Teaching in mother tongue: भविष्य में प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में पढ़ाने को अनिवार्य बनाने के संकेत देते हुए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने एक नोटिफिकेशन जारी किया है। CBSE ने सभी संबंधित स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे छात्रों की मातृभाषा की पहचान (language mapping) जल्द से जल्द करें। साथ ही गर्मियों की छुट्टियों के खत्म होने से पहले शैक्षणिक सामग्री को उसी के अनुसार तैयार करें। बता दें कि फिलहाल देश भर के CBSE स्कूलों में अंग्रेजी भाषा में ही पढ़ाई होती है। इस वजह से मातृभाषा पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता। लेकिन अब नए नोटिफिकेश के बाद बदलाव देखने को मिल सकता है।
CBSE सबसे बड़ा राष्ट्रीय स्कूल बोर्ड है, जिसके साथ 30,000 से अधिक स्कूल जुड़े हैं। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक CBSE के सर्कुलर में कहा गया है कि प्री-प्राइमरी से कक्षा 2 तक पढ़ाई बच्चे की घरेलू भाषा, मातृभाषा या किसी परिचित क्षेत्रीय भाषा में होना चाहिए। यह भाषा आदर्श रूप से मातृभाषा होनी चाहिए। नोटिफिकेशन में कहा गया है कि यदि यह संभव नहीं है, तो यह राज्य की भाषा हो सकती है।
CBSE ने देशभर के अपने सभी स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे छात्रों की मातृभाषा का जल्द से जल्द पता लगाएं। इसके बाद गर्मियों की छुट्टियों के खत्म होने से पहले पढ़ाई की सामग्री को उसी भाषा के अनुरूप तैयार करें। बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि यह कदम न सिर्फ शिक्षा को बच्चों के लिए सहज बनाएगा, बल्कि भारतीय भाषाओं और संस्कृति को भी मजबूती देगा।
22 मई को जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि कक्षा 3 से 5वीं तक के लिए छात्र R1 (मातृभाषा/परिचित क्षेत्रीय भाषा) में सीखना जारी रख सकते हैं। या उन्हें R1 के अलावा किसी अन्य माध्यम में अध्ययन करने का विकल्प दिया जा सकता है। नोटिफिकेशन में कहा गया है कि मातृभाषा में शिक्षण "जुलाई से शुरू हो सकता है।"
CBSE का मानना है कि सीखने की शुरुआत उसी भाषा में होनी चाहिए, जिसमें बच्चा सोचता और सहज महसूस करता है। अधिकारी ने कहा कि आदर्श स्थिति में यह भाषा उसकी मातृभाषा होनी चाहिए, लेकिन अगर किसी वजह से यह संभव नहीं है, तो उस राज्य की भाषा भी चुनी जा सकती है। हालांकि यह शर्त है कि वह बच्चे के लिए परिचित और समझने में आसान हो।
यह पहली बार है जब CBSE ने संकेत दिया है कि वह अपने स्कूलों में मातृभाषा आधारित शिक्षण अनिवार्य कर सकता है। NEP 2020 और NCFSE 2023 दोनों ही प्रारंभिक शिक्षा में 8 वर्ष की आयु तक मातृभाषा का उपयोग करने की सलाह देते हैं। सीबीएसई के एक अधिकारी ने कहा कि कक्षा 1 और 2 के छात्र मुख्य रूप से दो भाषाएं और गणित पढ़ते हैं। उन्होंने कहा कि नोटिफिकेशन का मतलब है कि इन क्लासेस में गणित की शिक्षा अब मातृभाषा या किसी परिचित क्षेत्रीय भाषा में दी जा सकती है।
नोनिटफिकेशन में कहा गया है कि इस स्तर पर छात्रों को दो बोली जाने वाली भाषाओं R1 और R2 (आर1 के अलावा कोई अन्य भाषा) से परिचित कराने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कक्षा 1 और 2 के लिए एनसीईआरटी की किताबें पहले से ही 22 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध हैं। उच्च कक्षाओं के लिए किताबों का अनुवाद किया जा रहा है।
नोटिफिकेशन में सभी स्कूलों से मई के अंत तक एक 'एनसीएफ कार्यान्वयन समिति' बनाने को कहा गया है। र्कुलर में कहा गया है, "गर्मियों की छुट्टियों के अंत तक स्कूलों को सिलेबल और शिक्षण सामग्री को फिर से तैयार करना चाहिए ताकि R1 का उपयोग MoI (शिक्षण के माध्यम) के रूप में किया जा सके। साथ ही उचित स्तर पर R2 की संरचित शुरूआत सुनिश्चित की जा सके। कार्यान्वयन शुरू होने से पहले शिक्षक अभिविन्यास और प्रशिक्षण कार्यशालाएं भी पूरी की जानी चाहिए, जिसमें बहुभाषी शिक्षण, कक्षा की रणनीतियों और भाषा-संवेदनशील मूल्यांकन पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।"