एक महिला, जो 2023 में नॉर्थ कोरिया से भाग निकली, उसने BBC को बताया कि उसकी तीन सहेलियों को सिर्फ इसलिए मार दिया गया, क्योंकि उनके पास साउथ कोरियाई ड्रामे मिले थे।
हाल ही में, शासन ने और कड़ा कदम उठाया है। “एंटी-सोशलिस्ट” कंटेंट खोजने के लिए टास्क फोर्स बनाई गई है, जो घर-घर छापे मारती है।
कुछ लोग अधिकारियों को रिश्वत देकर बच निकलते हैं, लेकिन कई लोग अब भी खतरा उठाते हैं। रिपोर्ट्स बताती हैं कि तस्करी से आए USB स्टिक, अवैध रेडियो और अंडरग्राउंड नेटवर्क उन लोगों के लिए लाइफ लाइन हैं, जो बाहरी दुनिया से जुड़े कंटेंट को देखने-सुनने की कोशिश करते हैं।