Loksabha Elections 2024: चुनाव आयोग (EC) ने गुरुवार को केंद्र को 'विकसित भारत संपर्क' (Viksit Bharat Sampark) के तहत बल्क में WhatsApp मैसेज भेजने पर तुरंत रोक लगाने का निर्देश दिया। इसके जरिए सरकार की ओर से की गई पहल और योजना की जानकारी लोगों तक पहुंचाई जाती है। मामले की शिकायत मिलने के बाद आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक्स और IT मंत्रालय को निर्देश जारी किया।
आयोग ने कहा, "यह कदम समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए आयोग की तरफ से लिए गए निर्णयों का एक हिस्सा है।" उसने मंत्रालय से इस मामले पर अनुपालन रिपोर्ट भी मांगी है।
मंत्रालय ने आयोग को सूचित किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पत्र के साथ मैसेज 16 मार्च को आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले भेजे गए थे।
मंत्रालय ने आयोग को भेजे एक पत्र में कहा, "उनमें से कुछ रिसीवर्स के पास हो सकता है सिस्टमैटिक और नेटवर्क लिमिटेशन के कारण ये मैसेज देरी से या 16 मार्च के बाद पहुंचा हो।"
चुनाव प्राधिकरण को कई शिकायतें मिली थीं कि आम चुनाव 2024 की घोषणा और MCC के लागू होने के बावजूद सरकार की पहलों को उजागर करने वाले ऐसे मैसेज अब भी नागरिकों के फोन पर भेजे जा रहे हैं।
कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने मैसेज पर आपत्ति जताई थी और चुनाव आयोग से आदर्श आचार संहिता के इस "घोर उल्लंघन" के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया था।
सोमवार को विपक्षी दलों ने WhatsApp पर लोगों को 'विकसित भारत' के निर्माण में समर्थन मांगने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पत्र मिलने का मुद्दा उठाया। पार्टियों ने इसे MCC का "घोर उल्लंघन" करार दिया, जो चुनाव की घोषणा के तुरंत बाद लागू हुआ।
कांग्रेस नेता ने शेयर किया पत्र
कई कांग्रेस नेताओं ने भी इस मुद्दे को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उठाया। X पर एक पोस्ट में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने वो पत्र शेयर किया, जो उन्हें अपने फोन पर मिला था।
उन्होंने लिखा, “यह WhatsApp मैसेज आज सुबह 12.09 बजे आया। ऐसा लगता है कि लयहइलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय से है। क्या यह आदर्श आचार संहिता और निजता के अधिकार दोनों का खुला उल्लंघन नहीं है।" तिवारी ने पूछा कि मंत्रालय को उनका मोबाइल नंबर कैसे मिला?
ECI ने 16 मार्च को लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा की। 2024 के लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल से 1 जून के बीच सात चरणों में होंगे, जबकि वोटों की गिनती 4 जून को होगी।