Loksabha Chunav 2024: इस लोकसभा चुनाव में ‘मोदी की गारंटी’ बनाम कांग्रेस की ‘न्याय गारंटी’, ये मुद्दे रहेंगे गर्म
Loksabha Chunav 2024: यह चुनाव एक महत्वपूर्ण चरण का भी प्रतीक है, जिसे कई लोग बीजेपी और कांग्रेस के बीच ‘‘विचारधाराओं की लड़ाई’’ कहते हैं। दोनों पार्टियां अपने वैचारिक सिद्धांत लोगों के सामने रखेंगी और उनसे किसी एक को चुनने के लिए कहेंगी। इसमें BJP और प्रधानमंत्री की तरफ से दी गई 'मोदी की गारंट' (Modi Ki Guarantee) भी है और कांग्रेस और राहुल की 'न्याय गांरटी' (Nyay Guarantee) भी है
Loksabha Chunav 2024: इस लोकसभा चुनाव में ‘मोदी की गारंटी’ बनाम कांग्रेस की ‘न्याय गारंटी’
Loksabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव (Loksabh Elections 2024) की तारीखों का ऐलान हो चुका है। राजनीतिक दल इस चुनाव में कई मुद्दों और ‘गारंटी’ के सहारे जनता के बीच आक्रामक चुनाव अभियान चलाने की तैयारी में हैं। उन 10 प्रमुख मुद्दों पर रोशनी डालते हैं, जिन्हें अलग-अलग राजनीतिक दलों की ओर से चुनाव प्रचार के दौरान उठाए जाने की संभावना है। इसमें BJP और प्रधानमंत्री की तरफ से दी गई 'मोदी की गारंट' (Modi Ki Guarantee) भी है और कांग्रेस और राहुल की 'न्याय गांरटी' (Nyay Guarantee) भी है।
मोदी की गारंटी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका साफ संकेत दिया है कि इस चुनाव में उनके प्रचार अभियान का मुख्य विषय ‘मोदी की गारंटी’ रहने वाला है। प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के अनुसार, ‘मोदी की गारंटी’ युवाओं के विकास, महिलाओं के सशक्तीकरण, किसानों के कल्याण और उन सभी हाशिए पर पड़े और कमजोर लोगों के लिए एक गारंटी है, जिन्हें दशकों से नजरअंदाज किया गया है।
कांग्रेस की ‘न्याय गारंटी’: देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना के राज्य चुनावों में कुछ हद तक फायदा होता दिखा, जब उसने लोगों को ‘गारंटी’ दी। अब लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी ने युवाओं, किसानों, महिलाओं, श्रमिकों और आदिवासी समुदाय के लिए न्याय सुनिश्चित करने के साथ-साथ ‘भागीदार न्याय’ के मकसद से अपने घोषणा पत्र में अपनी 5 ‘न्याय' और 25 'गारंटी' की घोषणा की। मणिपुर से मुंबई तक राहुल गांधी की अगुवाई वाली ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान लोगों के सामने ‘न्याय की गारंटी’ पेश की गई है।
बेरोजगारी और महंगाई: कांग्रेस समेत ‘I.N.D.I.A.’ गठबंधन बेरोजगारी और जरूरी चीजों की बढ़ती कीमतों का मुद्दा उठाता रहा है। उन्होंने बार-बार कहा है कि नौकरियों की कमी सबसे बड़ा मुद्दा है और उन्होंने इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश भी की है। BJP ने रोजगार बढ़ोतरी और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का हवाला देते हुए पलटवार किया है। इस चुनावी मौसम में रोजी-रोटी से जुड़े इन मुद्दों पर बहस तेज होगी।
अनुच्छेद 370, CAA और समान नागरिक संहिता (UCC): ये तीनों मुद्दे BJP के लंबे समय से किए गए वादों में शामिल रहे हैं। भाजपा संशोधित नागरिकता अधिनियम, 2019 को लागू करने और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की अपनी उपलब्धि को पेश कर रही है। BJP के नेतृत्व वाली सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर ऐसा कानून तैयार करने के अपने मकसद के अग्रदूत के रूप में उत्तराखंड में भी समान नागरिक संहिता पर एक कानून पारित किया है। मोदी सरकार ने इन कदमों से यह दिखाने का प्रयास किया है कि वो जो कहती है वो करती है।
राम मंदिर: 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को BJP ने जबरदस्त उत्साह के साथ मनाया। BJP नेताओं ने सदियों पुराने सपने को साकार करने का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को दिया है। इस अवसर पर हिंदी भाषी राज्यों के ज्यादातर हिस्सों में भगवा झंडे फहराए गए और इसका प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया जा सकता है। यहां तक कि विपक्षी नेता भी मानते हैं कि राम मंदिर से बीजेपी को उत्तर भारत में फायदा हुआ है। विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी को कम से कम 370 सीटें मिलने का ज्यादातर भरोसा इसी ‘राम मंदिर लहर’ से पैदा हुआ है।
इलेक्टोरल बॉन्ड मामला: चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड का आंकड़ा सार्वजनिक कर दिया है। कांग्रेस ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना में कथित भ्रष्टाचार के लिए सत्तारूढ़ BJP के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से उच्च स्तरीय जांच और उसके बैंक अकाउंट को ‘फ्रीज’ करने की मांग की है। चुनाव से ठीक पहले यह मुद्दा सामने आया है और विपक्ष ने इसे हाथोंहाथ लिया है, लेकिन यह जमीनी स्तर पर काम करेगा या नहीं, यह अभी भी देखना बाकी है।
‘अमृत काल’ बनाम ‘अन्याय काल’ : चुनावी मौसम के दौरान बीजेपी का यह दावा होगा कि मोदी सरकार ने ‘अमृतकाल’ में सुशासन, तेज गति से विकास और भविष्य के लिए एक दृष्टिकोण का आश्वासन दिया है। दूसरी ओर, कांग्रेस ने मोदी सरकार के 10 सालों को ‘बेरोजगारी, बढ़ती कीमतें, संस्थाओं पर कब्जा, संविधान पर हमला और बढ़ती आर्थिक असमानताओं’ वाला ‘अन्याय काल’ करार दिया है।
किसानों के मुद्दे और MSP की कानूनी गारंटी: चुनाव से ठीक पहले दिल्ली के निकट किसानों का आंदोलन भी चर्चा में हावी रहने की संभावना है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने किसानों के साथ ‘‘विश्वासघात’’ किया है। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में किसानों को MSP की कानूनी गारंटी देने का वादा किया है। BJP नेता किसान नेताओं की चिंताओं को दूर करने के लिए उनसे बातचीत कर रहे हैं और वे आरोप लगाते रहे हैं कि कई आंदोलनकारी राजनीति से प्रेरित थे।
सरकार ने इस बात पर भी जोर दिया है कि कैसे उसकी ‘PM-KISAN’ योजना ने खेती करने वालों के जीवन को बदल दिया है। ज्यादातर चुनावों की तरह किसानों के मुद्दे इस बार भी महत्वपूर्ण होंगे।
विचारधाराओं का टकराव: यह चुनाव एक महत्वपूर्ण चरण का भी प्रतीक है, जिसे कई लोग बीजेपी और कांग्रेस के बीच ‘‘विचारधाराओं की लड़ाई’’ कहते हैं। दोनों पार्टियां अपने वैचारिक सिद्धांत लोगों के सामने रखेंगी और उनसे किसी एक को चुनने के लिए कहेंगी।
विकसित भारत का नजरिया: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि देश का लक्ष्य एक विकसित राष्ट्र बनना है। उन्होंने कहा है कि उनकी सरकार 2047 तक इस लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। विकसित भारत का दृष्टिकोण बीजेपी के चुनावी अभियान में महत्वपूर्ण रहने की संभावना है, जबकि विपक्ष इसे ‘‘एक और जुमला’’ करार दे रहा है। हालांकि, चुनाव अभियान के दौरान यह एक प्रमुख विषय बना रहेगा।