अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट (Scott Bessent) ने बुधवार को भारत की रूस से बढ़ी हुई तेल खरीद पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना को दोहराया। उन्होंने कहा कि रूस से रियायती कच्चे तेल खरीदर भारत 'मुनाफाखोरी' कर रहा है। हालांकि, बेसेंट ने द्विपक्षीय व्यापार संबंधों पर आशावादी रुख भी जताया।
भारत के साथ मुद्दे सुलझने की उम्मीद
बेसेंट ने कहा कि भारत को भरोसा है कि अंत में दोनों देशों के बीच समझौता हो जाएगा। बेसेंट ने यह भी उम्मीद जताई कि भारत और अमेरिका आखिर में सभी मुद्दे सुलझाकर एकमत हो जाएंगे। फॉक्स बिजनेस को दिए एक इंटरव्यू में बेसेंट ने कहा, 'आखिर में मुझे लगता है कि हम भारत के साथ आ जाएंगे और मिलकर आगे बढ़ेंगे।'
उन्होंने यह भी जोड़ा, 'राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के बीच बहुत अच्छे रिश्ते हैं। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था।'
50% टैरिफ के बीच आया बयान
अमेरिका की ओर बेसेंट का यह बयान उस समय आया है, जब ट्रंप प्रशासन ने भारत से आने वाले ज्यादातर सामानों पर 50 फीसदी तक का भारी टैरिफ लागू कर दिया है। इससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव और गहरा गया है।
फिर भी, अधिकारियों का कहना है कि बातचीत जारी है और दोनों पक्ष व्यापारिक चिंताओं और व्यापक रणनीतिक साझेदारी के बीच संतुलन साधने के लिए एक ढांचे की तलाश कर रहे हैं।
मोदी से बात की कोशिश कर रहे ट्रंप?
जर्मन अखबार Frankfurter Allgemeine Zeitung की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यापार टैरिफ विवाद के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कम से कम चार फोन कॉल्स का जवाब नहीं दिया। इससे उनकी नाराजगी का पता चलता है।
जापान के Nikkei Asia ने भी हाल ही में कहा था कि मोदी ने ट्रंप के कॉल्स से परहेज किया, जिससे ट्रंप की नाराजगी बढ़ी है। वहीं, टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए एक अमेरिकी राजनयिक ने कहा कि पीएम मोदी फोन पर बारीक बातचीत करना पसंद नहीं करते, लेकिन जर्मन रिपोर्ट की पुष्टि से इनकार किया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पहले ही बताया था कि 22 अप्रैल से 17 जून के बीच मोदी और ट्रंप के बीच कोई बातचीत नहीं हुई।