US Green Card: नेशनल गार्ड पर हमले के बाद एक्शन में ट्रंप प्रशासन! अमेरिका में इन 19 देशों के ग्रीन कार्ड होल्डर की होगी जांच, भारत के पड़ोसी देश भी शामिल

White House shooting News: ट्रंप प्रशासन ने एक आदेश में कहा है कि 19 देशों से अमेरिका में आए लोगों को जारी किए गए ग्रीन कार्ड की दोबारा समीक्षा होगी। यूनाइटेड स्टेट्स सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज के डायरेक्टर जोसेफ एडलो ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उन्हें निर्देश दिया है कि इन 19 देशों के व्यक्तियों के ग्रीन कार्ड की पूरी और सख्ती से फिर से जांच की जाए

अपडेटेड Nov 28, 2025 पर 10:18 AM
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White House shooting: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि फायरिंग से राष्ट्रीय सुरक्षा को बड़ा खतरा पैदा हो गया है

White House shooting: नेशनल गार्ड पर हमले के बाद ट्रंप प्रशासन ने 19 देशों के लोगों को जारी किए गए सभी ग्रीन कार्ड की फिर से जांच करने का आदेश दिया है। ट्रंप प्रशासन ने एक आदेश में कहा है कि 19 देशों से अमेरिका में आए लोगों को जारी किए गए ग्रीन कार्ड की दोबारा समीक्षा होगी। यूनाइटेड स्टेट्स सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज के डायरेक्टर जोसेफ एडलो ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उन्हें निर्देश दिया है कि इन 19 देशों के व्यक्तियों के ग्रीन कार्ड की पूरी और सख्ती से फिर से जांच की जाए।

यह पूछे जाने पर कि किन देशों के नागरिक इस लिस्ट में शामिल हैं? ट्रंप प्रशासन ने व्हाइट हाउस की जून में जारी एक घोषणा का हवाला दिया। अधिकारियों ने कहा कि 19 देशों की लिस्ट जून में राष्ट्रपति के ऐलान में दिए गए नाम शामिल हैं। इसमें इन देशों के नागरिकों की एंट्री पर पूरी या थोड़ी रोक लगाई गई थी।

एडलो ने X पर एक पोस्ट में कहा, "इस देश और अमेरिकी जनता की सुरक्षा सर्वोपरि है। अमेरिकी लोग पिछली सरकार की लापरवाही वाली पुनर्वास नीतियों की कीमत नहीं चुकाएंगे।" नयी नीति तुरंत प्रभाव से लागू हो गई है और 27 नवंबर 2025 या उसके बाद दायर किए गए अथवा लंबित सभी अनुरोधों पर लागू होगी।


इमिग्रेशन सर्विसेज ने एक बयान में कहा कि वाशिंगटन डीसी में बुधवार को अफगान नागरिक रहमानुल्लाह लकनवाल द्वारा दो नेशनल गार्ड सैनिकों पर की गई गोलीबारी के बाद एजेंसी ने नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसके तहत 19 उच्च जोखिम वाले देशों के नागरिकों की जांच में नकारात्मक, देश-विशिष्ट कारकों को शामिल किया जाएगा।

इन देशों में अफगानिस्तान, म्यांमा, बुरुंडी, चाड, कांगो गणराज्य, क्यूबा, इक्वेटोरियल गिनी, इरिट्रिया, हैती, ईरान, लाओस, लीबिया, सिएरा लियोन, सोमालिया, सूडान, टोगो, तुर्कमेनिस्तान, वेनेजुएला और यमन शामिल हैं। ये वही देश हैं, जिन्हें ट्रंप ने इस साल जून में जारी अपने आदेश में ट्रैवल बैन लिस्ट में रखा था।

इमिग्रेशन रिक्वेस्ट पर फिर रोक

अमेरिका ने अफगानिस्तान से सभी इमिग्रेशन रिक्वेस्ट को प्रोसेस करना भी रोक दिया है। ट्रंप प्रशासन की ओर से यह घोषणा उस हमले के बाद आई है, जिसमें एक अफगान नागरिक पर आरोप है कि उसने बुधवार को वॉशिंगटन डीसी में दो नेशनल गार्ड पर फायरिंग की।

इन हमलों में एक नेशनल गार्ड की मौत हो गई है। बीबीसी के मुताबिक, संदिग्ध रहमानुल्लाह लकनवाल 2021 में उस कार्यक्रम के तहत अमेरिका गया था, जिसमें अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद अफगानों को विशेष आप्रवासन सुरक्षा दी गई थी।

गुरुवार को ग्रीन कार्ड के रिव्यू के बारे में सोशल मीडिया पर पोस्ट किया। एडलो ने कहा कि इस देश और अमेरिकी लोगों की सुरक्षा सबसे जरूरी है। अमेरिकी लोग पिछली सरकार की लापरवाह पुनर्वास नीतियों का खर्च नहीं उठाएंगे। हालांकि उन्होंने साफतैर पर नेशनल गार्ड पर हमले का जिक्र अपनी पोस्ट में नहीं किया। एडलो ने यह जानकारी नहीं दी कि ग्रीन कार्ड की दोबारा जांच कैसी होगी।

ये हैं 19 देश

1. अफगानिस्तान

2. बर्मा

3. चाड

4. रिपब्लिक ऑफ द कांगो

5. इक्वेटोरियल गिनी

6. इरिट्रिया

7. हैती

8. ईरान

9. लीबिया

10. सोमालिया

11. सूडान

12. यमन

13. बुरुंडी

14. क्यूबा

15. लाओस

16. सिएरा लियोन

17. टोगो

18. तुर्कमेनिस्तान

19. वेनेजुएला

इसी साल जून में अमेरिका ने 12 देशों पर ट्रैवल बैन लगाया था। इसमें अफगानिस्तान, चाड, रिपब्लिक ऑफ कांगो, इक्वेटोरियल गिनी, इरीट्रिया, हैती, ईरान, लीबिया, म्यांमार, सोमालिया, सूडान और यमन शामिल हैं। इसके अलावा अमेरिका ने सात देशों बुरुंडी, क्यूबा, लाओस, सिएरा लियोन, टोगो, तुर्कमेनिस्तान और वेनेजुएला पर आंशिक प्रतिबंध लगा रखा है। इसके तहत यहां के नागरिक अमेरिका में स्थायी रूप से प्रवेश नहीं कर सकते या कुछ विशेष वीजा प्राप्त नहीं कर सकते।

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हालांकि, नई इमिग्रेशन नीति की फिलहाल आधिकारिक तौर पर घोषणा नहीं की गई है। लेकिन अगर ऐसा होता है, तो प्रतिबंधित देशों के लिए ग्रीन कार्ड पाना मुश्किल हो जाएगा। यह नीति कानूनी आव्रजन पर ट्रंप की कार्रवाई में एक बड़ी तेजी लाएगी। इसकी वजह से नागरिक अधिकार समूहों की ओर से नई कानूनी चुनौतियां पैदा हो सकती हैं।

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