1000 साल पुराने मंदिर को लेकर क्यों लड़ रहे थाईलैंड और कंबोडिया? 100 साल से भी ज्यादा पुराना विवाद, अब हो गई युद्ध की शुरुआत!

Thailand Cambodia War: यह विवाद एक शताब्दी से भी ज्यादा पुराना है, लेकिन मई महीने में तनाव तब और बढ़ गया जब एमराल्ड ट्रायंगल में थाई सैनिकों के साथ झड़प के दौरान एक कंबोडिया सैनिक की कथित तौर पर मौत हो गई। एमराल्ड ट्रायंगल एक विवादित बॉर्डर एरिया है, जिस पर थाईलैंड और कम्बोडिया दोनों ही अपना-अपना दावा जताते आए हैं

अपडेटेड Jul 24, 2025 पर 3:26 PM
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Thailand Cambodia War: कंबोडियाई सैनिक थाईलैंड के खिलाफ लड़ाई में इस्तेमाल के लिए हथियार तैयार करते हुए

एशिया के दो देश थाईलैंड और कंबोडिया में जंग छिड़ गई है। पिछले साल ही दोनों देशों ने थाई-कंबोडियन फ्रैंडशिप ब्रिज पर एक परमानेंट बॉर्डर चौकी खोली थी, लेकिन एक साल के भीतर ही भाईचारे ने दुश्मनी का रूप ले लिया। दो दक्षिण-पूर्व एशियाई पड़ोसियों के बीच क्षेत्र और 1,000 साल पुराने हिंदू मंदिर पर विवाद के कारण घातक संघर्ष छिड़ गया, जिसमें अबतक 10 से अधिक नागरिक और कई सैनिक मारे गए हैं। हालांकि, यह विवाद एक शताब्दी से भी ज्यादा पुराना है, लेकिन मई महीने में तनाव तब और बढ़ गया जब एमराल्ड ट्रायंगल में थाई सैनिकों के साथ झड़प के दौरान एक कंबोडिया सैनिक की कथित तौर पर मौत हो गई। एमराल्ड ट्रायंगल एक विवादित बॉर्डर एरिया है, जिस पर थाईलैंड और कम्बोडिया दोनों ही अपना-अपना दावा जताते आए हैं।

इसके बाद तीखी बयानबाजी हुई और दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर आक्रामक होने का आरोप लगाया। कंबोडिया के बड़े नेता और प्रधानमंत्री के पिता हुन सेन ने युद्ध की आशंका भी जताई थी। हुन ने 2023 में प्रधानमंत्री पद अपने बेटे को सौंप दिया था, लेकिन कंबोडिया में फैसले वही लेते हैं।

हुन सेन ने कहा, "हम युद्ध से नफरत करते हैं, लेकिन विदेशी आक्रमण का सामना करने पर हम युद्ध करने के लिए मजबूर हो जाते हैं।"


मामला कैसे बढ़ा?

युद्ध की आशंका के बीच जून में दोनों देशों ने सीमा के पास सैनिकों की संख्या बढ़ा दी, लेकिन जल्द ही मामला शांत हो गया। तनाव कम होने के बावजूद, दोनों देश एक दूसरे पर रणनीतिक हमला करते रहे, जैसे एक्सपोर्ट पर रोक लगाना और थाईलैंड का कंबोडिया की बिजली सप्लाई बंद करने की धमकी देना।

जुलाई में मामला तब चरम पर पहुंच गया जब एक बारूदी सुरंग में विस्फोट हुआ और उसमें पांच थाई सैनिक गंभीर रूप से घायल हो गए, जिसके लिए कंबोडिया को जिम्मेदार ठहराया गया। कंबोडिया ने इन दावों को निराधार बताते हुए कहा कि ये बारूदी सुरंगें पुराने युद्ध के समय की हैं।

इसके बाद थाईलैंड ने कंबोडिया के राजदूत को निष्कासित कर दिया और सभी बॉर्डर चेकपोस्ट बंद कर दिए। इस कारण दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध और भी ज्यादा खराब हो गए। कंबोडिया ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए बैंकॉक में अपने दूतावास को खाली करा लिया और राजनयिक संबंध और कम कर दिए।

थाईलैंड और कंबोडिया में जंग की शुरुआत

गुरुवार को बॉर्डर वाले सूरिन और ओद्दार मींचे प्रांतों के पास दोनों देशों के सैनिकों के बीच पहले गोलीबारी हुई, उसके बाद संघर्ष एकदम बढ़ गया। थाईलैंड का सी सा केत प्रांत सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ, जहां एक गैस स्टेशन पर गोलीबारी में छह नागरिक मारे गए।

सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में थाईलैंड में लोग अपने घरों से बाहर निकलकर धमाकों और गोलीबारी की आवाज के बीच कंक्रीट के बंकर में शरण लेते हुए दिखाई दे रहे हैं।

AP की रिपोर्ट के अनुसार, थाईलैंड के विदेश मंत्रालय ने आरोप लगाया कि कंबोडिया ने थाईलैंड में मिलिट्री और आम नागरिकों वाली दोनों जगहों पर रॉकेट दागे। इसमें सुरीन प्रांत का फानोम डोंग राक अस्पताल पर भी हमले का आरोप लगाया गया।

थाईलैंड ने जवाब में अपने F-16 लड़ाकू विमान तैनात करके कंबोडिया के बॉर्डर वाले इलाकों पर बमबारी की। कंबोडिया ने दावा किया कि इसमें दो नागरिक मारे गए।

बढ़ते तनाव को देखते हुए चीन ने दोनों देशों के बीच सुलह समझौता कराने का ऑफर भी दिया, लेकिन वो कहते हैं ना कि रायता और लड़ाई जितना मर्जी उतना बढ़ा लो। झड़पें बढ़ने पर थाईलैंड ने कंबोडिया में अपने नागरिकों से देश छोड़ने का आग्रह किया।

तनाव के पीछे का इतिहास

अब आते इस तनाव के इतिहास पर, तो थाईलैंड और कंबोडिया के बीच 800 किलोमीटर से ज्यादा लंबी जमीनी सीमा यानी लैंड बॉर्डर है। यह सीमा फ्रेंच कॉलोनाइजर ने खींची थी, जब उन्होंने 1863 से 1953 तक कंबोडिया पर राज किया था। 1907 में सीमा को लेकर एक समझौता हुआ था।

हालांकि, बाद में थाईलैंड ने इस नक्शे पर आपत्ति जताई और 11वीं शताब्दी के हिंदू मंदिर (प्रीह विहियर) को कंबोडियाई इलाके में रखे जाने पर आपत्ति जताई।

1959 में कंबोडिया ने यह मामला इंटरनेशनल कोर्ट में उठाया, जिसने उसके पक्ष में फैसला देते हुए कहा कि मंदिर कंबोडियाई इलाके में ही आता है। हालांकि, थाईलैंड ने उस समय इस आदेश को मान तो लिया, लेकिन उसने तर्क दिया था कि आसपास के बॉर्डर को लेकर अब भी विवाद है।

इसके बाद दोनों देशों के बीच संबंध 2008 में फिर खराब हो गए, जब कंबोडिया ने मंदिर को UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल कराने की कोशिश की। ये थाईलैंड को पसंद नहीं आया और वहां खूब विरोध प्रदर्शन हुआ और पिछले कुछ सालों में दोनों देशों के सैनिकों के बीच छिटपुट झड़पें होती रही हैं।

इस बार की झड़प से पहले, आखिरी बार कोई बड़ा टकराव 2011 में हुआ था। तब दोनों देशों के बीच एक हफ्ते तक चली लड़ाई में कम से कम 15 लोग मारे गए और हजारों नागरिकों को अपना घर बार छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। अब देखना होगा कि इस बार की लड़ाई कितनी लंबी चलती है।

Thailand-Cambodia War: थाईलैंड और कंबोडिया के सैनिकों के बीच भारी गोलीबारी, 11 लोगों की मौत

Shubham Sharma

Shubham Sharma

First Published: Jul 24, 2025 3:11 PM

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