Sheikh Hasina Verdict: शेख हसीना को फांसी की सजा! पूर्व बांग्लादेशी प्रधानमंत्री पर क्या है 5 आरोप? कोर्ट ने सुनाई सजा-ए-मौत

Bangladesh Sheikh Hasina Verdict: बांग्लादेश से एक बड़ी खबर सामने आई है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को पिछले साल जुलाई में उनकी सरकार के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा के लिए मौत की सजा सुनाई गई है। पिछले साल 5 अगस्त को अपनी सरकार गिरने के बाद से भारत में रह रही 78 वर्षीय हसीना को इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने सजा सुनाई

अपडेटेड Nov 17, 2025 पर 5:38 PM
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Sheikh Hasina Death Penalty: बांग्लादेश से भागकर भारत में रह रहीं शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई गई है

Sheikh Hasina sentenced to death: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को पिछले साल जुलाई में व्यापक विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुए हिंसा के लिए सोमवार (17 नवंबर) को एक स्पेशल कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई। महीनों तक चले मुकदमे के बाद अपने फैसले में बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (ICT) ने 78 वर्षीय अवामी लीग नेता को हिंसक प्रदर्शन का मास्टरमाइंड और प्रमुख सूत्रधार बताया। इसमें सैकड़ों प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी।

पिछले वर्ष पांच अगस्त को उनकी सरकार के खिलाफ हुए बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के कारण बांग्लादेश से भागने के बाद से हसीना भारत में रह रही हैं। इससे पहले अदालत ने उन्हें भगोड़ा घोषित किया था। यह फैसला बांग्लादेश में संसदीय चुनावों से कुछ महीने पहले आया है।

हसीना की अवामी लीग पार्टी को फरवरी में होने वाले चुनावों में भाग लेने से रोक दिया गया है। ढाका में कड़ी सुरक्षा वाले कोर्ट रूम में फैसला पढ़ते हुए अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने बिना किसी संदेह के यह साबित कर दिया है कि पिछले साल 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों पर घातक कार्रवाई के पीछे हसीना का ही हाथ था।


संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 'जुलाई विद्रोह' के नाम से करीब एक महीने तक चले आंदोलन के दौरान 1,400 लोग मारे गए थे। हसीना को निहत्थे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ घातक बल प्रयोग का आदेश देने, भड़काऊ बयान देने और ढाका तथा आसपास के इलाकों में कई छात्रों की हत्या के लिए अभियान चलाने की अनुमति देने के लिए मौत की सजा सुनाई गई है।

क्या है ICT?

ICT की स्थापना मूल रूप से 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना के कट्टर सहयोगियों पर मुकदमा चलाने के लिए की गई थी। लेकिन वर्तमान प्रशासन ने इसमें संशोधन करके हसीना सहित पिछली सरकार के नेताओं को इसके अधिकार क्षेत्र में ला दिया। हसीना शासन के पतन के बाद से अधिकांश अवामी लीग नेता या तो गिरफ्तार कर लिए गए हैं। या फिर देश छोड़कर भाग गए हैं।

आईसीटी ने कहा कि भड़काऊ बयानों के माध्यम से हिंसा भड़काने और प्रदर्शनकारी छात्रों पर हमला करने वाले अपराधियों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने से हसीना ने मानवता के खिलाफ अपराध किया है। आदेश में कहा गया है कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों पर हेलीकॉप्टरों और घातक हथियारों के इस्तेमाल का भी आदेश दिया।

क्या है 5 आरोप?

आरोप 1: पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर मुख्य आरोप हिंसा के दौरान कथित हत्याओं के लिए आदेश देने का आरोप है। यह आरोप 2024 के विद्रोह के दौरान ढाका में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों की मौत पर केंद्रित है। अभियोजकों का तर्क है कि हसीना के निर्देश पर व्यवस्थित रूप से घातक बल का प्रयोग किया गया। उनके आदेश पर व्यापक हत्याएं हुईं जो मानवता के विरुद्ध अपराध के बराबर हैं।

आरोप 2: अभियोजकों का आरोप है कि प्रदर्शन के दौरान भीड़ नियंत्रण के दौरान हेलीकॉप्टरों और हवाई उपकरणों से गोला-बारूद दागा गया। कोर्ट में दिए गए हिंसा में बचे हुए लोगों की गवाही में प्रदर्शनों के दौरान ऊपर से गोलियों की बारिश होने का जिक्र है।

आरोप 3: आरोपों में बेगम रोकेया यूनिवर्सिटी के 22 वर्षीय छात्र कार्यकर्ता अबू सईद की हत्या भी शामिल है। इसे छात्र नेताओं के खिलाफ टारगेटेड हिंसा का एक प्रतीकात्मक उदाहरण माना गया है। पूर्व पीएम पर छात्र अबु सईद की हत्या के लिए आदेश देने का आरोप है।

आरोप 4: अभियोजन पक्ष का आरोप है कि पूर्व पीएम के आदेश पर प्रदर्शनकारियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। साथ ही अन्य को घायल कर दिया। वहीं, मारे गए प्रदर्शनकारियों के शवों को ढाका के बाहर अशुलिया में जला दिया गया ताकि हताहतों की संख्या छिपाई जा सके और उनकी पहचान न हो सके। हसीना के खेमे ने इस आरोप का पुरजोर खंडन किया है।

आरोप 5: पांचवां और फाइनल आरोप में हसीना और उनके सह-अभियुक्तों पर चंखरपुल में एक हमले का निर्देश देने का आरोप लगाया गया है। इस दौरान सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों द्वारा की गई कार्रवाई के दौरान कथित तौर पर छह निहत्थे प्रदर्शनकारियों की हत्या कर दी गई थी।

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