वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल 23 जुलाई को पेश यूनियन बजट में बड़ा ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि सरकार डायरेक्ट टैक्स कोड्स को रिव्यू करेगी। यह काम 6 महीने में पूरा होने वाला था। इससे यह माना गया कि यूनियन बजट 2025 में सरकार नए डायरेक्ट टैक्स कोड्स का ऐलान कर सकती है। लेकिन, ऐसा लगता है कि इनकम टैक्स के नियम और कानूनों को इतने कम समय में पूरी तरह से बदलना मुमकिन नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, नए इनकम टैक्स एक्ट के बिल के बजट सेशन में संसद में पेश होने की संभावना नहीं है। इसका मतलब है कि नए इनकम टैक्स एक्ट के लागू होने में एक साल से ज्यादा वक्त लग सकता है।
इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की जगह नए कानून लाने की तैयारी
सूत्रों ने बताया कि इनकम टैक्स सिस्टम (Income Tax System) में पूरी तरह से बदलाव के लिए कई नोटिफिकेशंस, नए रूल्स, नए फॉर्म्स और सपोर्टिंग सिस्टम की जरूरत पड़ेगी। इसके लिए व्यापक तैयारी जरूरी है। इनकम टैक्स के मौजूदा सिस्टम से नए सिस्टम में ट्रांजिशन के काम को काफी ध्यान से पूरा करना होगा। सरकार इनकम टैक्स एक्ट, 1961 (Income Tax Act, 1961) की जगह आधुनिक और आसान नियम-कानून लाना चाहती है। लेकिन, इसे जल्द लागू करना मुमकिन नहीं है।
नए कानून लागू होने में एक साल से ज्यादा समय लग सकता है
सरकार के एक सीनियर अफसर ने बताया, "इसमें एक साल से ज्यादा समय लग सकता है। इसके लिए सिस्टम में कई तरह के बदलाव करने होंगे। चूंकि इनकम टैक्स का नया एक्ट वजूद में आएगा, जिससे लागू करने में समय लग सकता है। इसके लिए नए नियम और नए फॉर्म्स तैयार करने होंगे। उनकी टेस्टिंग करनी होगी। सिस्टम को इंटिग्रेट करना होगा।" नए सिस्टम लागू करने से पहले इनकम टैक्स के मौजूदा एक्ट की व्यापक समीक्षा जरूरी है। इस एक्ट में 23 चैप्टर्स हैं। एक उच्च-स्तरीय समिति हर चैप्टर को रिव्यू कर रही है। इस समिति में 23 उप-समितियां शामिल हैं।
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फाइनेंस बिल में मामूली बदलाव किए जा सकते हैं
अधिकारी ने कहा, "अगर सिर्फ एक या दो चैप्टर्स होते तो संशोधन किया जा सकता था। लेकिन, सभी 23 चैप्टर्स को आसान बनाने के लिए नया एक्ट जरूरी है। इसके लिए रूल्स, फॉर्म्स, सिस्टम, टैक्सपेयर्स के लिए यूटिलिटीज सहित सबकुछ बदलना होगा।" एक दूसरे सूत्र ने इस काम स जुड़ी टेक्निकल बाधाओं के बारे में बताया। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) की निगरानी में इनकम टैक्स एक्ट के रिव्यू का काम चल रहा है। अभी सीबीडीटी रिव्यू कमेटी की रिपोर्ट्स की जांच कर रही है। अगले बजट सत्र में फाइनेंस बिल में मामूली बदलाव शामिल किए जा सकते हैं।