अमेरिकी फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल (Jerome Powell) ने संकेत दिए हैं कि आने वाले महीनों में पॉलिसी एडजस्टमेंट्स हो सकते हैं। हालांकि उन्होंने इसे लेकर भी सतर्क किया है कि महंगाई बढ़ने का खतरा अभी भी बना हुआ है। अपने आठवें और फेडरल रिजर्व के प्रमुख के तौर पर अपने आखिरी भाषण में जेरोम पॉवेल ने अमेरिकी टैरिफ और सख्त इमिग्रेशन पॉलिसी से होने वाले खतरों को उजागर किया जिसने महंगाई और लेबर फोर्स ग्रोथ की सुस्ती का खतरा बढ़ाया है। यहां महंगाई, ब्याज दरों और अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर जेरोम पॉवेल के भाषण से पांच अहम बातों के बारे में बताया जा रहा है।
टैरिफ और इमिग्रेशन पॉलिसी अमेरिकी इकॉनमी के लिए नई चुनौती
जेरोम पॉवेल का कहना है कि हाई टैरिफ और सख्त इमिग्रेशन पॉलिसी अमेरिकी अर्थव्यस्था के लिए नई चुनौतियां बन गई हैं। उनका कहना है कि अमेरिका के कारोबारी साझेदारों पर हाई टैरिफ नया ट्रेडिंग सिस्टम बना रहा है तो सख्त इमिग्रेशन पॉलिसी लेबर फोर्स ग्रोथ को सुस्त कर रही है। हालांकि उनका कहना है कि टैक्स, खर्च और नियामकीय नीतियों में बदलावों का लॉन्ग टर्म में क्या असर होगा, इसे लेकर अभी कुछ नहीं कह सकते हैं।
धीरे-धीरे बढ़ रही महंगाई, दिखने लगा असर
जेरोम पॉवेल का कहना है कि हाई टैरिफ के चलते कुछ चीजों के दाम बढ़ना शुरू हो गए हैं और यह असर आने वाले महीनों में और अधिक देखने को मिलेगा। जेरोम पॉवेल का कहना है कि सप्लाई चेन और डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क पर इसका असर दिखने में अभी समय लगेगा। उन्होंने आश्वस्त किया कि महंगाई बढ़ने के आसार तो हैं लेकिन फेड ऐसी स्थिति को लंबे समय तक टिकने नहीं देगा।
2% के इंफ्लेशन टारगेट पर टिका है फेड
जेरोम पॉवेल ने जोर देकर कहा कि अमेरिकी फेड 2% के महंगाई दर के लक्ष्य को बनाए रखेगा। उन्होंने कहा कि यह ऐसा लेवल है जो पर्याप्त रूप से इतना कम है ताकि परिवारों और कारोबारियों के फैसलों को प्रभावित न करे, और फेड को मंदी के समय में नीतियों में ढील देने की गुंजाइश मिल सके।
ब्याज दरों में कटौती के संकेत
जेरोम पॉवेल का कहना है कि अमेरिकी सेंट्रल बैंक एक मुश्किल स्थिति का सामना कर रहा है जिसमें महंगाई के ऊपर जाने का खतरा बना हुआ है और रोजगार के नीचे आने का। उन्होंने आगे कहा कि ऐसी स्थिति में अमेरिकी फेड को अपनी दोहरी जिम्मेदारी-अधिकतम रोजगार और महंगाई को लेकर स्थिरता-के बीच संतुलन बनाना होगा। उन्होंने कहा कि अब नीतिगत दरें एक साल पहले की तुलना में न्यूट्रल के 100 बेसिस प्वाइंट्स करीब आ गई है और बेरोजगारी दर और लेबल मार्केट के बाकी मानकों की स्थिरता से नीतिगत बदलावों पर सतर्कता से आगे बढ़ने की सहूलियत मिल रही है। कुल मिलाकर अमेरिकी फेड ने इस बात के संकेत दिए हैं कि दरों में कटौती हो सकती है लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि फैसला सिर्फ आंकड़ों और इकनॉमिक आउटलुक पर इसके असर को लेकर ही फैसला होगा।
लेबर मार्केट में तेज दबाव के संकेत नहीं
अमेरिकी फेड के प्रमुख जेरोम पॉवेल का मानना है कि रोजगार की रफ्तार उम्मीद से तेज सुस्त हुई है लेकिन उनका यह भी मानना है कि लेबर मार्केट में अधिक दबाव नहीं है। उनका कहना है कि बेरोजगारी दर अभी भी ऐतिहासिक तौर पर कम है और पिछले कुछ वर्षों से स्थिर बना हुआ है। उन्होंने कहा कि जॉब छोड़ने, छंटनी, बेरोजगारी के मुकाबले वैकेंसी की संख्या और सैलरी की ग्रोथ के आंकड़े में हल्का ही बदलाव हुआ है और मामूली रूप से ही कम हुए हैं। उन्होंने जुलाई के आंकड़ों का भी उल्लेख किया जिसमें सामने आया कि पिछले तीन महीने में पेरोल जॉब ग्रोथ औसतन केवल 35 हजार प्रति माह की दर से सुस्त हुई जबकि पिछले साल 2024 में यह आंकड़ा 1.68 लाख था। उन्होंने कहा कि जुलाई में बेरोजगारी दर बढ़ी लेकिन अब भी यह ऐतिहासिक तौर पर 4.2% के निचले स्तर पर है और पिछले कुछ वर्षों से यह स्थिर बना हुआ है।