PMI data for September : 1 अक्टूबर को जारी एक प्राइवेट सर्वे के मुताबिक भारत की मैन्यूफैक्चरिंग गतिविधि सितंबर में चार महीने के निचले स्तर पर आ गई है। एचएसबीसी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) अगस्त के 59.3 से गिरकर 57.7 पर आ गया है। जून के बाद सितंबर ऐसा पहला महीना है जिसमें PMI 58 अंक से नीचे आया है। अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि आने वाले महीनों में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियों में तेज़ी आएगी। उनका कहना है कि वस्तु एवं सेवा कर (GST) दरों को युक्तिसंगत बनाया गया है और त्योहारों के मौसम में उपभोक्ता मांग में तेज़ी आई है, इसके चलते उत्पादन गतिविधियों में तेजी देखने को मिल सकती है।
बता दें कि 50 का स्तर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधि में विस्तार और संकुचन के विभाजक रेखा का काम करता है। यानी मैन्युफैक्चरिंग PMI की 50 से ऊपर की रीडिंग मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधि में विस्तार का संकेत देती है। जबकि 50 से नीचे की रीडिंग मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधि में संकुचन का संकेत होती है।
इस बीच आज आरबीआई ने भी अपनी नीति दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। लेकिन ग्रोथ के अनुमान को संशोधित करके बढ़ा दिया है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने 1 अक्टूबर को रेपो दर को 5.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। मज़बूत घरेलू मांग का हवाला देते हुए, उसने वित्त वर्ष 2026 के लिए अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) ग्रोथ अनुमान को 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। उसने महंगाई के अनुमान को 3.1 प्रतिशत से घटाकर 2.6 प्रतिशत कर दिया है।
केंद्रीय बैंक को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था 7 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, जो पिछली तिमाही के 7.8 प्रतिशत से कम है। ग्लोबल एजेंसियां भी ग्रोथ को लेकर सतर्क बनी हुई हैं। 30 सितंबर को, एशियाई विकास बैंक (ADB) ने भारत के वित्त वर्ष 2026 के ग्रोथ अनुमान को 6.7 प्रतिशत से घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया। साथ ही इसने चेतावनी दी कि हाई टैरिफ निर्यात को घया सकते हैं और देश में होने वाले निवेश पर दबाव डाल सकते हैं।