RBI MPC Meet : रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) की मीटिंग 3 से 5 दिसंबर, 2025 तक हो रही है। ऐसे में मार्केट पार्टिसिपेंट्स की नजरें इस बात पर लगी हुई हैं कि क्या रेट कट होने वाला है। हालांकि, SBI की ताजा रिसर्च रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि पॉलिसी रेट्स में किसी भी कटौती की संभावना बहुत कम है। MPC का फैसला रेट में कटौती के बजाय स्टेबिलिटी के पक्ष में होने की संभावना है,जिससे होम लोन EMI में कोई बदलाव नहीं होगा।
होम लोन लेने वालों के लिए इसका क्या है मतलब ?
होम लोन लेने वालों के लिए इसका मतलब यह है कि उन्हें जल्द ही EMI में राहत मिलने की उम्मीद कम है। बैंकों के पास डिपॉजिट रेट कम करने की गुंजाइश कम है। इसलिए लेंडिंग रेट,खासकर MCLR-बेस्ड लोन की ब्याज दरों में कटौती की बहुत कम उम्मीद है। अगर कोई कटौती होती भी तो वह बहुत ही मामूली होगी।। एक्सटर्नल बेंचमार्क-लिंक्ड लोन लेने वालों को तब तक कोई बदलाव नहीं दिखेगा जब तक रेपो रेट में बदलाव नहीं किया जाता।
इस रिसर्च रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि मार्केट सेंटिमेंट को सपोर्ट करने और लॉन्ग-टर्म यील्ड को बनाए रखने के लिए, RBI गवर्नमेंट सिक्योरिटीज़ (G-Secs) और स्टेट डेवलपमेंट लोन्स (SDLs) में लिक्विडिटी-न्यूट्रल ऑपरेशन ट्विस्ट पर विचार कर सकता है ताकि यील्ड कर्व में वोलैटिलिटी कम हो और स्टेबिलिटी वापस आए।
रिपोर्ट के मुताबिक RBI की तरफ से फरवरी 2025 से अब तक रेपो रेट में कुल 100 बेसिस प्वाइंट की कटौती की गई है। इसको ध्यान में रखते हुए बैंकों ने भी वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही में अपने लेंडिंग और डिपॉजिट रेट्स में कटौती की है। हालांकि,अक्टूबर के आंकड़ों से पता चलता है कि सभी बैंक ग्रुप्स ने फ्रेश लोन (WALR_fresh) पर लेंडिंग रेट्स में 09-18 बेसिस प्वाइट की बढ़ोतरी की है, जबकि फ्रेश डिपॉजिट रेट्स में 04-05 बेसिस प्वाइंट की कमी की है।
SBI की रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लोबल सेंट्रल बैंक पहले ही पॉलिसी पॉज़ के फेज़ में जा चुके हैं। हालांकि, अब तक हुए रेट कट अभी भी पहले की गई बढ़ोतरी से ज़्यादा है। लेकिन कुल मिलाकर रेट एक्शन की संख्या में तेज़ी से गिरावट आई है।
मज़बूत Q2 GDP डेटा के बाद रेपो रेट में कटौती की उम्मीद घटी
उम्मीद से ज़्यादा मज़बूत Q2 GDP डेटा के बाद रेपो रेट में कटौती की उम्मीद और कमजोर हो गई है। SBI का मानना है कि अब पॉलिसी में ठहराव देखने को मिल सकता है। इसकी खास वजह यह है कि मॉनेटरी ट्रांसमिशन कमज़ोर बना हुआ है। साल की शुरुआत में कुल 100-बेसिस-प्वाइंट रेट कट और CRR में बड़ी कटौती के बावजूद, बॉन्ड मार्केट अभी भी अस्त-व्यस्त है। ओवरनाइट रेपो रेट और दस-साल के G-Sec यील्ड के बीच का अंतर तेज़ी से बढ़ा है, जो लिक्विडिटी में गड़बड़ी का संकेत है। इसके दरों में आगे और ढील देने की गुंजाइश कम हो गई है।
MPC से पॉलिसी में यथास्थिति बनाए रखने की उम्मीद
SBI ने अपनी रिपोर्ट में इस बात को हाईलाइट किया है कि पिछले आंकड़ों को देखने से पता चलता है कि आमतौर पर न्यूट्रल रुख के दौरान रेट में कटौती की बहुत कम संभावना रहती है। इसकी संभावना औसतन सिर्फ़ 27 फीसदी है। इससे लगता है कि MPC इस बार पॉलिसी में यथास्थिति बनाए रखेगा और रेपो रेट में बदलाव नहीं होगा। अपने पिछले अक्टूबर रिव्यू में भी MPC ने रेपो रेट को 5.5 फीसदी पर बनाए रखा था।
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