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Kailash Mansarovar Yatra 2025: गुड न्यूज! 30 जून से फिर शुरू होगी कैलाश मानसरोवर यात्रा, शिवभक्त 5 साल बाद कर सकेंगे बाबा बर्फानी के दर्शन

Kailash Mansarovar Yatra 2025: उत्तराखंड सरकार और भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने एक संयुक्त बयान में बताया कि इस साल पांच साल के अंतराल के बाद पवित्र कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू होने जा रही है। तीर्थयात्रियों का पहला जत्था 30 जून से आध्यात्मिक यात्रा शुरू करने वाला है। यात्रा के जरिए शिवभक्त बाबा बर्फानी के दर्शन कर सकेंगे

Akhilesh Nath Tripathiअपडेटेड Apr 26, 2025 पर 3:08 PM
Kailash Mansarovar Yatra 2025: गुड न्यूज! 30 जून से फिर शुरू होगी कैलाश मानसरोवर यात्रा, शिवभक्त 5 साल बाद कर सकेंगे बाबा बर्फानी के दर्शन
Kailash Mansarovar Yatra 2025: कैलाश मानसरोवर यात्रा इस साल 30 जून से अगस्त तक होगी

Kailash Mansarovar Yatra 2025: बाबा बर्फानी के भक्तों के लिए बहुत ही बड़ी न्यूज है। कैलाश मानसरोवर यात्रा इस साल जून से फिर शुरू होने जा रही है। कैलाश मानसरोवर यात्रा पर भारत चीन में सहमति बन चुकी है। कैलाश मानसरोवर यात्रा इस साल 30 जून से शुरू होगी। यात्रा का संचालन उत्तराखंड सरकार और विदेश मंत्रालय के संयुक्त प्रयास से किया जाएगा। हालांकि, पांच साल बाद शुरू हो रही कैलाश मानसरोवर यात्रा के जरिए शिवभक्त बाबा बर्फानी के दर्शन कर सकेंगे। मानसरोवर यात्रा कोरोना महामारी के कारण साल 2020 से संचालित नहीं हो पाई थी।

उत्तराखंड सरकार और भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) के बीच नई दिल्ली में हुई एक अहम बैठक के बाद यह घोषणा की गई। बयान में कहा गया, "इस साल पांच साल के अंतराल के बाद पवित्र कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू होने जा रही है। तीर्थयात्रियों का पहला जत्था 30 जून से आध्यात्मिक यात्रा शुरू करने वाला है।"

हिंदुओं, बौद्धों, जैनियों और बॉन धर्म के भक्तों के लिए काफी महत्व रखने वाली यह तीर्थयात्रा आखिरी बार 2019 में आयोजित की गई थी। कोविड-19 महामारी के कारण इसे 2020 में निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद भारत-चीन के बीच क्षेत्रीय सीमा तनाव के कारण इसमें और देरी हुई। अधिकारियों ने पुष्टि की है कि भारतीय अधिकारियों के निरंतर प्रयासों के कारण इस साल यात्रा आखिरकार फिर से शुरू होगी।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, "राज्य और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर मजबूत समन्वय और प्रतिबद्धता के माध्यम से तीर्थयात्रा को फिर से संभव बनाया गया है।" यह मार्ग उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में 17,000 फुट ऊंचे लिपुलेख दर्रे से होकर पारंपरिक मार्ग से गुजरेगा। भोजन, आवास, परिवहन और मेडिकल व्यवस्था सहित जमीनी संचालन का प्रबंधन करने के लिए कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) को नोडल एजेंसी नियुक्त किया गया है।

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