हिंदू धर्म में ग्रह-नक्षत्रों का जीवन के हर शुभ कार्य पर विशेष प्रभाव माना जाता है। वर्तमान समय में सूर्य देव मीन राशि में स्थित हैं और जब-जब सूर्य देव धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तब खरमास की अवधि शुरू हो जाती है। ये एक ऐसा समय होता है जब धार्मिक और वैवाहिक जैसे शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। दरअसल, सूर्य का इन राशियों में गोचर करने से गुरु ग्रह का प्रभाव निष्क्रिय हो जाता है, जो कि शुभ कार्यों के लिए अत्यंत आवश्यक माना जाता है।
इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, यज्ञ आदि कार्य वर्जित माने जाते हैं। खरमास को "मलमास" भी कहा जाता है और इसकी अवधि एक माह की होती है। जैसे ही सूर्य मीन से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करते हैं, खरमास समाप्त हो जाता है और पुनः शुभ कार्यों की शुरुआत होती है।
सूर्य का मेष राशि में प्रवेश – खरमास का समापन
14 अप्रैल 2025 को सूर्य देव मीन से निकलकर मेष राशि में गोचर करेंगे। इसी दिन मेष संक्रांति भी मनाई जाएगी। सूर्य के राशि बदलते ही खरमास समाप्त हो जाएगा और शुभ कार्यों का द्वार फिर से खुल जाएगा।
मेष संक्रांति के पुण्य काल
पुण्य काल: सुबह 05:57 बजे से दोपहर 12:22 बजे तक
महा पुण्य काल: सुबह 05:57 बजे से 08:05 बजे तक
इस समय में किए गए दान-पुण्य और स्नान का विशेष महत्व होता है।
अप्रैल महीने के शुभ विवाह मुहूर्त
मेष संक्रांति के साथ ही विवाह जैसे मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। अप्रैल में कई शुभ तिथियां हैं, जिनमें नक्षत्र और योग का उत्तम संयोग बन रहा है:
14 अप्रैल:स्वाति नक्षत्र और शिववास योग
16 अप्रैल: अनुराधा नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग
18 अप्रैल: मूल नक्षत्र और परिघ योग
19 अप्रैल:मूल एवं पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, शिव योग
20 अप्रैल: पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र और सिद्ध योग
21 अप्रैल: श्रवण नक्षत्र और साध्य योग
25 अप्रैल: पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र और इंद्र योग
29 अप्रैल: रोहिणी नक्षत्र और शोभन योग
30 अप्रैल: रोहिणी नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग