प्राइवेट कंपनियों में नौकरी कर रहे करोड़ों लोगों को 1 फरवरी को खुशखबरी मिल सकती है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 7,500 रुपये न्यूनतम पेंशन का ऐलान कर सकती हैं। प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले लोगों को एंप्लॉयीज पेंशन स्कीम (ईपीएस) के तहत रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिलती है। अभी ईपीएस के तहत न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपये है। एंप्लॉयीज लंबे समय से इसे बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
1 फरवरी को वित्तमंत्री कर सकती हैं ऐलान
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्राइवेट एंप्लॉयीज के लिए न्यूनतम पेंशन बढ़ाने का ऐलान वित्तमंत्री 1 फरवरी को कर सकती हैं। इससे प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले करोड़ों लोगों को राहत मिलेगी। प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले एंप्लॉयीज के प्रतिनिधियों ने इस बारे में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को अपनी मांग बताई है। प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले लोगों का कहना है कि लंबे समय से सरकार ने ईपीएस के तहत न्यूनतम पेंशन में बदलाव नहीं किया है। पिछले कुछ सालों में बढ़ती महंगाई को देखते हुए इसे बढ़ाने की जरूरत है। हर महीने 1 000 रुपये रुपये की पेंशन पर्याप्त नहीं है।
ईपीएफ के दायरे में प्राइवेट सेक्टर एंप्लॉयीज
प्राइवेट कंपनियों में नौकरी करने वाले लोग एंप्लॉयीज प्रोविडेंट फंड (EPF) के तहत आते हैं। इसके तहत उन्हें रिटायरमेंट बेनेफिट मिलते हैं। ईपीएफ के तहत एंप्लॉयीज के पैसे का प्रबंधन ईपीएफओ करता है। अभी एंप्लॉयीज की बेसिस सैलरी (प्लस डीए) का 12 फीसदी हर महीने ईपीएफ में जाता है। इतना ही पैसा एंप्लॉयर एंप्लॉयीज के ईपीएफ अकाउंट में कंट्रिब्यूट करता है।
ईपीएफ में दो तरह के अकाउंट
ईपीएफ में दो तरह के अकाउंट होते हैं। पहले अकाउंट में जमा पैसा एंप्लॉयीज के रिटायर होने पर उसे एकमुश्त मिल जाता है। दूसरा अकाउंट पेंशन का होता है। इसमें जमा पैसे से एंप्लॉयी को रिटायरमेंट के बाद हर महीने पेंशन मिलती है। एंप्लॉयर के हर महीने के 12 फीसदी कंट्रिब्यूशन में 8.33 फीसदी ईपीएस में जमा होता है। बाकी 3.67 फीसदी पैसा ईपीएफ में जाता है।
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करोड़ों लोगों को होगा फायदा
अगर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को ईपीएस के तहत न्यूनतम पेंशन का अमाउंट बढ़ाने का ऐलान करती हैं तो इससे करोड़ों लोगों को फायदा होगा। सरकार की तरफ से पर्याप्त सोशल सिक्योरिटी के इंतजाम नहीं होने से रिटायरमेंट के बाद पेंशन के रूप में मिलने वाला पैसा बहुत मायने रखता है। इसके 1,000 रुपये से बढ़कर 7500 रुपये हो जाने से लोगों को अपनी बुनियादी जरूरतें पूरी करने में आसानी होगी।