CBSE NEP 2020: कक्षा 3, 5 और 8 के मूल्यांकन में रटने से नहीं चलेगा काम, सीबीएसई बदलने जा रहा पूरा पैटर्न

CBSE NEP 2020: अब तक स्कूलों में याद करने पर जोर दिया जाता रहा है, लेकिन अब याद्दाश्त नहीं समझ की परीक्षा होगी। खासतौर से, कक्षा 3, 5 और 8 के छात्रों का मूल्यांकन विषय की समझ के आधार पर होगा। एनईपी की सिफारिश पर काम करते हुए सीबीएसई बोर्ड ने इसकी पहल कर दी है।

अपडेटेड Oct 27, 2025 पर 8:30 PM
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एनईपी 2020 ने छात्रों के मूल्यांकन का तरीका बदलने की सिफारिश की है।

CBSE NEP 2020: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत कक्षा 3,5 और 8 के छात्रों के मूल्यांकन के तरीके में बदलाव करने जा रहा है। बोर्ड का मानना है कि इससे बच्चों में रटकर पास होने की आदत में बड़ा बदलाव आएगा। नए मूल्यांकन के तरीके में छात्र के विषय की समझ पर जोर दिया जाएगा। यह परिवर्तन एनईपी के तहत होगा, जिसके लिए सीबीएसई जल्द ही ऑनलाइन प्लेटफॉम भी शुरू करने वाला है। इस मंच से पता चलेगा कि छात्र विषय को कितना समझते हैं, ताकि उन्हें 21वीं सदी के कौशल यानी नए दौर के अनुरूप तैयार किया जा सके।

बोर्ड की इस नई योजना का मकसद परीक्षा को शिक्षा का जरूरी हिस्सा बनाने पर केंद्रित है। बोर्ड चाहता है कि छात्र परीक्षा के डर से पढ़ने के बजाय ज्ञान के लिए पढ़ाई करें और अपने विषय की समझ विकसित करें। एनईपी 2020 ने छात्रों के मूल्यांकन का तरीका बदलने की सिफारिश की है। इसके तहत कक्षा 3, 5 और 8 के छात्रों की खास परीक्षा होगी, जिसे SAFAL (लर्निंग एनालिसिस के लिए स्ट्रक्चर्ड असेसमेंट) कहते हैं। ‘सफल’ का मकसद बच्चों की बुनियादी समझ और सोच-विचार की शक्ति को परखना है।

काबिलियत पर केंद्रित होगा नई परीक्षा का तरीका

एनईपी 2020 में स्पष्ट कहा गया है कि परीक्षा प्रणाली ऐसी होनी चाहिए, जो छात्रों की याद रखने की क्षमता पर केंद्रित न होकर उन्हें आगे बढ़ने में मदद करे। सीबीएसई बोर्ड इसे ध्यान में रखते हुए पहले ही कक्षा 6 से 10 के लिए भी योग्यता-आधारित परीक्षा का ढांचा (Competency-Based Assessment Framework) शुरू कर चुका है। इसमें विज्ञान, गणित और अंग्रेजी जैसे मुख्य विषयों पर ज्यादा जोर दिया जाता है।

कक्षा 3, 5 और 8 के लिए लॉन्च किया जा रहा SAFAL


  • यह मुख्य रूप से बच्चों की मूल बातें, ज्ञान का सही उपयोग और उनकी तेज सोचने की क्षमता को परखेगा।
  • यह आकलन ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर होगा, जिससे नतीजे जल्दी और सही मिलेंगे।
  • स्कूलों को बच्चों की कमजोरियों के बारे में पक्की जानकारी मिलेगी। इससे वे उन बच्चों पर सीधा ध्यान दे पाएंगे और अपनी क्लास में पढ़ाने के तरीके बदल पाएंगे।

शिक्षा की गुणवत्ता में लगातार सुधार पर जोर

सीबीएसई की यह पहल एक बार का सुधार नहीं है। उसने यह पहल पढ़ाई की गुणवत्ता को लगातार बेहतर बनाने की सोची-समझी योजना के तहत की है। इस डिजिटल आकलन से मिलने वाले डेटा का इस्तेमाल पढ़ाई के नतीजों को सुधारने के लिए किया जाएगा। शिक्षकों से कहा गया है कि वे ‘सफल’ रिपोर्ट का इस्तेमाल क्लास में मदद करने और माता-पिता से अच्छी बातचीत करने के लिए करें। भविष्य में, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसे सॉफ्टवेयर भी बच्चों की तरक्की पर नजर रखेंगे और उन्हें सही करियर चुनने में मदद करेंगे।

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