सिर्फ एक एकड़ में सालाना लाखों की कमाई! यह पौधा बना देगा आपको अमीर!

Patchouli farming tips: छत्तीसगढ़ के किसान अब परंपरागत फसलों से हटकर औषधीय पौधों की ओर बढ़ रहे हैं। इनमें पचौली खास है, जो कम लागत में अधिक मुनाफा देती है। इसकी खेती आसान है और इससे निकलने वाला तेल दवाइयों, इत्र व कॉस्मेटिक उत्पादों में भारी मांग वाला है, जिससे किसान सालभर अच्छी आमदनी कमा सकते हैं

अपडेटेड Nov 03, 2025 पर 1:47 PM
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Patchouli farming tips: एक एकड़ खेती से प्रति वर्ष औसतन 40 किलो तेल का उत्पादन होता है।

छत्तीसगढ़ के किसान अब अपनी खेती के तौर-तरीकों में बदलाव ला रहे हैं। परंपरागत धान और सब्ज़ियों की जगह अब वे ऐसी फसलों की ओर बढ़ रहे हैं जो कम खर्च में ज्यादा मुनाफा दें। इन्हीं में से एक है ‘पचौली’, जो अपनी तेज सुगंध और औषधीय गुणों के कारण चर्चा में है। इस पौधे से निकलने वाला तेल दवाओं, इत्र और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स में काम आता है। खास बात ये है कि इसकी खेती में ज्यादा मेहनत या महंगे रसायनों की जरूरत नहीं होती, फिर भी किसानों को इससे सालभर में कई बार कमाई हो जाती है।

छत्तीसगढ़ औषधि पादप बोर्ड भी किसानों को इस दिशा में प्रोत्साहित कर रहा है ताकि राज्य हर्बल खेती का केंद्र बन सके। कम लागत, स्थायी उत्पादन और बढ़ती बाजार मांग ने पचौली को किसानों के लिए नई उम्मीद की फसल बना दिया है।

क्या है पचौली?


पचौली एक औषधीय और सुगंधित पौधा है, जिसका उपयोग इत्र, दवाइयों और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स में किया जाता है। इस पौधे से प्राप्त तेल की अंतरराष्ट्रीय बाजार में जबरदस्त मांग है। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ औषधि पादप बोर्ड भी किसानों को इसकी खेती के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।

रोपाई का सही समय और मौसम

पचौली की खेती के लिए अगस्त से अक्टूबर का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है। ये पौधा गर्म और नम जलवायु में तेजी से विकसित होता है। एक एकड़ भूमि में करीब 12 हजार पौधों की जरूरत होती है। अच्छी मिट्टी और नियमित नमी इसकी वृद्धि के लिए जरूरी है, जबकि देखभाल के मामले में ये अन्य फसलों की तुलना में आसान है।

3 से 4 साल तक देता है निरंतर उत्पादन

इस पौधे की एक बड़ी खूबी ये है कि ये लगातार 3 से 4 वर्षों तक उत्पादन देता रहता है। हर 4 से 5 महीने में इसकी कटाई की जा सकती है। यानी किसान साल में कई बार इससे आय अर्जित कर सकते हैं। इसकी पत्तियों से निकाला गया तेल बाजार में बेहद कीमती माना जाता है।

खेती में कम लागत

एक एकड़ पचौली की खेती में कुल लागत करीब 50 हजार रुपये आती है, जिसमें पौध, श्रम, खाद और सिंचाई शामिल हैं। खास बात ये है कि इसमें ज्यादा रासायनिक खाद या कीटनाशकों की जरूरत नहीं होती, जिससे ये ऑर्गेनिक खेती के अनुकूल है। यही वजह है कि पर्यावरण प्रेमी किसान भी इसकी ओर आकर्षित हो रहे हैं।

पचौली तेल की खासियत

पचौली के पत्तों से भाप आसवन विधि (steam distillation) के जरिए तेल निकाला जाता है। इस तेल का उपयोग अरोमा थेरेपी, दवा निर्माण, परफ्यूम और कॉस्मेटिक उद्योग में होता है। इसकी प्राकृतिक सुगंध लंबे समय तक टिकी रहती है, जो इसे महंगे ब्रांड्स का पसंदीदा बनाती है।

किसानों की बढ़ी आमदनी

एक एकड़ खेती से प्रति वर्ष औसतन 40 किलो तेल का उत्पादन होता है। बाजार में पचौली तेल की कीमत करीब ₹3500 प्रति लीटर है। इस तरह किसान सालाना 1.25 से 1.5 लाख रुपये तक की आय प्राप्त कर सकते हैं।

हर्बल हब बनने की कोशिश

विशेषज्ञों का कहना है कि यदि राज्य के अधिक किसान पचौली और अन्य औषधीय पौधों की खेती शुरू करें, तो छत्तीसगढ़ भारत का प्रमुख हर्बल प्रोडक्शन हब बन सकता है। इससे न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, बल्कि राज्य में प्राकृतिक खेती को भी नई दिशा मिलेगी।

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