Trump tariffs अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 15 जुलाई को ऐलान किया कि उन्होंने इंडोनेशिया के साथ एक टैरिफ समझौता किया है। इसके तहत इंडोनेशिया से अमेरिका में आने वाले उत्पादों पर अब 19% शुल्क लगेगा, जबकि अमेरिकी निर्यात पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप ने व्हाइट हाउस में पत्रकारों से कहा, “वे 19 प्रतिशत टैक्स देंगे और हम कुछ भी नहीं देंगे। हमें इंडोनेशिया तक पूरी पहुंच मिल रही है।”
यह घोषणा ऐसे समय आई है जब ट्रंप ने हाल ही में कई व्यापारिक साझेदारों को टैरिफ से जुड़ी चिट्ठियां भेजकर 1 अगस्त तक ड्यूटी बढ़ाने की चेतावनी दी थी। इन पत्रों का मकसद समझौतों पर दबाव बढ़ाना था। इन देशों में इंडोनेशिया भी शामिल था, जिसे अप्रैल में 32% टैरिफ की चेतावनी दी गई थी।
इंडोनेशिया ऐसा पहला देश बना है, जिसने ट्रंप के टैरिफ खत के बाद डील पर सहमति जताई है। समझौते में सिर्फ टैक्स कटौती ही नहीं, बल्कि अन्य वाणिज्यिक शर्तें और गैर-टैरिफ प्रतिबंधों से जुड़ी बातें भी शामिल होंगी। इंडोनेशिया की कोऑर्डिनेटिंग मिनिस्ट्री फॉर इकोनॉमिक अफेयर्स के सेक्रेटरी सुसिविजोनो ने बताया कि दोनों देश एक संयुक्त बयान तैयार कर रहे हैं, जिसमें इन बिंदुओं की जानकारी दी जाएगी।
व्यापार वार्ता और प्रस्ताव
इंडोनेशिया के मंत्री एयरलांगा हार्तर्तो ने पिछले सप्ताह अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधियों और मंत्रियों से मुलाकात की थी। इंडोनेशिया ने अमेरिकी आयातों के 70% पर जीरो या बहुत कम शुल्क लगाने का प्रस्ताव दिया था। साथ ही खनिज, ऊर्जा, कृषि और रक्षा क्षेत्रों में बिजनेस डील की पेशकश की थी। हालांकि ये प्रस्ताव ट्रंप को 32% इंडोनेशियाई टैरिफ कम करने के लिए काफी नहीं लगे।
इस डील के मायने क्या हैं?
अमेरिका और इंडोनेशिाय की डील ऐसे वक्त पर आई है, जब ट्रंप पहले भी कई बार टैरिफ और डेडलाइन को बदल चुके हैं। बाजार अभी भी उनकी घोषणाओं का विश्लेषण कर रहा है। ट्रंप के पोस्ट के बाद अमेरिका में ट्रेड होने वाले इंडोनेशिया ईटीएफ (iShares MSCI Indonesia ETF) में मंगलवार सुबह 0.7% की तेजी देखी गई, जबकि S&P 500 लगभग स्थिर रहा।
यह अमेरिका का टैरिफ वॉर के बीच चौथा अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौता है, जिसका ट्रंप ने ऐलान किया है। इससे पहले उन्होंने वियतनाम, ब्रिटेन और चीन के साथ भी समझौते की घोषणा की थी। हालांकि, इनमें से अधिकतर घोषणाएं शुरुआती स्तर पर ही हैं और लिखित दस्तावेजों की कमी के कारण इनमें स्पष्टता नहीं है।
जैसे कि वियतनाम के मामले में ट्रंप ने 20% टैरिफ की बात कही थी। लेकिन, वहां की सरकार इस घोषणा से अनजान थी और अब भी उस दर को कम करने की कोशिश कर रही है।