अजित पवार के बेटे से जुड़े जमीन विवाद मामले में FIR दर्ज, पार्थ पवार की कंपनी के पार्टनर का भी नाम शामिल

महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम पार्थ पवार पर अपनी कंपनी अमाडिया एंटरप्राइजेज का इस्तेमाल करके पुणे के कोरेगांव पार्क इलाके में 1,800 करोड़ रुपये की सरकारी जमीन सिर्फ 300 करोड़ रुपये में खरीदने का आरोप है। साथ ही स्टांप ड्यूटी में भी छूट दी गई है। पता चला है कि अमाडिया एंटरप्राइजेज के दो पार्टनर हैं, जिनमें पार्थ भी शामिल हैं

अपडेटेड Nov 07, 2025 पर 10:26 AM
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Pune Land Row: पुणे की 1,800 करोड़ रुपये की सरकारी जमीन सिर्फ 300 करोड़ रुपये में बेच दी गई!

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार से जुड़ी एक कंपनी से संबंधित 300 करोड़ रुपये के जमीन सौदे पर अनियमितताओं के आरोप लगे हैं। इससे राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। आरोप के बाद राज्य सरकार ने उच्च-स्तरीय जांच का आदेश देते हुए एक सब-रजिस्ट्रार को निलंबित कर दिया। इस बीच, पिंपरी चिंचवड़ पुलिस ने पार्थ पवार से जुड़ी कंपनी से संबंधित जमीन सौदे में तीन लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की है। इस बीच, NCR (एसपी) के वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे ने भूमि सौदे में कथित अनियमितताओं की जांच हाई कोर्ट के एक वर्तमान जज की निगरानी में कराने की मांग की।

उन्होंने यह भी कहा कि जांच पूरी होने तक अजित पवार को देवेंद्र फडणवीस सरकार से इस्तीफा दे देना चाहिए। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भूमि सौदे को "प्रथम दृष्टया गंभीर" बताते हुए गुरुवार को कहा कि उन्होंने संबंधित विभागों से मामले से जुड़ी जानकारी मांगी है। जबकि अजित पवार ने जोर देकर कहा कि उनका विवादास्पद सौदे से कोई लेना-देना नहीं है।

विपक्ष ने सत्तारूढ़ महायुति पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जमीन सौदे की न्यायिक जांच की मांग की। सत्तारूढ़ गठबंधन में बीजेपी, अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना शामिल हैं।


सब-रजिस्ट्रार निलंबित

सरकार ने एक सब-रजिस्ट्रार को निलंबित कर दिया है। साथ ही जमीन सौदे में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया है। अधिकारियों ने कहा कि फडणवीस के निर्देश पर गठित जांच समिति का नेतृत्व अपर मुख्य सचिव (राजस्व) विकास खड़गे करेंगे। पार्थ पवार ने अब तक इन आरोपों प्रतिक्रिया नहीं दी है।

क्या है पूरा मामला?

एक अधिकारी के अनुसार, पुणे के मुंडवा इलाके में सरकार की 40 एकड़ की 'महार वतन' जमीन को निजी कंपनी अमाडिया एंटरप्राइजेड एलएलपी को 300 करोड़ रुपये में बेचा गया। इस पर स्टांप शुल्क माफ कर दिया गया। इस कंपनी में पार्थ पवार एक साझेदार हैं। उन्होंने बताया कि सरकारी भूमि होने के कारण भूखंड को किसी निजी कंपनी को बेचा नहीं जा सकता।

संयुक्त जिला रजिस्ट्रार संतोष हिंगाने की शिकायत पर पिंपरी चिंचवड़ के बावधन पुलिस थाने में दिग्विजय पाटिल, शीतल तेजवानी और रवींद्र तारू के खिलाफ बीएनएस की धारा 316 (5) (लोक सेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात) और धारा 318 (2) (धोखाधड़ी) के तहत सरकारी खजाने को छह करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने के आरोप में FIR दर्ज की गई।

शिकायत में कहा गया है कि आरोपियों ने कथित तौर पर यह जानते हुए भी कि यह जमीन सरकार की है। इसे बेचने के लिए मिलीभगत की गई। जांच समिति यह पता लगाएगी कि सरकारी जमीन को एक निजी कंपनी को कैसे बेचा गया। साथ ही यह भी देखेगी कि छूट मानदंडों के अनुसार दी गई थी या नहीं।

राजस्व विभाग के सूत्रों ने दावा किया कि संपत्ति दस्तावेज में जमीन मुंबई सरकार के नाम पर है। पार्थ पवार के अलावा दिग्विजय पाटिल इस कंपनी में सह-साझेदार हैं। उनके नाम पर रजिस्ट्रेशन हुआ है। पार्थ पवार पर अपनी कंपनी अमाडिया एंटरप्राइजेज का इस्तेमाल करके पुणे के कोरेगांव पार्क इलाके में 1,800 करोड़ रुपये की सरकारी जमीन सिर्फ 300 करोड़ रुपये में खरीदने का आरोप है। साथ ही स्टांप ड्यूटी में भी छूट दी गई है। इस सौदे पर चुकाई गई स्टांप ड्यूटी कथित तौर पर सिर्फ 500 रुपये थी।

विपक्ष ने बोला हमला

विपक्ष ने भूमि सौदे को लेकर बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार पर हमला किया। कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने सौदे की न्यायिक जांच की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि सौदे से संबंधित फाइल सरकारी विभागों के माध्यम से रॉकेट की गति से आगे बढ़ी।

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कांग्रेस विधायक ने दावा किया कि कुछ घंटों के भीतर, उद्योग निदेशालय ने न केवल एक आईटी पार्क और डेटा सेंटर के लिए कंपनी को भूमि के हस्तांतरण को मंजूरी दी। बल्कि 21 करोड़ रुपये के स्टांप शुल्क को भी माफ कर दिया। शिवसेना (UBT) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने लातूर में कहा कि जांच से कुछ भी ठोस नहीं निकलेगा। सरकार अंततः इसमें शामिल लोगों को क्लीन चिट दे देगी।

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