अगले साल फरवरी 2026 में जीडीपी को लेकर बड़े बदलाव से पहले सरकार GDP के अनुमान के फ्रेमवर्क में बड़े बदलाव की तैयारियों में जुटी है। इसे लेकर मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इंप्लीमेंटेशन (MoSPI) ने 21 नवंबर को एक डिस्कशन पेपर जारी किया जिसमें जीडीपी मापने के नए तरीके का खाका पेश किया गया है। जीडीपी की रिवाइज्ड सीरीज में 2022-23 को नए बेस वर्ष के तौर पर अपनाया जाएगा। इसके अलावा इसमें कुछ नए आंकड़े शामिल किए जाएंगे जो करीब एक दशक हुए पहले हुए बकाए में शामिल नहीं थे।
इसमें एक्टिव कंपनियों का रिफाइंड फ्रेमस लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप्स (LLPs) की विस्तृत फाइलिंग, कॉरपोरेट एनुअल रिटर्न से और खुलासे, असंगठित एंटरप्राइजेज के सालाना सर्वे को शामिल किया जाएगा। ये सभी इनपुट संस्थागत क्षेत्रों में, खासतौर से प्राइवेट कंपनियों और MSME-हैवी एक्टिविटीज में, डेटा गैप को भरते हुए अनुमान को अधिक मजबूत बनाने में मदद करेंगे। मिनिस्ट्री का कहना है कि जीडीपी के एक्सपेंडिचर साइड में प्रस्तावित बदलावों के साथ-साथ अतिरिक्त पेपर्स भी जारी किए जाएंगे। अपडेटेड बैक सीरीज और रिवाइज्ड नेशनल अकाउंट्स वित्त वर्ष 2026 के दूसरे रिवाइज्ड एस्टीमेट्स के साथ 27 फरवरी 2026 को जारी किए जाने हैं।
GDP से जुड़े क्या-क्या होने हैं बदलाव और क्या होगा असर?
जीडीपी को लेकर एक अहम सुधार ये है कि अब कंपनियों के कारोबार (टर्नओवर) को विशिष्ट कारोबारी गतिविधियों के आधार पर मापा जा सकेगा। इससे स्टैटिस्टिसयन यानी आंकड़ों पर काम करने वाले एक्सपर्ट्स कई सारी एक्टिविटीज वाली कंपनियों के आउटपुट को सभी ऑपरेशनल सेगमेंट्स में सही तरीके से बांट सकेंगे, बजाय इसके कि पूरे प्रोडक्शन को केवल एक अहम बिजनेस कैटेगरी में दिखाया जाए। वहीं LLP के आंकडों को शामिल करने पर सर्विसेज और प्रोफेशनल एक्टिविटीज में लंबे समय से जारी डेटा-गैप को दूर करने में मदद करेगी।
असंगठित क्षेत्र की बात करें तो इसकी एक्टिविटीज को मापना सबसे कठिन कामों में है। अब इसमें भी काफी सुधार होगा। मिनिस्ट्री की योजना कॉरपोरेट सेक्टर के बाहर की एक्टिविटी को बेहतर तरीके से पकड़ने के लिए लेबर फोर्स सर्वे और एनुअल सर्वे ऑफ अनइनकॉर्पोरेटेड एंटरप्राइजेज (ASUSE) पर अधिक निर्भर होने की है।
कंस्ट्रक्शन सेक्टर की बात करें तो यह जीडीपी में सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाला हिस्सा है और इसमें भारी बदलाव की तैयारी है। मिनिस्ट्री की योजना एक मोडिफाइड कमोडिटी-फ्लो अप्रोच अपनाने का है जिसमें नई पायल कंस्ट्रक्शन सर्वे के आंकड़ों को अपनाया जाएगा। इससे पक्के और कच्चे निर्माण में फर्क, इस्तेमाल होने वाले मैटेरियल्स में बदलाव और नॉन-ट्रेडिशनल बिल्डिंग इनपुट की बढ़ती भूमिका को पकड़ने में मदद मिलेगी। कृषि को लेकर बात करें तो जीडीपी के आंकड़ों में डाएनेमिक इनपुट-आउटपुट रेश्यो और हर राज्य से जुड़ी और महीन जानकारियों को शामिल किया जाएगा ताकि इस सेक्टर के स्ट्रक्चरल बदलावों को दर्शाया जा सके।
प्राइसिंग के मोर्चे पर भी एक बड़े बदलाव की तैयारी है जिससे मैन्युफैक्चरिंग में डबल डिफ्लेशन का इस्तेमाल बढ़ेगा। इनपुट और आउटपुट को अलग-अलग स्थिर कीमतों पर डिफ्लेट करने पर जो नया सिस्टम बनेगा, उससे भारत इंटरनेशनल लेवल के सांख्यिकीय मानकों के करीब आएगा और रियल वैल्यू-एडेड ग्रोथ की अधिक सटीक तस्वीर सामने आएगी। अन्य क्षेत्रों में भी मिनिस्ट्री सिंगल या वॉल्यूम एक्सट्रपलेशन मेथड का इस्तेमाल करेगी, जिसे मिनिस्ट्री के पेपर ‘सेकंड-बेस्ट’ मेथड कहा गया है।।