किसान सालों से धान, गेहूं और मक्का जैसी पारंपरिक फसलों की खेती करते आ रहे हैं। ये फसलें हमेशा उनकी आमदनी का मुख्य स्रोत रही हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में मौसम की अनिश्चितताओं ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। कभी बारिश कम पड़ती है तो कभी बहुत अधिक, कभी सूखा तो कभी बाढ़, इन प्राकृतिक आपदाओं की वजह से फसलें बर्बाद हो जाती हैं और किसान भारी नुकसान झेलते हैं। इसी कारण किसान अब जोखिम कम करने और बेहतर मुनाफा कमाने के लिए नई, लाभकारी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं। ऐसी फसलें न केवल कम समय में तैयार होती हैं, बल्कि कम लागत में भी अच्छी आय देती हैं।
इसके अलावा, इन फसलों की खेती में आधुनिक तकनीक और सरकारी योजनाओं का लाभ लेने से किसानों की आमदनी और भी बढ़ सकती है। इस बदलाव से किसान आर्थिक रूप से सशक्त होने के साथ-साथ अपने जीवन में स्थिरता भी पा सकते हैं।
स्ट्रॉबेरी ने बढ़ाई किसानों की दिलचस्पी
हाल के वर्षों में देखा गया है कि कई किसान स्ट्रॉबेरी की खेती में रुचि दिखा रहे हैं। ये फसल कम जगह और कम समय में अच्छी आमदनी दे सकती है। गया जिले में भी किसानों ने इस फसल की पैदावार बढ़ा दी है।
दीपक कुमार की सफलता की कहानी
परैया प्रखंड के रजोई रामपुर गांव के दीपक कुमार लोकल 18 से बात करते हुए बताया पहले झारखंड के कोडरमा में कोचिंग चलाते थे, लेकिन उससे परिवार का खर्चा नहीं चल पा रहा था। कृषि विभाग के सलाह पर उन्होंने 6 कट्ठे से स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की। तीन साल में उनकी खेती बढ़कर लगभग तीन एकड़ तक पहुंच गई।
स्ट्रॉबेरी की कीमत और बिक्री आसान
बाजार में स्ट्रॉबेरी की कीमत लगभग 600-700 रुपये प्रति ट्रे है। इसकी मांग बहुत ज्यादा है और फल आसानी से दुकानदारों को बेच दिए जाते हैं। दीपक बताते हैं कि ये नकदी फसल है और बेचने में ज्यादा परेशानी नहीं होती।
सिर्फ 6 महीने में इस फसल से अच्छी आमदनी हो सकती है। पौधे सितंबर-अक्टूबर में लगाए जाते हैं और नवंबर से फल मिलने लगते हैं। प्रति एकड़ स्ट्रॉबेरी से लगभग 4 लाख रुपए की कमाई की जा सकती है।
मशरूम की खेती से अतिरिक्त आय
दीपक स्ट्रॉबेरी के साथ-साथ मशरूम की खेती भी करते हैं। इससे उन्हें हर सीजन में 2 से 3 लाख रुपए तक की अतिरिक्त आमदनी होती है।