Interim Budget 2024: इनकम टैक्स एक्ट, 1961 का सेक्शन 80सी टैक्स सेविंग्स में बहुत मददगार रहा है। इसका फायदा इनकम टैक्स की ओल्ड रीजीम में मिलता है। इसके तहत कई इंस्ट्रूमेंट्स आते हैं, जिनमें निवेश कर डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। इस सेक्शन के तहत बच्चों की ट्यूशन फीस भी आती है। दो बच्चों की ट्यूशन फीस पर डिडक्शन क्लेम करने से टैक्स-लायबिलिटी काफी घट जाती है। इसके लिए टैक्सपेयर्स को अतिरिक्त इनवेस्टमेंट भी नहीं करना पड़ता है। इस टैक्स-बेनेफिट को कोई टैक्सपेयर्स छोड़ना नहीं चाहता है। सेक्शन 80सी (Section 80C) के तहत आने वाले किसी दूसरे इंस्ट्रूमेंट में निवेश कर टैक्स-बेनेफिट लेने से पहले बच्चों की ट्यूशन फीस पर मिलने वाली टैक्स-छूट का फायदा उठाना समझदारी है।
अंतरिम बजट 2024 में इनकम टैक्स में मिल सकती है राहत
अगर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी को पेश होने वाले अंतरिम बजट में इनकम टैक्स में ज्यादा राहत नहीं देती हैं तो भी इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स सेक्शन 80सी के तहत बच्चों की ट्यूशन फीस पर मिलने वाले डिडक्शन का पूरा फायदा उठाने पर फोकस कर सकते हैं।
पिछले साल बजट में नई टैक्स रीजीम में हुए थे बदलाव
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल बजट में टैक्स स्लैब में बदलाव किया था। यह बदलाव इनकम टैक्स की नई रीजीम में किया गया था। सालाना 7 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स-रिबेट देने का ऐलान वित्तमंत्री ने किया था। 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन देने का ऐलान हुआ था। सरकार का मकसद इनकम टैक्स की नई रीजीम का आकर्षण बढ़ाना था। इसका फायदा हुआ है। इनकम टैक्स की नई रीजीम का इस्तेमाल करने वाले टैक्सपेयर्स की संख्या बढ़कर 5.5 करोड़ हो गई है।
सालाना 7 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स नहीं
रिपोर्ट्स के मुताबिक, नई टैक्स रीजीम में स्विच करने वाले ज्यादातर टैक्सपेयर्स की सालाना टैक्सेबल इनकम 7 लाख रुपये तक है। टैक्सपेयर्स की संख्या का पता तभी चलेगा, जब फाइनेंशियल ईयर 2023-24 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न इस साल फाइल कर दिए जाते हैं। सरकार इनकम टैक्स की नई रीजीम को अट्रैक्टिव बनाने की कोशिश कर रही है। 7 लाख रुपये तक की सालाना इनकम वाले सैलरीड टैक्सपेयर की टैक्स लायबिलिटी इस रीजीम में जीरो हो जाती है। स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ 7.5 लाख सालाना इनकम वाले सैलरीड और पेंशनर्स की टैक्स लायबिलिटी जीरो हो जाती है।
ट्यूशन फीस पर डिडक्शन क्लेम करना है बहुत आसान
इनकम टैक्स की पुरानी रीजीम का इस्तेमाल करने वाले इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स भी बगैर किसी टैक्स-सेविंग इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश के अपनी टैक्सलायबिलिटी जीरो कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें पहले टैक्स-प्लानिंग की स्ट्रेटेजी बनानी पड़ेगी। सेक्शन 80सी के तहत म्यूचुअल फंडों की टैक्स-सेविंग्स स्कीम, PPF, बैंकों की टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट, लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी सहित कई इंस्ट्रूमेंट्स आते हैं। साथ ही दो बच्चों की स्कूल या कॉलेज की ट्यूशन फीस को भी इसमें शामिल किया गया है। ज्यादातर टैक्सपेयर्स बच्चों की स्कूल या कॉलेज की फीस चुकाते हैं।
तीन बच्चों की ट्यूशन फीस पर भी डिडक्शन
अगर किसी टैक्सपेयर के तीन बच्चे हैं तो माता-पिता मिलकर तीनों बच्चों की ट्यूशन फीस पर डिडक्शन का फायदा ले सकते हैं। इसकी वजह यह है कि माता और पिता में से प्रत्येक के लिए दो बच्चों की ट्यूशन फीस की लिमिट तय है। टैक्स कंसल्टेंसी फर्म चार्टर्ड क्लब के फाउंडर और चार्टर्ड अकाउंटेंट करण बतरा ने कहा, "पति दो बच्चों की ट्यूशन फीस पर डिडक्शन क्लेम कर सकता है। पत्नी तीसरे बच्चे की ट्यूशन फीस पर डिडक्शन क्लेम कर सकती है।" इसे एक उदाहरण की मदद से आसानी से समझा जा सकता है।
पैसा डिडक्शन क्लेम करने वाले टैक्सपेयर्स के अकाउंट से ट्रांसफर होना चाहिए
टैक्स कंसल्टेंसी फर्म टैक्सबीरबल के डायरेक्टर और चार्टर्ड अकाउंटेंट चेतन चंडाक ने कहा, "मान लीजिए बच्चों की ट्यूशन फीस 3 लाख रुपये है। ऐसी स्थिति में पति 1.5 लाख रुपये का डिडक्शन क्लेम कर सकता है। बाकी 1.5 लाख रुपये का डिडक्शन पत्नी क्लेम कर सकती है। इसमें यह ध्यान रखना है कि ट्यूशन फीस का पेमेंट उस टैक्सपेयर के अकाउंट से ट्रांसफर होना चाहिए, जो उस पर डिडक्शन क्लेम करना चाहता है।"