अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत पर दुनिया में सबसे अधिक टैरिफ वसूलने का आरोप लगाया है। मंगलवार को व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि कई दशकों तक भारत और अमेरिका के बीच का रिश्ता "वन-साइडेड" यानी एकतरफा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ का भी बचाव किया।
ट्रंप ने व्हाइट हाउस में कहा, "भारत के साथ हमारे रिश्ते बहुत अच्छे हैं, लेकिन कई सालों तक ये रिश्ता एकतरफा रहा। भारत हमसे जबरदस्त टैरिफ वसूल रहा था, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है, और इसलिए हम भारत के साथ ज्यादा व्यापार नहीं कर पा रहे थे। लेकिन वे हमारे साथ व्यापार कर रहे थे क्योंकि हम उनसे मूर्खतापूर्ण शुल्क नहीं वसूल रहे थे। हम उनसे टैरिफ नहीं वसूल रहे थे, इसलिए उन्होंने सब कुछ हमारे देश में भेज दिया।"
ट्रंप ने इससे पहले सोमवार दावा किया था कि भारत ने अमेरिका को टैरिफ "पूरी तरह से कम" करने का प्रस्ताव दिया है। लेकिन उन्होंने चेतावनी दी कि अब इसमें "बहुत देर हो चुकी है"। उन्होंने कहा कि भारत अपना ज्यादातर तेल और सैन्य उपकरण रूस से खरीदता है, जबकि अमेरिका से बहुत कम खरीदारी करता है।
उन्होंने आगे कहा कि भारत अपने सबसे बड़े "ग्राहक" अमेरिका को "भारी" मात्रा में सामान बेचता है, "लेकिन हम उन्हें बहुत कम बेचते हैं। अब तक यह पूरी तरह से एकतरफा रिश्ता रहा है, और यह कई दशकों से चला आ रहा है।" ट्रंप ने कहा कि उन्होंने अब टैरिफ को पूरी तरह से कम करने की पेशकश की है, लेकिन अब देर हो रही है। उन्हें ऐसा सालों पहले कर देना चाहिए था।
ट्रंप के ये बयान ऐसे समय में आए हैं जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में शामिल हो रहे हैं। यहां उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से द्विपक्षीय मुलाकात भी की।
अमेरिका का कड़ा रुख और भारत का जवाब
ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 25% का "रेसिप्रोकल टैरिफ" और रूस से तेल खरीद के चलते 25% की पेनाल्टी टैरिफ लगाई है। इससे भारत पर कुल टैरिफ अब 50% हो गया है, जो दुनिया में सबसे अधिक है।
भारत ने अमेरिकी टैरिफ को "अनुचित और गैर-जरूरी" बताया है और कहा है कि वह अपने राष्ट्रीय हित और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी कदम उठाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर साफ कहा है कि वे किसानों, पशुपालकों और छोटे उद्योगों के हितों से समझौता नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, "हम पर दबाव बढ़ सकता है, लेकिन हम इसे सहन करेंगे।"
वित्त वर्ष 2024-25 में भारत और अमेरिका के बीच कुल द्विपक्षीय व्यापार 131.8 अरब डॉलर रहा। इसमें भारत का निर्यात 86.5 अरब डॉलर और आयात 45.3 अरब डॉलर रहा।