Sheikh Hasina: 'धांधली, पक्षपातपूर्ण और...', मौत की सजा सुनाए जाने के बाद शेख हसीना की पहली प्रतिक्रिया

Sheikh Hasina: बता दें कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सोमवार को दो आरोपों में मौत की सजा सुनाई गई है। उन्हें ढाका की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने हत्या के लिए उकसाने और हत्या का आदेश देने का दोषी माना है

अपडेटेड Nov 17, 2025 पर 3:33 PM
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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सोमवार को दो आरोपों में मौत की सजा सुनाई गई है।

Sheikh Hasina:  बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने ढाका की अदालत द्वारा मौत की सजा सुनाए जाने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में फैसले को “धांधली, पक्षपातपूर्ण और राजनीति से प्रेरित” करार दिया है। हसीना ने कहा कि उनके खिलाफ दिया गया निर्णय न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है और यह सब राजनीतिक दुश्मनी के कारण किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि जिस मामले में सजा दी गई है, वह पूरी तरह झूठे आरोपों पर आधारित है।

बता दें कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सोमवार को दो आरोपों में मौत की सजा सुनाई गई है। उन्हें ढाका की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने हत्या के लिए उकसाने और हत्या का आदेश देने का दोषी माना है।

शेख हसीना का आया पहला बयान 


अपने बयान में शेख हसीना ने कहा कि अदालत का फैसला यह दिखाता है कि अंतरिम सरकार के अंदर मौजूद कट्टरपंथी लोग उन्हें और अवामी लीग को राजनीतिक रूप से खत्म करना चाहते हैं। हसीना के अनुसार, उनके खिलाफ लगाए गए आरोप, जो जुलाई-अगस्त 2024 में हुई छात्र-नेतृत्व वाली हिंसा से जुड़े बताए गए...पूरी तरह झूठे और बनावटी हैं। उन्होंने कहा कि फैसले तक पहुंचने की प्रक्रिया में न्याय के बुनियादी नियमों का भी पालन नहीं किया गया। हसीना ने लिखा कि उन्हें दोषी ठहराया जाना पहले से तय किया हुआ था। उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया का कोई ईमानदार और पेशेवर न्यायविद बांग्लादेश आईसीटी के ऐसे फैसलों का समर्थन नहीं कर सकता।

मुहम्मद यूनुस पर साधा निशाना 

शेख हसीना ने आरोप लगाया कि नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार अपनी नाकामियों से ध्यान हटाने के लिए अदालतों का दुरुपयोग कर रही है। उनके अनुसार, यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश अराजकता और हिंसा में घिर गया है, जहां अल्पसंख्यकों पर हमले, विरोध की आवाज़ों को दबाना और सरकारी सेवाओं का टूटना आम हो गया है। हसीना का कहना है कि उन्हें अपने बचाव का सही मौका भी नहीं दिया गया। न तो उन्हें अपनी वकील टीम चुनने दी गई और न ही अपने समर्थन में सबूत पेश करने की अनुमति मिली। उन्होंने चुनौती दी कि सरकार चाहे तो इस मामले को अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय में ले जाए। हसीना ने कहा, "मैं किसी भी निष्पक्ष अदालत में अपने आरोपियों का सामना करने से नहीं डरती, जहाँ सबूतों की ईमानदारी से जाँच हो सके।"

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