जिन किसानों ने समय पर गेहूं की बुवाई की है, उनकी फसल अब उस अहम चरण में पहुंच चुकी है, जहां पहली सिंचाई की जाती है। यह समय सिर्फ खेत में पानी देने तक सीमित नहीं होता, बल्कि फसल की स्थिति को परखने का भी होता है। कई बार बुवाई के बाद मौसम, नमी या अन्य कारणों से गेहूं का जमाव एकसार नहीं हो पाता और खेत में कुछ जगह खाली रह जाती है। अगर इस स्थिति को नजरअंदाज कर दिया जाए, तो आगे चलकर इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ सकता है। अच्छी पैदावार के लिए खेत में पौधों की संख्या का संतुलन बना रहना बेहद जरूरी माना जाता है। यही वजह है कि पहली सिंचाई के दौरान किसानों को खेत का निरीक्षण जरूर करना चाहिए।
अगर कहीं पौधे कम नजर आएं, तो इसी समय गैप फिलिंग करके उस कमी को पूरा किया जा सकता है। सही समय पर किया गया यह छोटा सा काम आगे चलकर बेहतर उपज और अच्छे मुनाफे की नींव रख सकता है।
गैप फिलिंग क्यों है जरूरी
अगर खेत में गेहूं के पौधे कम रह जाते हैं, तो सीधा असर उत्पादन पर पड़ता है। खाली जगह रह जाने से बालियों की संख्या घट जाती है और पैदावार कम हो जाती है। कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर के कृषि विशेषज्ञ डॉ. एन.पी. गुप्ता बताते हैं कि पर्याप्त पौध संख्या अच्छी उपज की सबसे बड़ी कुंजी है।
पहली सिंचाई के समय करें गैप फिलिंग
अगर किसी वजह से गेहूं का जमाव कमजोर रहा है, तो पहली सिंचाई के वक्त छींटा विधि से गैप फिलिंग जरूर करें। इससे खेत में पौधों की संख्या पूरी हो जाएगी और फसल का विकास समान रूप से होगा।
गैप फिलिंग करने का सही तरीका
जब पहली सिंचाई के बाद खेत में इतनी नमी रह जाए कि मिट्टी पैर में चिपके नहीं, तब खाली जगहों को पहचानें। कुदाल या नुकीले लोहे से हल्की नाली बनाएं, उसमें एक-एक बीज डालें और ऊपर से मिट्टी बराबर कर दें। तरीका आसान है, बस सही समय का ध्यान रखें।
गैप फिलिंग करते समय ध्यान रखें कि वही गेहूं की किस्म दोबारा बोई जाए, जो पहले से खेत में लगी है। अलग किस्म बोने से दाने में मिलावट हो सकती है, जिससे मंडी में भाव कम मिलने का खतरा रहता है। सही किस्म अपनाने से उपज भी साफ रहती है और दाम भी अच्छे मिलते हैं।
सही देखभाल से मिलेगा पूरा उत्पादन
अगर किसान पहली सिंचाई के साथ गैप फिलिंग सही तरीके से कर लेते हैं, तो फसल मजबूत होती है और उत्पादन में कोई कमी नहीं आती। थोड़ी सी सावधानी और सही तकनीक से गेहूं की पैदावार को बेहतर बनाया जा सकता है।