Capsicum cultivation: बस ये आसान एक्सपर्ट टिप्स अपनाएं और शिमला मिर्च से कमाएं लाखों!

Capsicum cultivation: गोंडा जिले में किसान अब पारंपरिक फसलें छोड़कर नई और ज्यादा लाभदायक फसलों की ओर बढ़ रहे हैं। खासतौर पर शिमला मिर्च (कैप्सिकम) की खेती लोकप्रिय हो रही है। यह फसल थोड़ी देखभाल मांगती है, लेकिन सही तकनीक अपनाने पर बंपर पैदावार और अच्छी आमदनी संभव है

अपडेटेड Nov 11, 2025 पर 12:03 PM
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Capsicum cultivation: गोंडा में पॉलीहाउस या नेट हाउस में शिमला मिर्च की खेती ज्यादा सफल रहती है।

गोंडा जिले में अब किसान पारंपरिक फसलों की बजाय नई और ज्यादा लाभदायक फसलों की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। इनमें शिमला मिर्च (कैप्सिकम) की खेती सबसे ज्यादा लोकप्रिय हो रही है। ये फसल थोड़ी मेहनत मांगती है, लेकिन अगर सही तकनीक और देखभाल की जाए तो किसान को बंपर पैदावार के साथ अच्छी कमाई भी मिल सकती है। कृषि विशेषज्ञ डॉ. अवनीश कुमार मिश्रा लोकल 18 से बात करते हुए बताते हैं कि गोंडा का मौसम और मिट्टी शिमला मिर्च की खेती के लिए बिल्कुल उपयुक्त है। ठंडा और मध्यम तापमान, हल्की दोमट मिट्टी और अच्छी जल निकासी पौधों की बढ़त और फसल की गुणवत्ता को बेहतर बनाते हैं।

सही समय पर बीज तैयार करना, पौधों की नियमित देखभाल, सिंचाई और खाद का ध्यान रखने से किसान अपनी आमदनी कई गुना बढ़ा सकते हैं। शिमला मिर्च की पूरे साल बाजार में मांग होने की वजह से ये फसल स्थिर आय का स्रोत भी बनती है। अगर आप भी अपने खेत से अधिक मुनाफा चाहते हैं और पैदावार बढ़ाना चाहते हैं, तो शिमला मिर्च सही और लाभकारी विकल्प साबित हो सकती है।

मौसम और मिट्टी का चयन


शिमला मिर्च ठंडे और मध्यम तापमान वाले मौसम में अच्छी तरह उगती है। अत्यधिक गर्मी या कड़ाके की ठंड इसके उत्पादन पर नकारात्मक असर डाल सकती है। दोमट या हल्की बलुई मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है, बशर्ते पानी की निकासी सही हो।

बीज और पौध तैयार करना

बंपर फसल के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले बीज जरूरी हैं। किसान को हाइब्रिड और रोग-प्रतिरोधी किस्म का चुनाव करना चाहिए। बीजों को 20–25 दिन पहले नर्सरी या ट्रे में तैयार करें। जब पौधे लगभग 15 सेंटीमीटर के हो जाएं, तभी खेत में रोपाई करनी चाहिए।

सिंचाई और खाद का ध्यान

शिमला मिर्च को लगातार नमी चाहिए। इसके लिए ड्रिप सिंचाई प्रणाली सबसे उपयुक्त है। इससे पानी की बचत होती है और पौधों को बराबर नमी मिलती रहती है। खाद में गोबर की सड़ी खाद, वर्मी कम्पोस्ट और नीम खली का इस्तेमाल लाभकारी है। ये मिट्टी को उर्वर बनाए रखता है और फसल को जैविक बनाता है।

पॉलीहाउस या नेट हाउस में खेती

विशेषज्ञ कहते हैं कि गोंडा में पॉलीहाउस या नेट हाउस में शिमला मिर्च की खेती ज्यादा सफल रहती है। तापमान और नमी पर नियंत्रण रहता है और कीट व बीमारियों से बेहतर सुरक्षा मिलती है। ऐसे संरक्षित ढांचे में पैदावार खुली खेती की तुलना में कई गुना बढ़ जाती है।

बाजार और मुनाफा

शिमला मिर्च की मांग पूरे साल बनी रहती है, खासकर होटलों, रेस्टोरेंट्स और सब्जी मंडियों में। गोंडा के आसपास के शहरों जैसे लखनऊ और फैजाबाद में भी इसका बड़ा और स्थिर बाजार है। सही तकनीक अपनाने पर एक बीघा खेत से 80 हजार से 1 लाख रुपये तक का मुनाफा मिल सकता है।

एक्सपर्ट की सलाह

डॉ. अवनीश कुमार मिश्रा बताते हैं कि समय-समय पर पौधों की देखभाल, जैविक दवाओं का छिड़काव और मिट्टी की जांच कराते रहने से शिमला मिर्च की पैदावार कई गुना बढ़ाई जा सकती है।

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