Flash PMI for March : HSBC द्वारा 24 मार्च को जारी प्रारंभिक आंकड़ों (फ्लैश PMI आंकड़ों) से पता चलता है कि भारत की निजी क्षेत्र की गतिविधि मार्च में गिरकर 58.6 फीसदी पर रही है जो पिछले महीने 58.8 फीसदी थी। HSBC फ्लैश इंडिया कंपोजिट PMI लगातार दूसरे महीने 58 अंक से ऊपर रही, जबकि जनवरी में यह 57.9 अंक पर रही थी।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधि में सुधार देखने को मिला है। ये फरवरी के 56.3 से सुधरकर मार्च में 57.6 के स्तर पर रही है। हालांकि,सर्विस सेक्टर की गतिविधि पिछले महीने के 59 से घटकर मार्च में 57.7 के स्तर पर आ गई है। बता दें कि फ्लैश पीएमआई डेटा, अंतिम डेटा के लिए जुटाए गए 800 उद्यमों में से आधे के सर्वेक्षण पर आधारित है,जिसे महीने की शुरुआत में जारी किया जाता है।
आज जारी रिपोर्ट में कहा गया है, "प्रारंभिक HSBC 'फ्लैश' PMI डेटा के मुताबिक भारत की निजी क्षेत्र की अर्थव्यवस्था 2024/25 वित्त वर्ष को मजबूती के साथ समाप्त करने को तैयार है। इस अवधि में नए बिजनेस इनटेक और उत्पादन में मजबूत बढ़ बरकरार रही है।"
हालांकि मार्च में बिजनेस कॉन्फिडेंस सात महीने के निचले स्तर पर रहा। इस सर्वेक्षण में भाग लेने वाली कंपनियों ने तीव्र प्रतिस्पर्धा को अपनी मुख्य चिंता बताया है। बढ़ती प्रतिस्पर्धा और टैरिफ का खतरा भी मैन्यूफैक्चरिंग गतिविधि की बढ़त को सीमित रखने का एक कारण रहा। मार्च महीने के दौरान लागत का दबाव बढ़ा जबकि आउटपुट महंगाई 12 महीनों में सबसे कमजोर स्तर पर रही।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने पिछले महीने से बेहतर प्रदर्शन किया और मार्च में 57.6 पर पहुंच गया। ये फरवरी में 14 महीने के निम्नतम स्तर 56.3 पर था। लेकिन यह साल के आरंभ में दर्ज 57.7 से नीचे रहा।
भारत के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति से बच पाना मुश्किल है। ट्रंप बार-बार भारत द्वारा अमेरिकी आयात पर उच्च टैरिफ लगाए जाने का मुद्दा उठाया है। दोनों देशों के बीच रिसीप्रोकल टैरिफ 2 अप्रैल से लागू होने की संभावना है।
शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक सर्विस सेक्टर की गतिविधि भी निराशाजनक रहने की उम्मीद है। ये फरवरी के 59 की तुलना में मार्च में घटकर 57.7 पर आ सकती है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मैन्युफैक्चरिंग कम्पनियों ने सर्विस सेक्टर की कम्पनियों की तुलना में विदेशों से मिलने वाले नए ऑर्डरों में तेज बढ़त हासिल की है।
रोजगार सृजन के मामले में भी सर्विस सेक्टर की कंपनियां मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों से पीछे रही हैं। सर्विस सेक्टर के कुल कर्मचारियों की संख्या में कमी आई है और यह छह महीने के निचले स्तर पर आ गई है।