Cultivation tips: ये पौधा बनेगा किसानों की कमाई का नया जरिया, जानें कैसे बढ़ रहा मुनाफा

Cultivation tips: खेती से अच्छी कमाई का रास्ता तलाश रहे किसानों के लिए सर्पगंधा एक भरोसेमंद औषधीय फसल बनकर उभरी है। इसकी जड़ों की बाजार में लगातार मांग रहती है, जिससे किसान कम लागत में बेहतर आय हासिल कर सकते हैं। सही मिट्टी और तकनीक अपनाकर इसकी खेती बेहद लाभदायक साबित होती है

अपडेटेड Nov 30, 2025 पर 1:00 PM
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Cultivation tips: सर्पगंधा को हल्की छाया पसंद है और यह 18-24 महीनों में तैयार होता है।

खेती से अच्छी आमदनी की तलाश में किसान अक्सर ऐसे विकल्प ढूंढते हैं जो न केवल लाभकारी हों बल्कि लंबे समय तक स्थायी आय भी दे सकें। ऐसे में सर्पगंधा की खेती एक बेहतरीन विकल्प के रूप में सामने आती है। यह औषधीय पौधा स्वास्थ्यवर्धक गुणों से भरपूर है और इसके उपयोग से हाई ब्लड प्रेशर, तनाव और अन्य कई समस्याओं में लाभ मिलता है। खास बात ये है कि सर्पगंधा की सूखी जड़ों की बाजार में मांग साल भर बनी रहती है, जिससे किसान निरंतर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। सर्पगंधा की खेती के लिए बलुई और दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। खेत में पानी का जमी होना नुकसानदायक हो सकता है, इसलिए सही सिंचाई और देखभाल जरूरी है।

बेड बनाकर पौधे लगाने से उनकी जड़ों को पर्याप्त हवा और पोषण मिलता है। इसके अलावा, दूसरी फसल के साथ सर्पगंधा लगाकर किसान अपनी आय को दोगुना कर सकते हैं, जिससे खेत का उपयोग भी पूरी तरह से होता है और आर्थिक रूप से मजबूती आती है।

खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी और देखभाल


कृषि विशेषज्ञ डॉ. दीपक मेहंदी रत्ता बताते हैं कि सर्पगंधा की खेती के लिए बलुई और दोमट मिट्टी सबसे सही रहती है। खेत में पानी जमा नहीं होना चाहिए, क्योंकि अधिक नमी से पौधा खराब हो सकता है। बेड बनाकर पौधे लगाने से जड़ों को हवा मिलती है और उनका विकास बेहतर होता है।

डबल क्रॉपिंग से ज्यादा मुनाफा

सर्पगंधा को हल्की छाया पसंद है और ये 18-24 महीनों में तैयार होता है। अगर इसके साथ मक्का या एलोवेरा जैसी दूसरी फसल लगाई जाए, तो खेत का पूरा इस्तेमाल हो जाता है। मक्का जल्दी तैयार होकर आय देती है, जबकि सर्पगंधा लंबे समय में बड़ी कमाई सुनिश्चित करता है।

बाजार में लगातार मांग

सर्पगंधा की जड़ों का मूल्य पूरे साल अच्छा रहता है। उचित देखभाल और मिट्टी की मदद से किसान कम लागत में बेहतर पैदावार हासिल कर सकते हैं। दूसरी फसल के साथ लगाने पर खेत की कुल उत्पादकता भी बढ़ जाती है, जिससे दोहरी आमदनी का मौका मिलता है।

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