Revenge Tax: ट्रंप सरकार ने निवेशकों के लिए एक टैक्स बिल पेश किया है। इस प्रस्तावित बदलाव के तहत अमेरिका को विदेशी निवेशकों पर 20% तक नया टैक्स लगाने का अधिकार मिलेगा। अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसे रिवेंज टैक्स भी कहा जा रहा है क्योंकि जो भी देश अमेरिका के साथ 'अनुचित' टैक्स लगाते हैं, इस टैक्स बिल के जरिए उनके निवेशकों पर अमेरिकी निवेश पर अधिक टैक्स लगाया जा सकता है। Deutsche Bank के एनालिस्ट George Saravelos का कहना है कि इस कानून से अभी दुनिया भर में अमेरिका ने जो ट्रेड वार शुरू किया है, वह कैपिटल वार में बदल सकता है। नए बिल के मुताबिक अतिरिक्त टैक्स 5% से शुरू होगा और विदेशी टैरिफ के हिसाब से 20% तक जा सकता है। टैक्सेशन पर कांग्रेस की ज्वाइंट कमेटी के मुताबिक इस टैक्स से 10 साल में 11.6 हजार करोड़ डॉलर इकट्ठा हो सकता है।
ये कमाई टैक्स बिल के दायरे में
नए प्रावधान के तहत डिविडेंड और ब्याज जैसी कुछ पैसिव इंवेस्टमेंट इनकम पर यह टैक्स लगाया जाएगा। इसके अलावा यह उन विदेशी कंपनियों के मुनाफे पर भी लगाया जा सकता है, जिनका अमेरिका में कारोबार है और वे अमेरिका के बाहर स्थित अपनी पैरेंट कंपनी को पैसे वापस भेजते हैं। अभी इस प्रस्ताव को एनालिस्ट्स और इकनॉमिस्ट्स समझने की कोशिश कर रहे हैं कि यह कैसे काम करेगा लेकिन इसके दायरे में ट्रेडरी में विदेशी निवेश नहीं आएगा। कांग्रेस की कमेटी के रिपोर्ट में फुटनोट में कहा गया है कि यह टैक्स पोर्टफोलियो ब्याज पर नहीं लागू होगा। यह अभी भी टैक्स-फ्री है। इस कैटेगरी में विदेशी को दिए जाने वाले ट्रेजरी पर ब्याज और पब्लिक मार्केट में ट्रेड होने वाले अन्य डेट शामिल हैं। इसका झटका यूरोपीय निवेशकों को लग सकता है क्योंकि बार्कलेज के एनासिट्स के मुताबिक पांच साल में यूरोपीय निवेशकों ने अमेरिकी स्टॉक मार्केट में करीब $20 हजार करोड़ डाले हैं।
किन देशों पर लगेगा अतिरिक्त टैक्स?
टैक्स बिल के तहत ऐसे मानक हैं जिससे यह तय होगा कि किसे अनुचित मानकर अतिरिक्क टैक्स लगाया जाए। ट्रेजरी डिपार्टमेंट ऐसे देशों की लिस्ट जारी करेगा और इसे अपडेट करेगा। जिन देशों पर यह टैक्स लगाया जा सकता है, उनमें वे देश शामिल हैं जो तकनीकी कंपनियों पर डिजिटल सर्विसेज टैक्स लगाते हैं, जैसे कि यूरोपीय संघ के कुछ देश और यूके। अमेरिकी के मौजूदा राष्ट्रपति ट्रंप और पूर्व राष्ट्रपति जो बिडेन इन टैक्सेज की आलोचना पहले ही कर चुके हैं क्योंकि इनके निशाने पर टेक इंडस्ट्री में दबदबा रखने वाली अमेरिकी कंपनियां हैं। यह प्रावधान उनद देशों पर भा लागू हो सकता है, जो बिडेन प्रशासन के समय बातचीत किए गए वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर समझौते के तहत कुछ कर लगाते हैं।