सागवान का पेड़ आमतौर पर जंगलों में देखा जाता है, लेकिन अब किसान भाई इसे अपने खेतों में लगाने की तरफ तेजी से बढ़ रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण इसकी लकड़ी की कीमत और मार्केट में इसकी लगातार बनी रहने वाली मांग है। सागवान की लकड़ी मजबूत, टिकाऊ और दीमक-पानी से सुरक्षित होती है, इसलिए ये फर्नीचर, दरवाज़े, खिड़कियां और लक्ज़री इंटीरियर बनाने के लिए सबसे ज्यादा पसंद की जाती है। यही वजह है कि इसे “ग्रीन गोल्ड” कहा जाता है। सागवान की खेती न सिर्फ लंबे समय तक स्थिर आमदनी देती है, बल्कि यह किसानों के लिए कम मेहनत में अच्छी कमाई का साधन भी बन जाती है।
इसके अलावा, यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है, क्योंकि इसे लगाने से खेत की मिट्टी सुरक्षित रहती है और खेत के किनारों को मजबूती मिलती है। इसलिए आज किसान भाई सागवान के पौधे लगाने में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
सागवान की लकड़ी बहुत मजबूत होती है और सालों-साल खराब नहीं होती। पानी या दीमक से इसका कोई नुकसान नहीं होता। यही कारण है कि इससे प्रीमियम फर्नीचर, किचन कैबिनेट, दरवाजे, खिड़कियां और लक्जरी शोरूम का सामान बनाया जाता है। इसकी टिकाऊ गुणवत्ता और आकर्षक बनावट के कारण इसकी कीमत सामान्य लकड़ियों से कई गुना ज्यादा मिलती है।
लंबी अवधि की कमाई का बेहतरीन विकल्प
यदि किसान भाई लंबे समय तक स्थिर आय चाहते हैं तो सागवान पेड़ एक बेहतरीन विकल्प है। एक बार पौधा लगाने के बाद यह 15 से 20 साल में पूरी तरह परिपक्व हो जाता है और इसकी लकड़ी लाखों रुपये में बिक सकती है। कई किसान बताते हैं कि एक पेड़ से 40 हजार से 1 लाख रुपये तक की आमदनी हो जाती है, वो भी बिना ज्यादा मेहनत के।
खेत के किनारों और खाली जगह का उपयोग
सागवान का पौधा खेत के किनारों या खाली जगहों पर आसानी से लगाया जा सकता है। इससे मुख्य फसल पर कोई असर नहीं पड़ता और खाली पड़ी जमीन का भी फायदा उठाया जा सकता है। इसके अलावा, खेत की मेड़ें मजबूत होती हैं और मिट्टी का कटाव भी कम होता है। ये किसान के लिए अतिरिक्त आमदनी का रास्ता खोल देता है।
सागवान को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती। सामान्य बारिश वाले क्षेत्रों में ये आसानी से बढ़ जाता है। शुरुआत के दो साल तक पौधे की थोड़ी देखभाल जरूरी होती है—सिंचाई और खरपतवार साफ करना। इसके बाद पेड़ खुद-ब-खुद तेजी से बढ़ने लगता है और ज्यादा मेहनत की जरूरत नहीं पड़ती।
आज बाजार में सागवान की कीमत लगातार बढ़ रही है, इसलिए इसे लगाना बिल्कुल सही समय है। कई सरकारी और निजी नर्सरी में इसके पौधे आसानी से उपलब्ध हैं। किसान मनरेगा, कृषि वानिकी या वन विभाग की योजनाओं के तहत भी पौधे ले सकते हैं। सागवान की खेती न केवल आर्थिक रूप से लाभदायक है, बल्कि ये पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है। ये किसान के लिए लंबी अवधि में आय का स्थिर स्रोत और खेत की स्थायित्व बढ़ाने वाला “ग्रीन गोल्ड” साबित हो सकता है।