Election Commissioner Appointment: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ती पर रोक लगाने की मांग वाली अर्जियां खारिज कर दीं। शीर्ष अदालत अब बाद में विस्तृत आदेश पारित करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से इस बात पर भी सवाल उठाया कि सर्च कमेटी ने किस तेजी से उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट किया और किस तेजी से चयन समिति ने दो चुनाव आयुक्तों का चयन किया।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि वो चुने गए चुनाव आयुक्तों की योग्यता पर सवाल नहीं उठा रहा है, बल्कि उस प्रक्रिया पर सवाल उठा रहा है, जिसके तहत चयन किया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त अधिनियम, 2023 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र से छह हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा।
लोकसभा चुनाव 2024 से कुछ हफ्ते पहले कानून पर रोक लगाने की अर्जी पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की बेंच ने याचिकाकर्ताओं से कहा, “आप यह नहीं कह सकते कि चुनाव आयोग अधिकारियों के अधीन है।”
जस्टिस खन्ना ने शीर्ष अदालत के आदेश को साफ करते हुए कहा, "इस स्तर पर, हम कानून पर रोक नहीं लगा सकते हैं और इससे केवल अफरातफर मचेगी और अनिश्चितता पैदा होगी।"
फिलहाल दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ती पर रोक नहीं
यह देखते हुए कि नए नियुक्त किए गए चुनाव आयुक्तों - ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू - के खिलाफ कोई आरोप नहीं हैं, अदालत ने कहा कि यह नहीं माना जा सकता कि केंद्र की ओर से बनाया गया कानून गलत है।
नए कानून के तहत सिलेक्शन पैनल में बदलाव के बाद कुमार और संधू की नियुक्ति की गई।
बेंच ने कहा, “जिन व्यक्तियों को नियुक्त किया गया है, उनके खिलाफ कोई आरोप नहीं हैं। चुनाव नजदीक हैं। सुविधा का संतुलन बहुत महत्वपूर्ण है।”
याचिकाकर्ताओं - कांग्रेस कार्यकर्ता जया ठाकुर और एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स - ने शीर्ष अदालत से मांग की थी कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एक ऐसा पैनल करे, जिसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष का नेता और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया शामिल हों।
उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) अधिनियम के प्रावधान को चुनौती दी है, जो कहता है कि EC का चयन पीएम, केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और विपक्ष के नेता की तरफ से किया जाना है।