अब स्कूलों में कोई नहीं होगा बैकबैंचर! केरल के बाद दिल्ली में भी शुरू हुई नई पहल, कई नए नियम लागू

Delhi School News: आने वाले समय में राष्ट्रीय राजधानी के स्कूलों में बैकबेंचर्स शब्द अतीत की बात हो जाएगी। दिल्ली के एक स्कूल ने पीछे की लाइन में बैठने वाले 'बैकबेंचर्स' की व्यवस्था समाप्त कर दी है। स्कूल ने इस व्यवस्था से छात्रों पर पड़ रहे बुरे असर की आशंका के बीच पारंपरिक लाइन-वार बैठने की व्यवस्था को खत्म करने का कदम उठाया है

अपडेटेड Aug 06, 2025 पर 8:31 PM
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Delhi School News: दिल्ली स्कूल ने कहा कि पढ़ाई या जीवन में पीछे नहीं छोड़ा जाना चाहिए (Representational Image)

Delhi School News: केरल के बाद अब आने वाले समय में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के स्कूलों में भी बैकबेंचर्स शब्द अतीत की बात हो जाएगी। दिल्ली के एक स्कूल ने पीछे की लाइन में बैठने वाले 'बैकबेंचर्स' की व्यवस्था समाप्त कर दी है। स्कूल ने इस व्यवस्था से छात्रों पर पड़ रहे बुरे असर की आशंका के बीच पारंपरिक लाइन-वार बैठने की व्यवस्था को खत्म करने का कदम उठाया है। इससे पहले केरल के सामान्य शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने मंगलवार को कहा था कि उनकी सरकार स्कूल की क्लासों से 'बैकबेंचर्स' की अवधारणा को खत्म करना चाहेगी।

'फेसबुक' पर इस बड़े फैसले की घोषणा करते हुए केरल के मंत्री ने कहा, "हमारी शिक्षा प्रणाली के लिए सबसे बेहतर मॉडल का पता लगाने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति नियुक्त करने का निर्णय लिया गया है। हम पैनल के सुझावों पर विचार करते हुए आगे बढ़ेंगे।" शिवनकुट्टी ने कहा कि 'बैकबेंचर्स' की अवधारणा से छात्रों के आत्मविश्वास और सीखने की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

उन्होंने कहा कि किसी भी बच्चे को पढ़ाई या जीवन में पीछे नहीं छोड़ा जाना चाहिए। मंत्री ने कहा कि कई देश बैकबेंचर्स की अवधारणा को खत्म करने के लिए अलग-अलग मॉडल अपना रहे हैं। उन्होंने बच्चों के बेहतर भविष्य को सुनिश्चित करने में सभी का सहयोग मांगा

माडर्न पब्लिक स्कूल ने शुरू की नई व्यवस्था

केरल की तर्ज पर दिल्ली के शालीमारबाग स्थित माडर्न पब्लिक स्कूल ने अब यह पहल कर दी है। मॉडर्न पब्लिक स्कूल सीनियर सेकेंडरी की प्रिंसिपल अलका कपूर ने 'न्यूज 18 इंडिया' से बातचीत में कहा, "उनके स्कूल में भी बैकबेंचर व्यवस्था नहीं है। केरल में जब यह मामला उठा तो उन्हें लगा कि उनके स्कूल में तो पहले से ही यह व्यवस्था लागू है। उनके स्कूल में फिलहाल प्राइमरी तक बच्चों को राउंड टेबल पर बैठाकर पढ़ाई कराई जाती है। सीनियर स्तर पर भी रोज सीटिंग व्यवस्था को बदला जाता है।"

फिल्म से हुई बदलाव की शुरुआत


'बैकबेंचर्स' की अवधारणा को समाप्त करना केरल में कुछ समय से चर्चा का विषय रहा है। हाल ही में रिलीज हुई मलयालम फिल्म 'स्थानार्थी श्रीकुट्टन' में भी इस विचार को साझा किया गया है। विनेश विश्वनाथन निर्देशित इस फिल्म में एक स्कूली छात्र क्लास में पीछे बैठने के कारण अपमानित होने के बाद बैठने की पारंपरिक व्यवस्था में बदलाव का प्रस्ताव रखता है। फिल्म से प्रेरणा लेते हुए, दक्षिणी राज्य के कुछ स्कूलों ने पहले ही यू-आकार की बैठने की व्यवस्था लागू कर दी है। इससे यह सुनिश्चित हो सके कि प्रत्येक छात्र को समान ध्यान और प्रमुखता मिले।

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Akhilesh Nath Tripathi

Akhilesh Nath Tripathi

First Published: Aug 06, 2025 8:28 PM

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