भारतीय मूल के स्टील उद्योगपति लक्ष्मी निवास मित्तल ने ब्रिटेन छोड़ने का बड़ा फैसला लिया है। यह कदम ऐसे समय में आया है जब ब्रिटेन की नई लेबर सरकार सुपर-रिच पर टैक्स बढ़ाने की योजना बना रही है। मित्तल का यह निर्णय न केवल उनके व्यक्तिगत हितों से जुड़ा है, बल्कि ब्रिटेन की टैक्स नीतियों और वहां के निवेश माहौल पर भी गहरी बहस छेड़ रहा है।
ब्रिटेन की चांसलर रैचेल रीव्स ने हाल ही में संकेत दिया था कि सरकार को लगभग 20 अरब पाउंड की वित्तीय कमी को पूरा करने के लिए अमीरों पर टैक्स बढ़ाना पड़ेगा। इसमें कैपिटल गेन टैक्स भी शामिल है। रिपोर्ट्स के अनुसार, यदि मित्तल ब्रिटेन में रहते और अपनी कंपनी के शेयर बेचते, तो उन्हें लगभग 3 अरब पाउंड टैक्स देना पड़ता। यही संभावित बोझ उनके प्रस्थान का सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है।
स्विट्जरलैंड और दुबई में नया ठिकाना
मित्तल पहले से ही स्विट्जरलैंड के टैक्स रेजिडेंट हैं। अब वे अपना अधिकांश समय दुबई में बिताने वाले हैं, जहां उनका पहले से ही एक आलीशान महल मौजूद है। हाल ही में उन्होंने दुबई के Naïa Island पर भी संपत्ति खरीदी है। यह स्पष्ट संकेत है कि वे ब्रिटेन से स्थायी रूप से दूरी बनाने की तैयारी कर चुके हैं।
लक्ष्मी मित्तल की कुल संपत्ति लगभग 15.4 अरब पाउंड आंकी गई है। वे 2025 के Sunday Times Rich List में ब्रिटेन के आठवें सबसे अमीर व्यक्ति हैं। राजस्थान में जन्मे मित्तल ने ArcelorMittal की स्थापना की थी, जो आज दुनिया की सबसे बड़ी स्टील कंपनी है। उनकी सफलता की कहानी भारतीय उद्यमशीलता का वैश्विक प्रतीक मानी जाती है।
ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था पर असर
मित्तल का ब्रिटेन छोड़ना केवल एक व्यक्ति का निर्णय नहीं है, बल्कि यह अमीरों के पलायन की बढ़ती प्रवृत्ति को दर्शाता है। कई अन्य अरबपति भी टैक्स सुधारों के चलते ब्रिटेन छोड़ने पर विचार कर रहे हैं। यदि यह सिलसिला जारी रहा तो ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था और निवेश माहौल पर दीर्घकालिक असर पड़ सकता है।
इस खबर ने वैश्विक वित्तीय जगत में नई हलचल पैदा कर दी है, खासकर तब जब लक्ष्मी मित्तल जैसे बड़े उद्योगपति अपनी संपत्ति और समय अन्य देशों में शिफ्ट कर रहे हैं।