पाकिस्तान बना UNSC का अध्यक्ष, लेकिन सिर्फ एक महीने के लिए, भारत के लिए क्या है इसका मतलब?
पाकिस्तान के लिए यह अवसर कई कारणों से अहम माना जा रहा है, खासकर इसलिए क्योंकि बीते कुछ सालों में उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि और भूमिका कमजोर होती दिख रही थी। ऐसे में इस नई जिम्मेदारी को वह वैश्विक मंच पर अपनी मौजूदगी और प्रभाव को दोबारा स्थापित करने के तौर पर देख रहा है
पाकिस्तान बना UNSC का अध्यक्ष, लेकिन सिर्फ एक महीने के लिए, भारत के लिए क्या है इसका मतलबा?
पाकिस्तान ने 1 जुलाई 2025 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के अध्यक्ष का पद संभाला। यह एक अस्थायी पद है, जो हर महीने बदलता रहता है और जुलाई के पूरे महीने इसकी कमान पाकिस्तान के पास होगी। जनवरी 2025 से 2026 तक गैर-स्थायी सदस्य के रूप में अपने दो साल की पीरियड में पहली बार पाकिस्तान UNSC के अध्यक्ष पद पर बैठा है। पाकिस्तान जनवरी 2025 में दो साल के कार्यकाल के लिए सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य चुना गया था। 2013 के बाद यह पाकिस्तान की पहली अध्यक्षता है और आठवीं बार देश सुरक्षा परिषद में शामिल हुआ है।
पाकिस्तान के लिए यह अवसर कई कारणों से अहम माना जा रहा है, खासकर इसलिए क्योंकि बीते कुछ सालों में उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि और भूमिका कमजोर होती दिख रही थी। ऐसे में इस नई जिम्मेदारी को वह वैश्विक मंच पर अपनी मौजूदगी और प्रभाव को दोबारा स्थापित करने के तौर पर देख रहा है।
कब चुना गया पाकिस्तान और यह कितने समय के लिए है?
पाकिस्तान को जनवरी 2025 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा दो साल की अवधि के लिए सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य चुना गया था। इस चुनाव में पाकिस्तान को 193 में से 182 वोट मिले थे। अब जुलाई 2025 में उसे परिषद की मासिक अध्यक्षता मिली है, जो हर महीने अल्फाबेट के हिसाब से बदलती है। यह अध्यक्षता 1 जुलाई से 31 जुलाई तक के लिए है।
पाकिस्तान पहले भी कितनी बार अध्यक्ष रह चुका है?
पाकिस्तान का यह UNSC अध्यक्षता का आठवां कार्यकाल है। इससे पहले वह 1952-53, 1968-69, 1976-77, 1983-84, 1993-94, 2003-04 और 2012-13 में भी यह भूमिका निभा चुका है। पिछली बार वो मार्च 2013 में अध्यक्ष बना था।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद क्या है?
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र के छह प्रमुख अंगों में से एक है, जिसकी स्थापना 24 अक्टूबर 1945 को हुई थी। इसका हेडक्वार्टर अमेरिका के न्यूयॉर्क में है। इसका मुख्य उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना है। UNSC में कुल 15 सदस्य होते हैं, जिनमें से 5 स्थायी सदस्य (अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम) होते हैं और 10 अस्थायी सदस्य होते हैं, जिन्हें दो साल के लिए महासभा में वोटिंग के जरिए चुना जाता है।
अस्थायी सदस्य कैसे चुने जाते हैं?
अस्थायी सदस्यों का चुनाव महासभा में गुप्त मतदान से होता है। उम्मीदवार को निर्वाचित होने के लिए दो-तिहाई बहुमत चाहिए होता है। क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए सीटें अलग-अलग क्षेत्रों के बीच बांटी जाती हैं, जैसे कि अफ्रीका, एशिया, पूर्वी यूरोप, लैटिन अमेरिका और पश्चिमी यूरोप आदि।
अध्यक्ष बनने के पीछे क्या वजह थी?
पाकिस्तान को यह पद किसी विशेष कूटनीतिक उपलब्धि के कारण नहीं बल्कि एक ऑटोमेटिक रोटेशन सिस्टम के तहत मिला है। हर महीने परिषद का अध्यक्ष बदलता है और यह जिम्मेदारी अल्फाबेट के क्रम में अस्थायी और स्थायी सभी सदस्यों को बारी-बारी से मिलती है। जुलाई में पाकिस्तान की बारी थी, इसलिए उसे अध्यक्षता दी गई।
पाकिस्तान की UNSC अध्यक्षता का मतलब क्या?
भले ही UNSC की अध्यक्षता मोटे तौर पर एक प्रतीकात्मक भूमिका है, जिसमें कोई कार्यकारी अधिकार नहीं है, लेकिन यह ऐसे समय में पाकिस्तान को मिली है, जब भू-राजनीतिक तनाव बहुत बढ़ गया है।
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत असीम इफ्तिखार अहमद ने शांतिपूर्ण संघर्ष समाधान के लिए इस्लामाबाद की प्रतिबद्धता पर जोर दिया।
उन्होंने अपने बयान में कहा, "हम संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुरूप और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की अपेक्षाओं के अनुरूप सामूहिक और समयबद्ध कार्रवाई के लिए सहयोग की भावना से परिषद के दूसरे सदस्यों के साथ मिलकर काम करेंगे।"
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान की अध्यक्षता ऐसे समय में आई है, जब अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरे बढ़ रहे हैं। राजदूत ने कहा, "पाकिस्तान ऐसे समय में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता संभालने जा रहा है, जब वैश्विक उथल-पुथल बढ़ रही है, अस्थिरता बढ़ रही है, संघर्ष बढ़ रहे हैं, भू-राजनीतिक और भू-रणनीतिक परिदृश्य जटिल है और अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे हैं।"
पाकिस्तान को क्या अधिकार मिले?
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष के तौर पर पाकिस्तान को कई अधिकार और जिम्मेदारियां मिलती हैं:
सभी औपचारिक और अनौपचारिक बैठकों की अध्यक्षता करना।
सुरक्षा परिषद के एजेंडे और प्राथमिकताओं को तय करने में भूमिका निभाना।
परिषद की ओर से प्रेस स्टेटमेंट और सार्वजनिक घोषणाएं जारी करना।
परिषद के सदस्यों के बीच बातचीत और तालमेल बैठाना।
अंतरराष्ट्रीय संकट की स्थिति में इमरजेंसी बैठक बुलाना।
प्रस्तावों और संकल्पों पर वोटिंग कराना।
सहायक समितियों के कामकाज की देखरेख करना।
हालांकि ये, अधिकार सीमित होते हैं और वीटो पावर सिर्फ स्थायी सदस्यों के पास ही होती है।
अध्यक्षता सिर्फ एक महीने की क्यों होती है?
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सभी सदस्य देशों को बराबर अवसर देने के लिए यह अध्यक्षता हर महीने बदलती है। यह वर्णमाला के क्रम पर आधारित होती है, जिससे सभी सदस्य बारी-बारी से नेतृत्व की भूमिका निभा सकें।
भारत पर क्या और कैसा होगा इसका असर?
ऐसी आशंका जताई जा रही है कि पाकिस्तान अपनी अध्यक्षता गलत फायदा एक बार फिर से कश्मीर का मुद्दा और भारत के साथ हाल ही में हुए संघर्ष को उठा सकता है।
द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत इस्लामाबाद के अध्यक्षता पद का मुकाबला करने के लिए एक रणनीति तैयार कर रहा है।
नई दिल्ली का ध्यान अपनी आर्थिक मजबूती और संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के प्रति समर्पण पर रहेगा। भारत सीमा पार आतंकवाद की ओर भी ध्यान आकर्षित करेगा।
भारत कब तक UNSC में रहा?
भारत जनवरी 2023 से UNSC का हिस्सा नहीं है। भारत ने पिछली बार 2021-22 की अवधि में गैर-स्थायी सदस्य के रूप में परिषद में सेवा दी थी।
अगला अध्यक्ष कौन होगा?
जुलाई में पाकिस्तान के बाद अगला देश इंग्लिश अल्फाबेट में “P” के बाद “R” आता है, यानी रूस (Russia) है। अगस्त 2025 में रूस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता करेगा।