Budget 2024: वित्तमंत्री 1 फरवरी, 2024 को यूनियन बजट में कई बड़े ऐलान कर सकती हैं। ये ऐलान इनकम टैक्स से जुड़े होंगे। सरकार का मानना है कि इनकम टैक्स के नियमों को और आसान बनाने की जरूरत है। खासकर कैपिटल गेंस टैक्स स्ट्रक्चर, कॉर्पोरेट टैक्स और पर्सनल इनकम टैक्स में रिफॉर्म्स जरूरी है। सरकार ने पिछले कुछ सालों में इस दिशा में कई बड़े कदम उठाए हैं। इनकम टैक्स की नई रीजीम की शुरुआत इसका उदाहरण है। सरकार ने इनकम टैक्स रिटर्न की फाइलिंग, प्रोसेसिंग और रिफंड में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बढ़ाया है। इससे टैक्सपेयर्स को बहुत फायदा हुआ है। प्री-फिल्ड आईटीआर फॉर्म में कई जानकारियां पहले से भरी होती हैं। टैक्सपेयर्स को उन्हें सिर्फ वेरिफाय करना होता है। रिफंड का पैसा अब बहुत जल्द टैक्सपेयर्स के बैंक अकाउंट में आ रहा है।
सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) के चेयरमैन नितिन गुप्ता ने कुछ समय पहले सीएनबीसी-टीवी 18 को बताया था कि सरकार ने फाइनेंस एक्ट 2023 में कैपिटल गेंस स्ट्रक्चर में कुछ बदलाव किए थे। यह प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी। हालांकि, उन्होंने इस बारे में ज्यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया था। उन्होंने यह जरूर कहा था कि अगला बजट एक अंतरिम बजट होगा। इसलिए कुछ कहना मुश्किल है। अभी बजट बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई है। इसलिए यह देखना होगा कि आगे चीजें किस तरह से बढ़ती हैं।
इनकम टैक्स में रिफॉर्म्स के बारे में उन्होंने कहा था कि सरकार का जोर सिस्टम को आसान बनाने पर रहा है। हम कॉर्पोरेट टैक्स के मामले में ऐसा देख चुके हैं। इंडिविजुअल टैक्स के मामले में भी चीजों को आसान बनाने के उपाय किए गए हैं। हम एग्जेम्प्शन-फ्री और डिडक्शन-फ्री की व्यवस्था बनाना चाहते हैं। यह प्रक्रिया जारी रहेगी। हमें बजट के बारे में कई सुझाव मिले हैं। अभी उन पर चर्चा और विमर्श चल रहा है। मैं इस मामले से जुड़े पक्षों से अपना सुझाव भेजने की गुजारिश करता हूं।
सरकार ने पिछले कुछ सालों में टैक्स रिफॉर्म्स पर फोकस बढ़ाया है। इसकी वजह यह है कि अब भी देश में इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने वाले लोगों की संख्या बहुत कम है। देश की आबादी 1.4 अरब है, लेकिन करीब 7 करोड़ लोग ही इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं। इसके अलावा इंडिया में टैक्स और जीडीपी का रेशियो भी बहुत कम है। यह करीब 5 फीसदी है, जबकि विकसित देशों में यह 25 फीसदी तक है। सरकार इनकम टैक्स फाइल करने वाले लोगों की संख्या बढ़ाने के साथ ही जीडीपी और टैक्स रेशियो बढ़ाने की भी कोशिश कर रही है।