CBSE की इन कक्षाओं के छात्र अब पढ़ेंगे स्किल एजुकेशन का पाठ, एनसीईआरटी ने तैयार की किताबें

CBSE बोर्ड के सभी संबद्ध स्कूलों में कक्षा 6 से 8वीं तक के छात्रों को अनिवार्य रूप से कौशल शिक्षा की पढ़ाई करवाई जाएगी। बोर्ड ने इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किया है और मूल्यांकन में पारंपरिक परीक्षाओं के साथ-साथ व्यावहारिक कार्यों को भी महत्व दिया जाएगा।

अपडेटेड Nov 26, 2025 पर 8:03 PM
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इन्हें नोटबुक और परीक्षाओं के अलावा असल जिंदगी के काम भी सिखाए जाएंगे।

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने अपने सभी संबद्ध स्कूलों में कक्षा 6 से 8वीं में कौशल शिक्षा को अनिवार्य रूप से पढ़ाने का निर्देश दिया है। इसके अनुसार, अब रोजमर्रा के यांत्रिक कार्य और पौधों की देखभाल जैसे कौशल स्कूली पढ़ाई का हिस्सा होंगे, जिसे 6 से 8वीं कक्षा के छात्रों को पढ़ाया जाएगा। इसके लिए एनसीईआरटी द्वारा विकसित 'स्किल बोध' श्रृंखला की पुस्तकें लागू की गई हैं। इसमें छात्रों को विभिन्न प्रोजेक्ट आधारित काम करने होंगे। मूल्यांकन में पारंपरिक परीक्षाओं के साथ-साथ व्यावहारिक कार्यों को भी महत्व दिया जाएगा।

बोर्ड के अनुसार, इन कक्षाओं के छात्रों की पढ़ाई अब सिर्फ पारंपरिक विषयों तक सीमित नहीं होगी। इन्हें नोटबुक और परीक्षाओं के अलावा असल जिंदगी के काम भी सिखाए जाएंगे। इसमें पौधों और जानवरों की देखभाल, सामान्य यांत्रिक कौशल और मानव सेवा शामिल होगा। बोर्ड अधिकारियों के मुताबिक, स्कूलों को अब स्किल आधारित शिक्षा को मुख्य धारा की पढ़ाई का हिस्सा बनाना चाहिए, न कि एक विकल्प। बोर्ड ने इस सत्र में नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 (NEP 2020) के तहत एनसीईआरटी द्वारा तैयार की गई स्किल बोध सीरीज की किताबों को लागू करना जरूरी कर दिया है। ये किताबें प्रिंट और डिजिटल दोनों प्रारूप में उपलब्ध हैं।

  • नई सीरीज में, छात्रों को तीन तरह के काम पर आधारित प्रोजेक्ट पूरे करने होंगे
  • जीवों के साथ काम
  • मशीनों और मटीरियल से जुड़े काम
  • मानव सेवा से जुड़े काम

सालाना तीन प्रोजेक्ट पूरे करने होंगे

कक्षा 6, 7 और 8 के छात्रों को तीन साल में कुल नौ प्रोजेक्ट पूरे करने होंगे। इसमें कुल मिलाकर लगभग 270 घंटे का प्रैक्टिकल काम होगा। इसका मकसद यह है कि छात्र सिर्फ पढ़ाई के आधार पर ही आगे न बढ़ें बल्कि वे कुछ नया सीखते और उसे समझते हुए आगे बढ़ सकें।


स्कूल बदलेंगे अपना टाइमटेबल

  • हर साल 110 घंटे (160 पीरियड) सिर्फ स्किल्स एजुकेशन के लिए होंगे।
  • हर हफ्ते लगातार दो पीरियड इस विषय के लिए होंगे।
  • किताब में दिए गए छह प्रोजेक्ट में से, स्कूल अपनी स्थानीय जरूरतों और स्रोतों के आधार पर तीन प्रोजेक्ट चुनेंगे।

टीचरों भी सीखेंगे नए कौशल

सीबीएसई, एनसीईआरटी और पीएसएसआईवीई मिलकर बड़े पैमाने पर टीचर ट्रेनिंग करेंगे, जिससे स्किल्स अवेयरनेस पहल को लागू किया जा सके। शैक्षणिक वर्ष के अंत में स्कूलों में एक कौशल मेला भी लगाया जाएगा, जिसमें छात्र स्टूडेंट्स अपने प्रोजेक्ट, मॉडल और एक्सपीरियंस प्रदर्शित करेंगे। यह मेला स्कूलों का एक सालाना आयोजन होगा, जिसमें अभिभावक देख सकते हैं कि उनके बच्चे किताबों के अलावा दुनिया के बारे में कितना सीख रहे हैं।

कौशल शिक्षा का मूल्यांकन भी होगा अलग

कौशल शिक्षा का मूल्यांकन भी परंपरागत तरीके से नहीं होगी। इसमें लिखित परीक्षा के लिए 10% अंक, वाइवा या प्रेजेंटेशन के लिए 30%, एक्टिविटी बुक के लिए 30%, पोर्टफोलियो के लिए 10% और टीचर ऑब्जर्वेशन के लिए 20% अंक शामिल होंगे।

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