मिर्च की खेती आज के समय में किसानों के लिए सबसे फायदेमंद और कम खर्चीला विकल्प बन गई है। बाजार में मिर्च की कई किस्मों के बीज आसानी से उपलब्ध हैं, जिससे किसान अपनी सुविधा और मांग के अनुसार सही किस्म का चयन कर सकते हैं। मिर्च की फसल को उगाने में बहुत अधिक निवेश की आवश्यकता नहीं होती और इसका रखरखाव भी अपेक्षाकृत आसान है। ड्रिप इरिगेशन और नियमित पोषण के जरिए किसान कम मेहनत में बेहतर उत्पादन पा सकते हैं। इसके अलावा, मिर्च की फसल पर बीमारियों और कीटों का खतरा कम रहता है, जिससे नुकसान की संभावना भी कम हो जाती है। बाजार में मिर्च की डिमांड हमेशा बनी रहती है और कीमतें अच्छी मिलने की संभावना अधिक होती है।
अगर किसान सही समय पर रोपाई, खाद और दवा का ध्यान रखे, तो मिर्च की खेती से अच्छा मुनाफा अर्जित किया जा सकता है, जिससे ये खेती छोटे और बड़े दोनों किसानों के लिए आकर्षक विकल्प बन जाती है।
मिर्च की फसल पर बीमारियों का खतरा कम रहता है और इसकी कीमत बाजार में अच्छी मिलती है। खासकर ड्रिप इरिगेशन विधि से खेती करने पर फसल बेहतर होती है।
लोकल 18 की टीम ने किंग वैरायटी की मिर्च की खेती कर रहे समलु कश्यप से बातचीत की। उन्होंने बताया कि उन्होंने आधा एकड़ में मिर्च की खेती की है। खेत में तीन-चार बार जोताई की गई और रोटावेटर से मिट्टी को भुरभुरी किया गया। इसके बाद 5 फीट की दूरी वाले बेड तैयार किए गए और पौधों के बीच 1 फीट की दूरी रखी गई। नर्सरी से पौधे रोपित किए गए।
रोपाई के समय गोबर खाद, सुपर फॉस्फेट और डीएपी बेसल डोज में डाला गया। पौधों की बढ़वार शुरू होने पर अमोनियम सल्फेट, पोटाश और मैग्नीशियम (12:61) दिया गया।
फसल 7-8 महीने की होती है और ये बरसाती वैरायटी है। इसमें थ्रिप्स, माइट्स और सिमो डिस जैसे कीटों के लिए डेलीगेट और प्लेसीवा दवाओं का छिड़काव किया जाता है।
किंग वैरायटी की मिर्च से 2 से 2.5 लाख रुपए तक का मुनाफा हुआ। यदि बाजार में रेट अच्छा मिले, तो मुनाफा और भी ज्यादा बढ़ सकता है।