US tariffs : US का भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लागू हो गया है। अमेरिकी टैरिफ का भारत पर कितना होगा, इसका असर बताते हुए सीएनबीसी-आवाज़ के इकोनॉमिक पॉलिसी एडिटर लक्ष्मण रॉय ने कहा कि भारत पर अमेरिकी टैरिफ के असर पर हौवा ज्यादा बन गया है। इसका वास्तविक असर बहुत ज्यादा नहीं होगा। US टैरिफ का भारत पर असर कम होगा। भारत से US का मर्केंटाइज एक्सपोर्ट 86 अरब डॉलर का होता है। टैरिफ के दायरे में करीब 50 अरब डॉलर का ही एक्सपोर्ट आता है। इसका वैल्यू एडेड प्रोडक्ट के एक्सपोर्ट पर कम असर होगा।
लक्ष्मण रॉय ने कहा कि 50 फीसदी टैरिफ एक अस्थायी व्यवस्था है। भारत-US के बीच ट्रेड एक दूसरे के कॉम्प्लीमेंट्री हैं। ग्लोबल ट्रेड में भारत के मर्केंटाइज की बेहतर संभावनाएं हैं। ग्लोबल ट्रेड में भारत का मर्केंटाइज एक्सपोर्ट महज 2.1 फीसदी है। इसको बढ़ाने से लिए काफी संभावनाएं हैं। टैरिफ से सबसे ज्यादा प्रभावित सेक्टर के लिए राहत के कदम जल्द उठाए जा सकते हैं।
अब सरकार का घरेलू बाजार में मांग बढ़ाने पर फोकस होगा। इसके साथ ही FTA वाले देशों को एक्सपोर्ट बढ़ाने पर भी फोकस होगा। ऑस्ट्रेलिया, UAE और जापान जैसे देशों में एक्सपोर्ट पर फोकस होगा। EU और ओमान जैसे देशों के साथ जल्द FTA (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट) करने पर फोकस होगा। UK, EU जैसे कम टैरिफ वाले देशों में एक्सपोर्ट बढ़ाने पर जोर दिए जाने की संभावना है। भारत की इकोनॉमी के फंडामेंटल काफी मजबूत हैं। इसको देखते हुए टैरिफ के हौवे से डरने की जरूरत नहीं है।
अमेरिका के अलावा दूसरे देशों में पर्याप्त एक्सपोर्ट संभावनाएं हैं। साल के पहले 4 महीने में एक्सपोर्ट में 21.64 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है। वित्त वर्ष 2026 में एक्सपोर्ट पिछले साल के बराबर यानी 86.5 अरब डॉलर के आसपास ही होगा। एक्सपोर्टर्स को मदद के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। अगले 2 से 3 दिनों तक एक्सपोर्टर्स के साथ बैठक होगी।
इस बीच भारत पर लगाए गए टैरिफ पर अमेरिकी वित्तमंत्री स्कॉट बेसेंट का अहम बयान आया है। इसमें कहा गया है कि भारत-US के रिश्ते काफी जटिल हैं। निजी तौर पर ट्रंप-मोदी के रिश्ते काफी अच्छे हैं। ट्रेड डील के लिए सबसे पहले भारत आया था, लेकिन अब तक डील नहीं हुई है। इस तनाव की वजह सिर्फ रूस का तेल नहीं है। भारत-US के रिश्ते काफी जटिल हैं। स्कॉट बेसेंट को लगता है आखिर में दोनों देश एक साथ आ जाएंगे।