Union Budget 2025: इनकम टैक्स की नई रीजीम और पुरानी रीजीम में क्या फर्क है?

सरकार ने बजट 2020 में इनकम टैक्स की नई रीजीम का ऐलान किया था। इस रीजीम की खासियत यह है कि इसमें टैक्स कम है। लेकिन, नई रीजीम का इस्तेमाल करने वाले टैक्सपेयर्स को ज्यादातर डिडक्शन का फायदा नहीं मिलता है

अपडेटेड Dec 25, 2024 पर 6:52 PM
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नई रीजीम की शुरुआत से पहले टैक्सपेयर्स के लिए इनकम टैक्स की सिर्फ एक रीजीम थी। इस पुराने रीजीम में टैक्सपेयर्स को कई तरह के डिडक्शन का लाभ मिलता है।

सरकार ने जुलाई 2024 में पेश यूनियन बजट में इनकम टैक्स की नई रीजीम का अट्रैक्शन बढ़ाने की कोशिश की थी। सरकार नई रीजीम में टैक्सपेयर्स की दिलचस्पी बढ़ाना चाहती है। इसलिए यह माना जा रहा है कि यूनियन बजट 2025 में नई रीजीम का अट्रैक्शन बढ़ाने के लिए कुछ बड़े ऐलान कर सकती है। अभी टैक्सपेयर्स के पास दोनों में से किसी एक रीजीम का इस्तेमाल करने का विकल्प है। यूनियन बजट पेश होने से पहले आपके लिए दोनों रीजीम के बीच के फर्क को जन लेना जरूरी है।

2020 में शुरू हुई थी नई टैक्स रीजीम

सरकार ने बजट 2020 (Union Budget) में इनकम टैक्स की नई रीजीम का ऐलान किया था। इस रीजीम की खासियत यह है कि इसमें टैक्स कम है। लेकिन, नई रीजीम का इस्तेमाल करने वाले टैक्सपेयर्स को ज्यादातर डिडक्शन का फायदा नहीं मिलता है। सरकार ने इस रीजीम की शुरुआत ऐसे टैक्सपेयर्स के लिए की थी, जो इनकम टैक्स डिडक्शन क्लेम नहीं करते हैं। ऐसे टैक्सपेयर्स को राहत देने के लिए सरकार ने कम टैक्स रेट्स वाले रीजीम की शुरुआत की थी।


पुरानी रीजीम के फायदें

नई रीजीम की शुरुआत से पहले टैक्सपेयर्स के लिए इनकम टैक्स की सिर्फ एक रीजीम थी। इस पुराने रीजीम में टैक्सपेयर्स को कई तरह के डिडक्शन का लाभ मिलता है। लेकिन, इसमें टैक्स के रेट्स नई रीजीम के मुकाबले ज्यादा है। उदाहरण के लिए नई रीजीम का इस्तेमाल करने वाला टैक्सपेयर्स इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 80सी का लाभ नहीं उठा सकते। इसका मतलब है कि वे सेक्शन 80सी के तहत आने वाले इनवेस्टमेंट ऑप्शंस में निवेश कर डिडक्शन क्लेम नहीं कर सकते। उन्हें सेक्शन 80डी के तहत भी डिडक्शन क्लेम करने की सुविधा नहीं है। सेक्शन 80सी में लाइफ इंश्योरेंस, पीपीएफ, ईएलएसएस जैसे इनवेस्टमेंट ऑप्शंस आते हैं। सेक्शन 80डी के तहत हेल्थ पॉलिसी आती है।

नई रीजीम में टैक्स के रेट्स

अभी नई रीजीम में सालाना 3 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स नहीं लगता है। 3 से 7 लाख रुपये तक की इनकम पर 5 फीसदी टैक्स लगता है। 7 से 10 लाख रुपये की इनकम पर 10 फीसदी टैक्स लगता है। 10 से 12 लाख रुपये की इनकम पर 15 फीसदी टैक्स लगता है। 12 से 15 लाख रुपये की इनकम पर 20 फीसदी टैक्स लगता है। 15 लाख रुपये से ज्यादा इनकम पर 30 फीसदी टैक्स लगता है।

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पुरानी रीजीम में टैक्स के रेट्स

पुरानी रीजीम में सालाना 2.5 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स नहीं लगता है। 2.5 लाख से ज्यादा और 5 लाख रुपये तक की इनकम पर 5 फीसदी टैक्स लगता है। 5 लाख से ज्यादा और 10,00,000 रुपये तक की इनकम पर 20 फीसदी टैक्स लगता है। 10,00,000 रुपये से ज्यादा की इनकम पर 30 फीसदी टैक्स लगता है। इस तरह पुरानी रीजीम में 10 लाख रुपये से ज्यादा की इनकम पर ही 30 फीसदी टैक्स लगता है, जबकि नई रीजीम में 15 लाख रुपये से ज्यादा इनकम पर 30 फीसदी टैक्स लगता है।

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