अगर आप पशुपालक हैं और चारे के बढ़ते खर्च से परेशान हैं, तो अब चिंता छोड़िए। बरसीम घास आपके जानवरों के लिए सस्ता, पोषक और लंबे समय तक चलने वाला चारा है। सिर्फ 700-800 रुपये की लागत में इसे एक बीघा खेत में उगाकर आप तीन महीने तक चार से पांच जानवरों को हरा चारा खिला सकते हैं। ये घास न केवल पशुओं के स्वास्थ्य को सुधारती है, बल्कि उनके दूध उत्पादन और कार्य क्षमता को भी बढ़ाती है। कम कीमत में ज्यादा फायदा देने वाली इस खेती से आप महंगे चारे की टेंशन से मुक्त हो सकते हैं।
बरसीम घास से पशुओं की सेहत में जबरदस्त सुधार होता है और वे बीमारियों से दूर रहते हैं। अब वक्त आ गया है कि महंगे चारे पर पैसा बहाने की बजाय एक सस्ती और टिकाऊ खेती को अपनाया जाए।
बरसीम घास – पोषण से भरपूर चारा
बरसीम घास न केवल स्वादिष्ट और पौष्टिक होती है, बल्कि इसे खाने से पशु स्वस्थ रहते हैं और उनकी दूध देने की क्षमता भी बढ़ जाती है। यही कारण है कि पशुपालकों के बीच इसकी खेती तेजी से लोकप्रिय हो रही है।
बरसीम घास की अच्छी पैदावार के लिए तापमान 25 डिग्री सेल्सियस होना जरूरी है। उत्तर प्रदेश और अन्य सिंचित क्षेत्रों में अक्टूबर के अंत से नवंबर के पहले हफ्ते तक इसकी बुवाई करना सबसे अच्छा होता है। ठंड के मौसम में ये फसल 4 से 8 बार कटाई योग्य हो जाती है, जिससे लगातार ताजा चारा उपलब्ध रहता है।
क्यारी तैयार करें और उसमें लगभग 5 सेंटीमीटर पानी भरें।
बीजों को पानी भरी क्यारी में छिड़क कर बो दें।
24 घंटे बाद अतिरिक्त पानी निकाल दें ताकि बीज सही तरीके से अंकुरित हो सकें।
जहां धान की कटाई में देरी हो, वहां धान की खड़ी फसल में ही छिड़काव विधि से बुवाई करें, जिसे उतेरा विधि कहा जाता है।
पहली सिंचाई बीज अंकुरण के तुरंत बाद करें।
ठंड के मौसम में हर 15-20 दिन में एक बार पानी दें।
फरवरी के बाद हर 10 दिन में एक सिंचाई करें।
प्रत्येक कटाई के बाद पानी देना जरूरी होता है, लेकिन ध्यान रखें कि एक बार में 5 सेंटीमीटर से ज्यादा पानी न दें।
बरसीम घास से मिलेंगे कई फायदे
पशुओं का स्वास्थ्य बेहतर होता है।
कम खर्चे में अधिक चारे की उपलब्धता रहती है।
खेतों की उर्वरक क्षमता भी सुधरती है।
अगर आप भी कम लागत में हरा चारा उगाकर अपने पशुओं को सेहतमंद रखना चाहते हैं, तो बरसीन घास की खेती आपके लिए बेहतरीन विकल्प हो सकती है।