H-1B Visa Rules: H-1B वीजा पर ₹8800000 की फीस लगाने के बाद ट्रंप अब कुछ और नए नियम लाने की तैयारी में है। ट्रंप प्रशासन ने मंगलवार को H-1B वीजा कार्यक्रम में बड़े बदलावों का प्रस्ताव रखा है। इस नए प्रस्ताव का उद्देश्य मौजूदा लॉटरी प्रणाली को खत्म करना और अधिक सैलेरी पाने वाले कुशल कर्मचारियों को प्राथमिकता देना है। ये प्रस्तावित बदलाव व्हाइट हाउस द्वारा नए H-1B वीजा आवेदनों के लिए $100,000 की एकमुश्त फीस की घोषणा के कुछ ही दिनों बाद आए हैं।
अब सैलरी के आधार पर मिलेगा वीजा, खत्म होगी लॉटरी
संघीय रजिस्टर में जारी एक नोटिस के अनुसार, नए बदलावों का लक्ष्य उन कंपनियों के वीजा आवेदनों को प्राथमिकता देना है जो अधिक वेतन की पेशकश करती हैं। यदि आवेदनों की संख्या सालाना 85,000 की तय सीमा से अधिक हो जाती है, तो बेहतर वेतन पाने वालों को वरीयता दी जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि इस कदम का उद्देश्य कम वेतन वाले विदेशी पेशेवरों की भर्ती से अमेरिकी श्रमिकों के वेतन पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को रोकना है। यह योजना ट्रंप की व्यापक इमिग्रेशन नीतियों को सख्त करने और अमेरिकी श्रम बाजार को फिर से आकार देने की पहल का हिस्सा है।
$100,000 की फीस के ऐलान पर मच गई थी अफरातफरी
ट्रंप प्रशासन के इस नए प्रस्ताव से पहले पिछले हफ्ते अमेरिकी वाणिज्य सचिव हावर्ड लुटनिक की एक घोषणा से आईटी उद्योग में अफरातफरी मच गई थी। उन्होंने कहा था कि कंपनियों को प्रत्येक H-1B वीजा के लिए सालाना $100,000 का शुल्क देना होगा। इससे कंपनियों और वीजा धारकों में भ्रम और घबराहट फैल गई थी। हालांकि, व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लीविट ने शनिवार को यह स्पष्ट किया कि यह शुल्क एक एकमुश्त भुगतान होगा और केवल नए वीजा पर लागू होगा, न कि नवीनीकरण या वर्तमान वीजा धारकों पर।
H-1B वीजा का उपयोग आमतौर पर आईटी और आउटसोर्सिंग कंपनियां सॉफ्टवेयर इंजीनियरों, डेटा विश्लेषकों और वैज्ञानिकों जैसे कुशल विदेशी कर्मचारियों की भर्ती के लिए करती हैं। H-1B वीजा पाने वालों में सबसे अधिक संख्या भारतीय पेशेवरों की होती है। 2024 में अमेरिका ने लगभग 400,000 H-1B वीजा को मंजूरी दी थी। नए वीजा की मांग अभी भी आपूर्ति से अधिक है, और कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि नए नियमों और शुल्क स्ट्रक्चर को जल्द ही कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।