Delhi university News: देश के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) इस वक्त भारी वित्तीय संकट से जूझ रही है। वित्तीय वर्ष 2025-26 में दिल्ली यूनिवर्सिटी का अनुमानित घाटा 462.4 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। पिछले साल की तुलना में इसमें 86 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की तरफ से आवंटन में मामूली वृद्धि के बावजूद डीयू सैलरी और अन्य खर्चों को भी पूरा करने में असमर्थ है। इससे फैकल्टी में विश्वविद्यालय को चलाने के लिए छात्रों की फीस और आंतरिक राजस्व पर बढ़ती निर्भरता को लेकर गहरी चिंताएं पैदा हो रही हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 12 जुलाई को कार्यकारी परिषद को पेश डीयू के वित्तीय डिटेल्स से पता चलता है कि यूजीसी ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में सैलरी के लिए 473 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। जबकि विश्वविद्यालय का वास्तविक सैलरी खर्च 478.7 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पहले ही अनुदान से 5.7 करोड़ रुपये अधिक है।
इसके अलावा लाइब्रेरी समेत अन्य खर्च यूजीसी के 313 करोड़ रुपये के आवंटन के मुकाबले 544.4 करोड़ रुपये रहा, जिससे 248 करोड़ रुपये से अधिक का बड़ा अंतर पैदा हो गया। 2025-26 के अनुमान और भी निराशाजनक हैं। इसमें अनुमानित सैलरी बिल 540.7 करोड़ रुपये और रिकरिंग कास्ट 683.1 करोड़ रुपये है। जबकि आवंटन क्रमशः 488 करोड़ रुपये और 323 करोड़ रुपये था।
DU के आंतरिक राजस्व का एक बड़ा हिस्सा अब छात्रों के योगदान से आजा है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) योजना के तहत कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए यूजीसी का अनुदान काफी कम हो गया है। वित्त वर्ष 2024-25 में 32.8 करोड़ रुपये से घटकर 2025-26 में केवल 10 करोड़ रुपये रह गया है।
इसमें डीयू का अनुमानित खर्च बढ़कर 60 करोड़ रुपये हो गया है। आंतरिक दस्तावेज यह भी दर्शाते हैं कि दिल्ली यूनिवर्सिटी का लक्ष्य 2025-26 में छात्र शुल्क राजस्व में 246 करोड़ रुपये उत्पन्न करना है, जो चालू वित्त वर्ष में 237.3 करोड़ रुपये से अधिक है।
दिल्ली यूनिवर्सिटी इस बार भी अंडरग्रेजुएट कोर्सों में तय सीटों से ज्यादा एडमिशन लेगा। हालांकि, सभी कॉलेजों के हर कोर्स में तय सीटों से ज्यादा सीटें छात्रों को अलॉट नहीं होंगी। डीयू में यूजी कोर्सज के लिए पहले राउंड में 19 जुलाई को सीटें अलॉट होंगी। इसके बाद एडमिशन शुरू होंगे।