सर्दियों के साथ ही सब्जियों की खेती में कई बदलाव देखने को मिलते हैं, खासकर पत्ता गोभी जैसी फसलों में, जिनकी बुवाई का समय बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। क्षेत्र में कई किसान समय रहते अपनी फसल लगा चुके हैं, लेकिन कुछ किसान जो थोड़ी देर से खेत तैयार कर पाते हैं, उनके मन में हमेशा ये डर बना रहता है कि देर से बोई गई फसल ठीक से बढ़ पाएगी या नहीं। यही वजह है कि हर साल देरी से बुवाई करने वाले किसान दुविधा में रहते हैं और जोखिम उठाने से हिचकिचाते हैं। ऐसे समय में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा सुझाई गई नई तकनीक किसानों के लिए बड़ी राहत साबित हो रही है।
ये तरीका न केवल देरी से की गई बुवाई को सुरक्षित बनाता है, बल्कि फसल की गुणवत्ता और पैदावार पर भी कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ने देता। इस तकनीक को अपनाकर किसान बिना चिंता अपनी खेती को आगे बढ़ा सकते हैं।
कैसे करें देर से पत्ता गोभी की बुवाई?
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार देर से बुवाई करने वाले किसानों को सिर्फ बीज बोने की विधि में थोड़ा बदलाव करना होगा।
ये तकनीक पारंपरिक तरीके से अधिक सुरक्षित मानी जा रही है। मेड़ों पर बोई गई फसल में जड़ों को बेहतर हवा, नमी और पोषण मिलता है, जिससे गोभी का आकार बड़ा और ज्यादा आकर्षक होता है।
मिट्टी की नमी और पोषण क्यों है जरूरी?
विशेषज्ञ बताते हैं कि मेड़ों पर बुवाई करने से:
इस विधि से किसान बेहतर गुणवत्ता की गोभी पैदा कर सकते हैं, जिससे बाजार में उन्हें अधिक दाम मिलने की संभावना भी बढ़ जाती है।
कृषि वैज्ञानिक डॉ. सुशील लोकल 18 से बात करते हुए बताते हैं कि इस तकनीक से देर से बुवाई करने पर भी कोई जोखिम नहीं है।
डॉ. सुशील के मुताबिक, ये तरीका कम लागत में अधिक लाभ देने वाला साबित हो सकता है। फसल अच्छी बनेगी तो किसान बाजार में बेहतर भाव पाकर अच्छी कमाई भी कर पाएंगे।
कन्नौज के किसानों के लिए ये तकनीक सर्दियों की खेती में एक नई राहत लेकर आई है। अब देर से बुवाई करने पर भी उन्हें फसल खराब होने का डर नहीं रहेगा। कृषि वैज्ञानिकों की सलाह मानकर किसान न सिर्फ पैदावार बढ़ा सकते हैं बल्कि अपनी आमदनी में भी बड़ा सुधार कर सकते हैं।