अरंडी केवल स्वास्थ्य के लिए ही नहीं बल्कि मिट्टी और बागवानी के लिए भी बेहद लाभकारी है। इसके पत्तों का उपयोग न केवल पौधों को पोषण देने के लिए किया जा सकता है, बल्कि मिट्टी के जैविक संतुलन को बनाए रखने और उसकी उपजाऊ क्षमता बढ़ाने में भी मदद करता है। जब अरंडी के पत्ते गलते हैं, तो ये मिट्टी में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश जैसे महत्वपूर्ण तत्व छोड़ते हैं, जो पौधों की तेजी से वृद्धि में मदद करते हैं। इसके अलावा, पत्तों को पौधों के चारों ओर बिछाने से मिट्टी की नमी लंबे समय तक बनी रहती है, खरपतवार कम उगते हैं और पानी की बचत भी होती है।
अरंडी के पत्तों में पाए जाने वाले प्राकृतिक तत्व कीटों और हानिकारक जीवों को दूर रखते हैं। पारंपरिक खेती में इसके रस का इस्तेमाल बीजों को फफूंद और कीट से बचाने के लिए भी किया जाता है, जिससे अंकुरण बेहतर होता है।
मिट्टी में पोषक तत्वों की आपूर्ति
अरंडी के पत्ते गलने पर नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश जैसे जरूरी तत्व छोड़ते हैं। इन्हें सुखाकर मिट्टी में मिलाने से पौधे तेजी से बढ़ते हैं और मिट्टी उपजाऊ बनती है।
मिट्टी की नमी और खरपतवार पर नियंत्रण
पत्तों को पौधों के चारों ओर बिछाने से मिट्टी की नमी लंबे समय तक बनी रहती है, खरपतवार कम उगते हैं और पानी की बचत होती है। अरंडी के पत्ते जल्दी गलते हैं और कम्पोस्ट बनने की प्रक्रिया को तेज करते हैं, जिससे मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ती है।
पौधों के लिए मिनरल सपोर्ट
अरंडी के पत्तों के विघटन से मिट्टी में मैग्नीशियम, कैल्शियम और आयरन जैसे तत्व मिलते हैं, जो पत्तेदार पौधों के लिए लाभकारी हैं। इसके पत्तों की गंध और लेटेक्स कीटों, चूहों और घोंघों को दूर रखते हैं। मिट्टी में मिलाने से जड़ों की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है।
पौधों की जड़ें मजबूत और हरा-भरा होना
अरंडी के पत्तों का घोल जड़ों को मजबूत बनाता है, क्लोरोफिल बढ़ाता है और पौधों को ज्यादा हरा-भरा करता है।
सूक्ष्मजीवों और प्राकृतिक कीट नियंत्रण
सड़ी हुई पत्तियां मिट्टी को भुरभुरी और जैविक तत्वों से भरपूर बनाती हैं, जिससे सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ती है। इसमें पाए जाने वाले रिकिन और एल्कलॉइड कीटों को दूर रखते हैं। पत्तों का घोल प्राकृतिक कीटनाशक का काम करता है।
नीम की खली, गोबर या वर्मी कम्पोस्ट के साथ मिलाने से अरंडी के पत्तों का प्रभाव और भी बढ़ जाता है। पारंपरिक खेती में इसके रस का इस्तेमाल बीजों को फफूंद और कीटों से बचाने के लिए किया जाता है, जिससे अंकुरण बेहतर होता है।