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भारत की ऑडिट फर्मों को 'बिग फोर' के मुकाबले में लाना चाहती है सरकार, जानिए क्या है सरकार का प्लान

जिन प्रस्तावों पर विचार हो रहा है, उनमें ऑडिट फर्म के पार्टनर से जुड़े नियम शामिल हैं। ऑडिट फर्मों के बारे में जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि अभी पार्टनरशिप से जुड़े नियम काफी सख्त हैं। इससे टैलेंट अट्रैक्ट करने में दिक्कत आती है

अपडेटेड Oct 13, 2025 पर 4:25 PM
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अभी बड़े सरकारी ऑडिट में Deloitte, PwC, EY, KPMG और कुछ दूसरी विदेशी ऑडिट फर्मों का दबदबा है।

सरकार कंपनीज एक्ट में संशोधन के बारे में सोच रही है। दरअसल सरकार भारत की ऑडिट फर्मों को दुनिया की चार सबसे बड़ी ऑडिट फर्मों के मुकाबले में लाना चाहती है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। दुनिया की चार बड़ी ऑडिट फर्मों को 'बिग फोर' के नाम से जाना जाता है। कंपनी मामलों का मंत्रायल (एमसीए) इस बारे में बातचीत के अंतिम चरण में है। अगर इस प्लान को मंजूरी मिल जाती है तो सरकार कंपनी एक्ट में संशोधन करेगी। इसके लिए सरकार को संशोधन बिल लाना होगा।

ज्यादा वैल्यू के सरकारी ऑडिट में घरेलू ऑडिट फर्मों की बढ़ सकती है भूमिका

सूत्रों ने बताया कि जिन प्रस्तावों पर विचार हो रहा है, उनमें ऑडिट फर्म के पार्टनर से जुड़े नियम शामिल हैं। ऑडिट फर्मों के बारे में जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि अभी पार्टनरशिप से जुड़े नियम काफी सख्त हैं। इससे टैलेंट अट्रैक्ट करने में दिक्कत आती है, जो बिजनेस के विस्तार के लिए काफी जरूरी है। कानूनी स्तर पर बदलाव करने के साथ ही सरकार ज्यादा वैल्यू के सरकारी ऑडिट में घरेलू ऑडिट फर्मों की भूमिका बढ़ाना चाहती है।


अभी ऑडिट में Deloitte, PwC, EY और KPMG का दबदबा

अभी बड़े सरकारी ऑडिट में Deloitte, PwC, EY, KPMG और कुछ दूसरी विदेशी ऑडिट फर्मों का दबदबा है। सरकार से जुड़े ऑडिट में इंडियन फर्मों को बोली लगाने की इजाजत मिल सकती है। इसके लिए एलिजिबिलिटी की शर्तों में बदलाव हो सकता है। सरकार घरेलू ऑडिट फर्मों की क्षमता बढ़ाने पर भी विचार कर रही है। उन्हें टेक्नोलॉजी, ब्रांडिंग और विदेश में विस्तार के लिए सरकार की तरफ से मदद दी जा सकती है।

घरेलू ऑडिट कंपनियों को फाइनेंशियल सपोर्ट दे सकती है सरकार

डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और इंटरनेशनल मार्केटिंग जैसे मामलों में भारत की ऑडिट कंपनियां कमजोर पड़ जाती हैं। सूत्रों का कहना है कि इससे वे विदेशी ऑडिट कंपनियों का मुकाबला नहीं कर पाती। इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेट्स ऑफ इंडिया (ICAI) के एक सीनियर मेंबर ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, "टेंडर के नियमों में पॉलिसी के स्तर पर बदलाव और कैपिटल सपोर्ट से इस सेक्टर में क्षमता बढ़ेगी। घरेलू फर्मों को रेगुलेटरी स्पेस के साथ ही फाइनेंशियल सपोर्ट की जरूरत है।"

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आने वाले महीनों में कई कदमों का हो सकता है ऐलान

ICAI ग्लोबल प्रैक्टिसेज को देखते हुए रेगुलेटर फ्रेमवर्क में बदलाव करने की कोशिश कर रहा है। इसके तहत इंस्टीट्यूट एक डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार कर रहा है, जिससे सीए फर्मों के मर्जर में सुविधा होगी। आने वाले महीनों में कानून के स्तर पर बदलाव के साथ ही इन कदमों का ऐलान किया जा सकता है।

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