Interim Budget 2024: शुगर इंडस्ट्री की मिठास बढ़ाएंगी निर्मला सीतारमण, चीनी कंपनियों को उम्मीद

India Budget 2024: चीनी कंपनियों का मानना है कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण बजट में उनकी मांगें पूरी करेंगी। वित्तमंत्री 1 अप्रैल को अंतरिम बजट पेश करेंगी। शुगर इंडस्ट्री को उम्मीद है कि वित्तमंत्री शुगर का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाने सहित उनकी मांगें पूरी करेंगी

अपडेटेड Jan 31, 2024 पर 10:45 AM
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Budget 2024: आईएसएमए का कहना है कि सरकार ने फरवरी 2019 के बाद से शुगर का एमएसपी नहीं बढ़ाया है। इस बीच गन्ने का एफआरबी 2017-18 में 2,550 रुपये प्रति टन था, जो 2022-23 में बढ़ाकर 3,050 रुपये प्रति टन कर दिया गया।

Interim Budget 2024: शुगर इंडस्ट्री को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के यूनियन बजट (Union Budget) से कई उम्मीदें हैं। वित्तमंत्री 1 फरवरी को दिन में 11 बजे लोकसभा में अंतरिम बजट पेश करेंगी। यह उनका छठा यूनियन बजट होगा। चीनी बनाने वाली कंपनियों का मानना है कि वित्तमंत्री अंतरिम बजट में शुगर कंपनियों की मांगें पूरी करेंगी। चीनी कंपनियां गन्ना जूस से तैयार होने वाले इथॉनोल के लिए ज्यादा कीमत चाहती हैं। फेयर एंड रिम्यूनरेटिव प्राइस (FRP) में हुई वृद्धि के मुताबिक वे न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP) में भी वृद्धि चाहती हैं। पिछले महीने सरकार ने थोड़े समय तक रोक के बाद इथॉनोल के उत्पादन के लिए गन्ना जूस और बी-हेवी मौलेसेज के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी थी। लेकिन, उसने शुगर डायवर्जन के लिए 17 लाख टन की लिमिट तय कर दी है। यह सीमा शुगर सीजन 2023-24 के लिए तय की गई है, जो इस साल सितंबर में खत्म हो रहा है।

अंतरिम बजट 2024 में शुगर डायवर्जन बढ़ाने की मिल सकती है इजाजत

हाल में सरकार ने मक्का से तैयार होने वाले इथॉनोल पर इनसेंटिव का ऐलान किया था। इसके जरिए उसने संकेत दिया था कि वह इथॉनोल के उत्पादन के लिए गन्ना के ज्यादा इस्तेमाल के पक्ष में नहीं है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) की मांग है कि इथॉनोल के उत्पादन के लिए अतिरिक्त 10-12 लाख टन शुगर डायवर्जन की इजाजत दी जाए। उसने सरकार से इसके लिए गुजारिश की है। इथॉनोल के उत्पादन के लिए अतिरिक्त शुगर के इस्तेमाल की इजाजत देने के बाद भी शुगर का क्लोजिंग बैलेंस पर्याप्त होगा। इससे अगले सीजन के शुरुआती दो महीनों की मांग आसानी से पूरी की जा सकेगी।


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चीनी की एमएसपी में इजाफा चाहती है शुगर इंडस्ट्री

एसोसिएशन का यह भी कहना है कि पानी, न्यूट्रिएंट्स, जमीन के इस्तेमाल आदि के मामले में गन्ना का उत्पादन मक्के के उत्पादन के मुकाबले ज्यादा फायदेमंद है। इसलिए सरकार को गन्ना का उत्पादन बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए। उसने गन्ना जूस और बी-हेवी मौलेसेज सहित आदि से उत्पादित इथॉनोल की खरीद कीमतों में इजाफा करने की भी मांग सरकार से की है। एसोसिएशन का यह भी मानना है कि सरकार को शुगर का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 31 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़ाकर 38 रुपये प्रति किलोग्राम करनी चाहिए। सरकार ने फरवरी 2019 में शुगर का एमएसपी 31 रुपये प्रति किलोग्राम तय किया था।

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कई साल से नहीं बढ़ा है शुगर का एमएसपी

आईएसएमए का कहना है कि सरकार ने फरवरी 2019 के बाद से शुगर का एमएसपी नहीं बढ़ाया है। इस बीच गन्ने का एफआरबी 2017-18 में 2,550 रुपये प्रति टन था, जो 2022-23 में बढ़ाकर 3,050 रुपये प्रति टन कर दिया गया। एफआरपी वह कीमत है, जिस पर चीनी मिलों को किसानों से गन्ने की खरीद करनी पड़ती है।

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