Vaishakh Amavasya 2025: जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और पितृ तर्पण के नियम

Vaishakh Amavasya 2025: सनातन धर्म में वैशाख अमावस्या का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और पितरों की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। श्रद्धालु पवित्र नदी में स्नान कर दान करते हैं। नाराज पितरों को मनाने के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं, जिससे पूर्वजों की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है

अपडेटेड Apr 26, 2025 पर 7:55 AM
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Vaishakha Amavasya 2025: पितरों को प्रसन्न करने के लिए वैशाख अमावस्या का दिन बेहद शुभ माना जाता है।


सनातन धर्म में अमावस्या तिथि को विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व प्राप्त है, और वैशाख माह की अमावस्या का स्थान इनमें सर्वोच्च माना गया है। ये दिन भगवान विष्णु और पितरों की पूजा-अर्चना के लिए बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा और विधिपूर्वक पूर्वजों का तर्पण, पिंडदान और पूजन करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर दान-पुण्य करने का विशेष फल बताया गया है। जिन व्यक्तियों को जीवन में बार-बार अड़चनों, आर्थिक तंगी या पारिवारिक कलह जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उनके लिए ये दिन पितरों की कृपा प्राप्त करने का उत्तम अवसर होता है।

वैशाख अमावस्या पर किए गए पुण्य कर्म न केवल आत्मिक शांति देते हैं, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करते हैं।

कब है वैशाख अमावस्या 2025?

वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख अमावस्या इस वर्ष 27 अप्रैल 2025 को मनाई जाएगी। ये तिथि 27 अप्रैल की सुबह 4:49 बजे शुरू होकर 28 अप्रैल की रात 1 बजे तक रहेगी। इसलिए वैशाख अमावस्या का पर्व 27 अप्रैल को मनाया जाएगा।

अमावस्या का महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार, अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण, पिंडदान और पूजा करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही ये दिन पितृ दोष शांति के लिए भी उपयुक्त होता है। यदि पितृ प्रसन्न हो जाएं तो जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।

पितरों के नाराज होने के संकेत

कई बार जीवन में कुछ ऐसी समस्याएं आती हैं जो पितरों की नाराजगी की ओर इशारा करती हैं। जैसे:

बार-बार कार्यों में अड़चन आना और काम अधूरे रह जाना।

घर में बिना कारण कलह और अशांति बनी रहना।

आर्थिक तंगी लगातार बनी रहना।

परिवार के किसी सदस्य का लगातार बीमार रहना, जो पितृ दोष का संकेत हो सकता है।

कैसे करें पितरों को प्रसन्न?

पितरों को प्रसन्न करने के लिए वैशाख अमावस्या का दिन बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन कुछ विशेष उपाय किए जा सकते हैं:

पवित्र नदी में स्नान करें। यदि संभव न हो तो नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।

पूर्वजों को अर्घ्य दें और घर में दीपक जलाकर उनकी पूजा करें।

जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करें।

ब्राह्मणों को भोजन कराना और तर्पण-पिंडदान करना विशेष फलदायी होता है।

पितृ कृपा से लाभ

इन उपायों को श्रद्धा और नियमपूर्वक करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। उनका आशीर्वाद जीवन में आने वाली कई अड़चनों को दूर करता है। साथ ही घर में सुख-शांति और उन्नति बनी रहती है।

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First Published: Apr 26, 2025 7:55 AM

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